नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि 11-12 जनवरी को दिल्ली में ‘विकसित भारत युवा नेता संवाद' कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और यह पहल उन युवाओं को राजनीति से जोड़ने के प्रयासों का हिस्सा है जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आने वाला दिन भारत का है.
अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात' की 116वीं कड़ी में मोदी ने लोगों से उन प्रवासी भारतीयों की प्रेरक कहानियों का जश्न मनाने का भी आह्वान किया, जिन्होंने विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ी, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया और ‘‘हमारी विरासत'' को संरक्षित किया. उन्होंने कहा कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती बहुत ही विशेष तरीके से मनाई जाएगी.
इस अवसर पर 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवाओं का ‘‘महाकुंभ'' आयोजित किया जाएगा और इस पहल को विकसित भारत युवा नेता संवाद नाम दिया जाएगा.
मोदी ने कहा, ‘‘इसमें पूरे भारत से करोड़ों युवा भाग लेंगे. गांवों, ब्लॉक, जिलों और राज्यों से चुने गए दो हजार ऐसे युवा विकसित भारत युवा नेता संवाद कार्यक्रम के लिए भारत मंडपम में एकत्र होंगे.''
उन्होंने कहा, ‘‘आपको याद होगा कि लाल किले की प्राचीर से मैंने ऐसे युवाओं से राजनीति में आने का आग्रह किया था जिनके परिवार की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं हो. ऐसे एक लाख युवाओं, नए युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए देश में कई विशेष अभियान चलाए जाएंगे. विकसित भारत युवा नेता संवाद ऐसा ही एक प्रयास है.''
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश-विदेश से विशेषज्ञ इसमें भाग लेंगे, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियां इसमें भाग लेंगी और वह स्वयं यथासंभव अधिक समय तक इसमें मौजूद रहेंगे.
मोदी ने कहा, ‘‘युवाओं को सीधे हमारे सामने अपने विचार रखने का अवसर मिलेगा. देश इन विचारों को कैसे आगे बढ़ा सकता है? एक ठोस खाका कैसे बनाया जा सकता है? इन सबकी रूपरेखा तैयार की जाएगी. तो आप भी तैयार हो जाइए. यह उनके लिए एक बेहतरीन अवसर है जो भारत का भविष्य बनाने वाले हैं, जो देश की भावी पीढ़ी हैं.''उन्होंने कहा, ‘‘ आइये, हम सब मिलकर देश का निर्माण करें, देश को विकसित बनाएं.''
मोदी ने राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की भी सराहना की और कहा, ‘‘एनसीसी का नाम हमें स्कूल एवं कॉलेज के दिनों की याद दिलाता है.''
उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्वयं एनसीसी कैडेट रहा हूं, इसलिए मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इससे मुझे जो अनुभव मिला वह मेरे लिए अमूल्य है. एनसीसी युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है.''
मोदी ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने में भारत की ‘युवा शक्ति' की करुणा और ऊर्जा सराहनीय है. इस संदर्भ में उन्होंने लखनऊ के एक युवा का उदाहरण दिया जो जीवन प्रमाणपत्र डिजिटल माध्यम से जमा करने में बुजुर्गों की मदद करता है. उन्होंने अहमदाबाद के एक व्यक्ति का भी जिक्र किया जो बुजुर्गों को ‘डिजिटल अरेस्ट' सहित साइबर अपराधों के बारे में जागरूक बना रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने ‘मन की बात' के पिछले एपिसोड में ‘डिजिटल अरेस्ट' पर चर्चा की थी. बुजुर्ग लोग इस तरह के अपराधों के सबसे अधिक शिकार होते हैं. ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें जागरुक करें और साइबर धोखाधड़ी से सुरक्षित रहने में उनकी मदद करें.''
मोदी ने कहा, ‘‘हमें लोगों को बार-बार समझाना पड़ रहा है कि ‘डिजिटल अरेस्ट' जैसा कोई प्रावधान नहीं है, ये सरासर झूठ है, लोगों को फंसाने की साजिश है...''गुयाना की अपनी हालिया यात्रा का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत से हजारों किलोमीटर दूर गुयाना में एक ‘लघु भारत' बसता है.
उन्होंने कहा, ‘‘लगभग 180 वर्ष पहले भारत से लोगों को खेतों में काम करने तथा अन्य कार्यों के लिए गुयाना ले जाया गया था. आज गुयाना में भारतीय मूल के लोग हर क्षेत्र में देश का नेतृत्व कर रहे हैं - चाहे वह राजनीति हो, व्यापार हो, शिक्षा हो या संस्कृति हो. गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं और उन्हें अपनी भारतीय विरासत पर गर्व है.''
मोदी ने कहा, ‘‘जब मैं गुयाना में था, तो मेरे मन में एक विचार आया जिसे मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं. गुयाना की तरह ही, दुनिया भर के दर्जनों देशों में लाखों भारतीय हैं. उनके पूर्वजों की अपनी दशकों पुरानी कहानियां हैं; यहां तक कि 200-300 साल पुरानी कहानियां भी हैं. क्या आप ऐसी कहानियां सुनना चाहते हैं कि कैसे भारतीय प्रवासियों ने विभिन्न देशों में अपनी पहचान बनाई?''
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने किस तरह स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया. उन्होंने अपनी भारतीय विरासत को किस तरह जीवित रखा. मैं चाहता हूं कि आप ऐसी सच्ची कहानियों का पता लगाएं और उन्हें मेरे साथ साझा करें. आप इन कहानियों को ‘प्रवासी भारतीय कहानियां' हैशटैग के साथ ‘नमो ऐप' या ‘माईजीओवी' पर साझा करें.''
मोदी ने ओमान में जारी एक असाधारण परियोजना पर भी प्रकाश डाला और कहा कि कई भारतीय परिवार कई शताब्दियों से उस देश में रह रहे हैं, जिनमें से अधिकतर गुजरात के कच्छ से हैं. उन्होंने कहा कि इन लोगों ने महत्वपूर्ण व्यापारिक संबंध बनाए और आज भी उनके पास ओमानी नागरिकता है, लेकिन भारतीयता उनके व्यक्तित्व में समाहित है.
मोदी ने कहा, ‘‘ ओमान स्थित भारतीय दूतावास और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के सहयोग से एक टीम ने इन परिवारों के इतिहास को संरक्षित करने का काम शुरू किया है. इस अभियान के तहत अब तक हजारों दस्तावेज एकत्र किए जा चुके हैं. इनमें डायरियां, खाता बही, बही-खाते, पत्र और टेलीग्राम शामिल हैं. इनमें से कुछ दस्तावेज तो वर्ष 1838 के भी हैं. इन दस्तावेजों में भावनाओं से भरी बातें हैं.''
उन्होंने कहा कि ‘ओरल हिस्ट्री प्रोजेक्ट' इस मिशन का एक महत्वपूर्ण आधार है और इस मिशन में वहां के वरिष्ठ लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं तथा इसी प्रकार की परियोजना भारत में भी चलाई जा रही है. ‘एक पेड़ मां के नाम' अभियान का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि पूरे देश से लोगों ने बड़े उत्साह के साथ इसमें भाग लिया.
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