Last Updated:January 31, 2025, 17:34 IST
Saptarishi: सप्तर्षि हिन्दू धर्म के सात महत्वपूर्ण ऋषि हैं. उन्हें ज्ञान, तपस्या और धर्म के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है. सप्तर्षियों का हिन्दू धर्म में गहरा प्रभाव है और वे आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं.
Saptarishi: हिन्दू धर्म में सप्तर्षियों का महत्वपूर्ण स्थान है. ये सात ऋषि हैं- कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज. इन्हें वेदों और पुराणों में दिव्य ज्ञान और तपस्या के प्रतीक के रूप में वर्णित किया गया है. माना जाता है कि ये सातों ऋषि अपनी तपस्या और दिव्य शक्तियों से ब्रह्मांड के संतुलन को बनाए रखते हैं. हिंदू ग्रंथों में इन्हें अमर और सृष्टि चक्र के हर युग में मार्गदर्शक के रूप में बताया गया है. सप्तर्षियों का उल्लेख महाभारत, रामायण और कई अन्य पुराणों में भी मिलता है.
उत्पत्ति:
सप्तर्षियों की उत्पत्ति के बारे में कई मत हैं. कुछ लोगों का मानना है कि वे ब्रह्मा के मन से उत्पन्न हुए थे, जबकि कुछ अन्य उन्हें देवताओं और ऋषियों के संयुक्त वंशज मानते हैं. एक अन्य मान्यता के अनुसार सप्तर्षि हर मन्वंतर में बदलते हैं. वर्तमान मन्वंतर में ये सात ऋषि हैं.
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काम:
सप्तर्षियों को वेदों के ज्ञान को संरक्षित करने और उसे मानव जाति तक पहुंचाने का काम सौंपा गया है. उन्होंने विभिन्न वेदों और उपनिषदों की रचना की है. उन्हें धर्म, नीति और अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए भी जाना जाता है. सप्तर्षि ज्योतिष और खगोल विज्ञान के भी ज्ञाता थे। उन्होंने नक्षत्रों और ग्रहों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है.
महत्व:
सप्तर्षियों को हिन्दू धर्म में अत्यंत पूजनीय माना जाता है. उन्हें ज्ञान, तपस्या और त्याग के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. कई लोग सप्तर्षियों को अपने पूर्वज मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं. सप्तर्षियों के नाम पर आकाश में एक नक्षत्र मंडल भी है, जिसे सप्तर्षि मंडल कहा जाता है.
सप्तर्षियों का विस्तृत वर्णन:
कश्यप: ऋषि कश्यप को सभी देवताओं और मनुष्यों का जनक माना जाता है. उन्होंने अदिति से विवाह किया और उनके पुत्रों में इंद्र, अग्नि और वरुण जैसे देवता शामिल हैं.
अत्रि: ऋषि अत्रि ब्रह्मा के पुत्र थे और वे अपनी पत्नी अनुसूया के साथ अपने तपोबल के लिए जाने जाते थे. उनके पुत्र दत्तात्रेय को त्रिदेव का अवतार माना जाता है.
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वशिष्ठ: ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुलगुरु थे और उन्होंने रामायण काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे अपनी पत्नी अरुंधति के साथ आदर्श दंपत्ति के रूप में जाने जाते हैं.
विश्वामित्र: ऋषि विश्वामित्र एक क्षत्रिय राजा थे जिन्होंने अपनी तपस्या से ब्राह्मणत्व प्राप्त किया. उन्होंने गायत्री मंत्र की रचना की और वे अपने क्रोध के लिए भी जाने जाते थे.
गौतम: ऋषि गौतम ने अपनी पत्नी अहिल्या के साथ इंद्र द्वारा छल का सामना किया था. उन्हें न्याय और धर्म के प्रतीक के रूप में जाना जाता है.
जमदग्नि: ऋषि जमदग्नि परशुराम के पिता थे और वे अपनी क्रोधी स्वभाव के लिए जाने जाते थे.
भारद्वाज: ऋषि भारद्वाज को आयुर्वेद का जनक माना जाता है और उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
First Published :
January 31, 2025, 17:34 IST