पुनौरा धाम मंदिर की तस्वीर
भरत चौबे/ सीतामढ़ी: जिले में श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव की धूम मची हुई है. पांच साल बाद, अयोध्या से मिथिला नगरी जनकपुर (नेपाल) तक बारात आने की खबर से मिथिलावासियों में जबरदस्त उत्साह है. विवाहोत्सव को लेकर हर जगह तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस ऐतिहासिक आयोजन का रूट चार्ट भी जारी कर दिया गया है.
26 नवंबर से 9 दिसंबर तक चलेगा आयोजन
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने बारात यात्रा का रूट जारी करते हुए बताया कि 26 नवंबर को बारात यात्रा कारसेवकपुरम, अयोध्या से प्रारंभ होगी और 9 दिसंबर को गोरखपुर लौटने के साथ समाप्त होगी. इस यात्रा में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर बारात का भव्य स्वागत किया जाएगा.
बारात यात्रा का रूट चार्ट
– 26 नवंबर: बारात अयोध्या से प्रस्थान करेगी.
– 28 नवंबर : बिहार के बक्सर में प्रवेश, ब्रह्म स्थान चौराहा पर स्वागत.
– 29 नवंबर : सुबह पाटलिपुत्र (पटना) पहुंचने के बाद हाजीपुर में स्वागत.
– 30 नवंबर : कांटी से प्रस्थान कर शिवहर और फिर रुन्नीसैदपुर पहुंचकर पुनौरा धाम में रात्रि विश्राम.
– 1 दिसंबर : पुनौरा धाम से पुपरी के लिए प्रस्थान. अहिल्या स्थान में भोजन और बेनीपट्टी में रात्रि विश्राम.
– 2 दिसंबर : बेनीपट्टी से मधवापुर-मटिहानी पहुंचकर रात्रि विश्राम.
– 3 दिसंबर : नगर भ्रमण.
– 4 दिसंबर : दशरथ मंदिर प्रांगण में समधी मिलन.
– 5 दिसंबर : धनुषा धाम दर्शन और दोपहर में मटकोर.
– 6 दिसंबर : बरबीघा मैदान में रात्रि को विवाहोत्सव.
– 7 दिसंबर : राम कलेवा और सामूहिक विवाह.
– 8 दिसंबर : वीरगंज में रात्रि विश्राम.
– 9 दिसंब : बारात वीरगंज से मोतिहारी, गोपालगंज, कुशीनगर होते हुए गोरखपुर लौटेगी.
धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का संगम
बारात यात्रा के दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत किया जाएगा. बारात का स्वागत हर प्रमुख स्थल पर भव्य तरीके से होगा. पुनौरा धाम में रात्रि विश्राम के दौरान श्रद्धालुओं के लिए भोजन और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की गई है.
मिथिला में उमंग और उल्लास
मिथिलावासियों के लिए यह विवाहोत्सव विशेष महत्व रखता है. बारात यात्रा के दौरान धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इस अवसर पर भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का जीवंत चित्रण किया जाएगा, जो हजारों श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव होगा. श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव न केवल मिथिला की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करेगा, बल्कि जनमानस को धार्मिकता और भक्ति के पवित्र सूत्र में भी पिरोएगा.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 19:24 IST