भोपाल: कला और हुनर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. जब दोनों साथ होते हैं. एक अद्भुत संसार का निर्माण होता है. कलाकार वे होते हैं जिनकी कला दिल को छू लेती है. भोपाल के कई इलाकों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ से आए हजारों कलाकार बसे हुए हैं. ये कलाकार, जो हस्तकला और मूर्तिकला में माहिर हैं.कई दशकों पहले मध्य प्रदेश में आकर बसे और यहीं के होकर रह गए. इन कलाकारों में से कुछ पीओपी से सुंदर मूर्तियां बनाते हैं. जब Local18 उनकी स्थिति जानने पहुंचा, तो यह साफ हुआ कि कैसे ये कलाकार अपने जीवन को कठिन परिस्थितियों में जीने के लिए मजबूर हैं.
भोपाल के जेल पहाड़ी चौराहे पर मुन्नी यादव नाम की कलाकार मिट्टी की मूर्तियों को रंगते हुए मिलीं. उनके पति ओडिशा के भुवनेश्वर से मूर्तिकला सीखकर भोपाल आए थे.जब उनका बेटा 11 साल का था. उनके पति का निधन हो गया. इसके बाद मुन्नी ने अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाई और मूर्तिकला का काम संभाला. अब उन्हें इस क्षेत्र में 40 साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन उनका संघर्ष अभी भी जारी है.
30 रुपये से 240 रुपये तक पहुंचा पीओपी का दाम
मुन्नी बाई ने बताया कि जब वे इस कला में शुरुआत कर रही थीं. पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की एक बोरी 30 रुपये में मिलती थी. जबकि आज इसकी कीमत 240 रुपये तक पहुंच चुकी है. बढ़ती महंगाई ने उनकी कला और आजीविका को बुरी तरह प्रभावित किया है. अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि “रोज कमाओ, रोज खाओ” ही उनके जीवन का एकमात्र उपाय रह गया है.
सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा
भोपाल के इन मूर्तिकारों के सामने कई चुनौतियां हैं. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा दी जाने वाली 10 हजार रुपये की सहयोग राशि के लिए उन्होंने फॉर्म भरे थे. लेकिन आज तक उन्हें कोई लाभ नहीं मिला. सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने से इन कलाकारों की स्थिति और दयनीय हो गई है.यह कहानी उन कलाकारों की है जो अपनी कला के जरिए जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन सरकार और समाज से पर्याप्त सहायता न मिलने के कारण उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 20:12 IST