2025 Prayagraj Kumbh Mela: सनातन संस्कृति का उत्सव महाकुंभ मेला इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. इस महाकुंभ के लिए तैयारियां जोरो-शोरो पर चल रही हैं. 2013 के बाद अब प्रयागराज में महाकुंभ होगा, जो 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा. कुंभ मेले का संबंध ‘अमृत मंथन’ से जुड़ा हुआ है, लेकिन शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का दावा है कि इस मेले में 40 करोड़ भारतीयों की सेहत के साथ खिलवाड़ा होने वाला है. ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि गंगा का पानी इस समय आचमन लायक भी नहीं है. अब आप समझ सकते हैं कि क्या हो रहा है. उनका कहना है कि लोक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
NGT ने कहा पानी दूषित है
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से गंगा की सफाई पर जब सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘बात ये है कि NGT (The National Green Tribunal) नाम की एक संस्था है. उसने कहा है कि गंगा का पानी इस समय आचमन लायक भी नहीं है. और ये भी कह दिया है कि गंगा के किनारे प्रयाग में और काशी में ये बोर्ड लगाकर ये लिखा जाए कि आचमन योग्य जल नहीं है. तो अब आप समझलो कि क्या हाल है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘ इसी में 40 करोड़ लोगों को स्नान कराने के लिए सरकार तैयारी कर रही है. गंगा की धारा को सही नहीं कर रही है. गंगा के किनारे 40 करोड़ लोगों को बुलाकर के उस पानी में नहलाने की और उस पानी को पिलाने की तैयार कर रही है, जिसे NGT नाम की संस्था ने आचमन योग्य भी नहीं माना है.’
ये 40 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है- शंकराचार्य
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती आगे कहते हैं, ‘यहां लोक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. 40 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने की तैयारी है. 40 करोड़ लोग यहां किस लिए आएंगे, नहाने ही तो आएंगे. इसी जल में नहाएंगे. इस जल के बारे में एनजीटी की ये राय है, तो ये स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ही तो हुआ.’ दरअसल हाल ही में NGT ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है कि गंगा के पानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इसमें बिना ट्रीट किए सीवर का पानी लगातार डाले जाने से गंगा में प्रदूषण लगातार बढ़ा है. एनजीटी ने इस पूरे मामले में उत्तराखंड सरकार को ‘मूक दर्शक’ घोषित किया है.
४० करोड़ लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होने वाला है कुंभ में
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— 1008.Guru (@jyotirmathah) November 25, 2024
वहीं महाकुंभ की बात करें तो महाकुंभ संगम के किनारे लगने वाला है, जहां गंगा और यमुना नदी का साक्षात रूप देखने को मिलता है और सरस्वती नदी का अद्श्य रूप से मिलन होता है. इस वजह से प्रयागराज का महत्व और भी बढ़ जाता है. प्रयागराज के अलावा उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में अर्धकुंभ मेला हर 6 साल पर आयोजित किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ मेला के दौरान प्रयागराज में स्नान व ध्यान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है.
Tags: Kumbh Mela, Kumbh sankranti
FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 15:58 IST