प्रतीकात्मक तस्वीर
पश्चिम चम्पारण. सर्दियों ने दस्तक दे दी है. किसान अब ऐसी फसलों का रुख कर रहे हैं, जो उन्हें इस मौसम में बेहतर उत्पादन के साथ अच्छी आमदनी प्रदान करे. कृषि विशेषज्ञों की माने तो, इस मौसम में ज्यादातर किसान परंपरागत फसलों की खेती पर ही ध्यान देते हैं, लेकिन अच्छी आमदनी के लिए उन्हें गेहूं तथा ट्रेडिशनल फसलों के बजाए औषधीय पौधों की खेती पर विशेष ध्यान देना चाहिए. मुख्य रूप से इनमें मेंथा, लेमन ग्रास, पामा रोज़ा तुलसी, अश्वगंधा, ग्रेनियम, एलोवेरा, स्पीयरमिंट, मैंथमिंट, अश्वगंधा, सर्पगंधा, यूकेलिप्टस, मूसली इत्यादि शामिल हैं. एक्सपर्ट्स की माने तो, ये सब्जी ऐसे औषधीय पौधे हैं, जिनकी खेती सर्दियों के मौसम में की जा सकती है.
हर वक्त बनी रहती है बाज़ार में डिमांड
कृषि वैज्ञानिक धीरू तिवारी ने लाेकल 18 को बताया कि मेंथा, शतावर, मूसली, अश्वगंधा, यूकेलिप्टस जैसे आदि कुछ ऐसे पौधे हैं, जिनकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 1000 से 1500 रुपए किलो तक है. बड़ी बात यह है कि यदि आप मेंथा और यूकेलिप्टस जैसे कुछ मेडिसिनल प्लांट्स से ऑयल प्रोसीडिंग का काम करते हैं, तो इससे आपको 4000 रुपए लीटर तक का रेट मिल सकता है. इन औषधीय पौधों की खास बात ये है कि इनका दवा बनाने के साथ-साथ पौष्टिकता से भरी खाद्य सामग्रियों को बनाने और कई जरूरी कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा कम लागत में इन पौधों की खेती भी पूरी हो जाती है.
17 वर्षों से करते आ रहे हैं खेती
यदि इन सभी पहलुओं पर विचार किया जाए, तो शायद ही ऐसा कोई किसान होगा जो इसकी खेती नहीं करना चाहेगा. अच्छी बात यह है कि पश्चिम चम्पारण जिले के कुछ किसानों ने इन औषधीय पौधों की खेती बड़े स्तर पर की है. इस वजह से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान भी मिली है. मझौलिया प्रखंड के रुलहीं गांव के रहने वाले किसान परशुराम पिछले 17 वर्षों से मेंथा, मैंथमिंट, सफेद मूसली, पामा रोज़ा तथा अश्वगंधा इत्यादि पौधों की खेती करते आ रहे हैं.
मिलता है 4000 रूपए प्रति लीटर तक का भाव
परशुराम का कहना है कि मेंथा की कटाई के बाद वे उससे ऑयल ( मेंथॉल ) निकालते हैं. जिसे घर से ही एक समूह के ज़रिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 2500 से 4000 रुपए लीटर की कीमत बेच दिया जाता है. वे एक साल में करीब 1000 लीटर मेंथॉल की प्रोसेसिंग करते हैं. ठीक इसी प्रकार कृषक रमाशंकर पिछले 15 वर्षों से शतावर की खेती करते हैं. जिसे 1000 रुपए किलो की कीमत पर बाजार में बिक्री करते हैं.
बेहद कम खर्च में पूरी करें खेती
एक्सपर्ट्स की माने तो, अश्वगंधा, मूसली, मेंथा, मोरिंगा तथा शतावरी सहित कुछ अन्य मेडिसिनल प्लांट्स की खेती पर एक एकड़ में लगने वाला खर्च लगभग 25 से 50 हजार रुपए तक आता है. जबकि बाजार में शतावर की बिक्री करीब 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल, सफेद मूसली 65 हजार रुपए प्रति क्विंटल, अश्वगंधा 15 हजार रुपए प्रति क्विंटल, मेंथॉल 2500 से 4000 हजार रुपए लीटर और सर्पगंधा 35 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकता है.ऐ से में किसान इसकी खेती कर बेहद अच्छी आमदनी कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 18:33 IST