मार्गशीर्ष माह में भगवान विष्णु के खास मंत्र
हरिद्वार. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल भर में कुल 12 महीनों का आगमन होता हैं. वैसे तो सभी महीने में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना, जप, व्रत आदि करने पर लाभ होता है, लेकिन कुछ तिथि और मास भगवान विष्णु को अधिक प्रिय हैं. कहा जाता है कि इन तिथियों और हिंदू कैलेंडर के महीने में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना, आराधना, जप-तप, पाठ आदि करने पर विशेष लाभ होता हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के खास मंत्रों और बीज मंत्र का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु के इन खास मंत्रों का जाप और स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आए सभी दुख, समस्याएं खत्म हो जाती हैं और बैकुंठ धाम तक जाने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. भगवान विष्णु को मार्गशीर्ष मास सबसे अधिक प्रिय मास है. ऐसे ही एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. मार्गशीर्ष मास में आने वाली अमावस्या, एकादशी और पूर्णिमा की तिथि बेहद ही खास और विशेष फल प्रदान करने वाली हैं.
विशेष फल की प्राप्ति
भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और व्रत करने की खास तिथियां के बारे में अधिक जानकारी लोकल 18 को देते हुए हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं की मार्गशीर्ष माह भगवान विष्णु को बहुत अधिक प्रिय है. ऐसे ही साल में होने वाली 24 एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है. साल 2024 में होने वाले मार्गशीर्ष मास की अमावस्या मोक्षदा एकादशी और पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के खास मंत्रों और बीज मंत्र का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इन खास दिनों में यदि भगवान विष्णु के निमित्त पूजा अर्चना, मंत्रों का जाप विधि विधान से किया जाए तो जीवन में आए सभी दुख खत्म हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ धाम तक जाने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है.
भगवान विष्णु के खास मंत्र
भगवान विष्णु का स्तुति मंत्र
शांताकारं भुजगशयनं, पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं, मेघवर्णं शुभाङ्गम्।लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं, योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं, सर्वलोकैकनाथम्।।
भगवान विष्णु का शक्तिशाली मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भगवान विष्णु का बीज मंत्र
ॐ बृं
भगवान विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात:
विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र
विश्वं विष्णुर्वषट्कारो भूतभव्यभवत्प्रभुः।भूतकृद्भूतभृद्भावो भूतात्मा भूतभावनः॥१॥पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमा गतिः।अव्ययः पुरुषः साक्षी क्षेत्रज्ञोऽक्षर एव च॥२॥योगो योगविदां नेता प्रधानपुरुषेश्वरः।नारसिंहवपुः श्रीमान् केशवः पुरुषोत्तमः॥३॥सर्वः शर्वः शिवः स्थाणुर्भूतादिर्निधिरव्ययः।संभवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभुरीश्वरः॥४॥स्वयम्भूः शम्भुरदित्यः पुष्कराक्षो महास्वनः।अनादिनिधनो धाता विधाता धातुरुत्तमः॥५॥________________________________________________________आत्मयोनिः स्वयंजातो वैखानः सामगायनः।देवकीनंदनः स्रष्टा क्षितीशः पापनाशनः।।106।। शंखभृन्नंदकी चक्री शार्ङ्गधन्वा गदाधरः।रथांगपाणिरक्षोभ्यः सर्वप्रहरणायुधः।।107।।
सर्वप्रहरणायुध ॐ नमः इति।वनमालि गदी शार्ङ्गी शंखी चक्री च नंदकी।श्रीमान् नारायणो विष्णु: वासुदेवोअभिरक्षतु।
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FIRST PUBLISHED :
November 28, 2024, 13:27 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.