सामान्य नहीं है ये घास, पंडित पूजा और समारोह में करते हैं इसका उपयोग

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यह वर्षा के पानी को सोखने व मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती हैं 

जयपुर. भारतीय हिंदू परंपरा में पर्यावरण को भी ईश्वर का दर्जा दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली कुचा घास के बिना धार्मिक अनुष्ठान अधूरे हैं. यह पवित्र घास कृषि क्षेत्रों वाले इलाकों में अधिक पाई जाती है. इस घास के छोटे झुरमुट होते हैं, जो जमीन पर फैलते हैं और आमतौर पर नाजुक और कोमल होते हैं.

कुचा घास को पवित्रता का प्रतीक माना जाता हैं .कई धार्मिक परंपराओं और पूजा स्थलों पर बिछाया जाता है, जिससे स्थान की पवित्रता बढ़ती है.

किसानों के लिए बेहद फायदेमंद यह घास
कुचा घास किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है. यह मिट्टी के पोषण को बढ़ाने और कीटों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं. इसके अलावा पशु चारे के रूप में और भूमि का उपजाऊपन बनाए रखने में भी किया जाता है. यह वर्षा के पानी को सोखने और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती है.

कुचा घास का धार्मिक महत्व 
(1). धार्मिक अनुष्ठान में प्रयोग: धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि कुचा घास को पवित्रता का प्रतीक माना जाता हैं .कई धार्मिक परंपराओं और पूजा स्थलों पर बिछाया जाता है, जिससे स्थान की पवित्रता बढ़ती है.

(2). त्योहारों में उपयोग: कुचा घास का उपयोग विशेष रूप से पूजा और समारोहों में किया जाता है. यह रक्षाबंधन, मकर संक्रांति जैसे पर्वों पर काम में ली जाती है.

(3). साधक सिद्ध के लिए प्रयोग: धार्मिक अनुष्ठानों में कुचा घास का उपयोग यह मानते हुए किया जाता है कि इससे साधक को सिद्धि और आशीर्वाद प्राप्त होता है.

कुचा घास के औषधीय गुण
आयुर्वेदिक डॉक्टर किशनलाल ने बताया कि कुचा घास का उपयोग सूजन और दर्द निवारक के रूप में किया जाता है. यह दर्द व सूजन में बहुत उपयोगी घास है. इसके अलावा पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक-कुचा घास पाचन तंत्र के लिए लाभकारी घास होती हैं, कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं में राहत मिलती है.

कुचा घास में विभिन्न विटामिन और खनिज होते हैं, जो शरीर के लिए पोषण प्रदान करते हैं. इस घास में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद है जो शरीर को स्वास्थ्य बनाए रखती है और त्वचा की समस्याओं जैसे जलन, खुजली के इलाज में फायदेमंद घास है.

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FIRST PUBLISHED :

October 7, 2024, 21:52 IST

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