हरिद्वार. हरिद्वार के गंगनहर की तस्वीरें चर्चाओं में हैं, जहां सफाई के दौरान मिले रेलवे ट्रैक ने सबको चौंका दिया है. हर की पौड़ी की तस्वीरें देखकर हर कोई हैरान है. हर साल की तरह इस बार भी 12 अक्टूबर की रात से ही गंगनहर को साफ-सफाई के लिए बंद कर दिया गया. गंगनहर में जैसे ही पानी कम हुआ वहां के घाटों की बदसूरती देख श्रद्धालु निराश हो गए. पानी की धारा तेज न होने से हर की पैड़ी पर स्नान तो दूर आचमन तक का जल नहीं बचा. दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु निराश होकर लौटते रहे.
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग और गंगासभा के बीच बातचीत हुई है. अधिकारियों ने जल छोड़ने का आश्वासन दिया है. सीनियर अफसरों का कहना है कि 1 नवंबर को गंगा में पानी पूरी तरह से छोड़ा जाएगा, जिससे हरि की पौड़ी और अन्य घाटों पर जल की आपूर्ति हो सकेगी.
इसी बीच, हरिद्वार में हर की पैड़ी पर डुबकी की लगाने लायक पानी छोड़ दिया गया है. लोग हर की पैड़ी पर गंगा में डुबकी लगाकर स्नान कर रहे हैं. गंगा बंदी के बाद हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर जल सूख जाने की वजह से लोग स्नान नहीं कर पा रहे थे और उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा था. शुक्रवार सुबह यूपी सिंचाई विभाग में ब्रह्मकुंड पर डुबकी लगाने योग्य जल छोड़ दिया गया है.
वीआईपी घाट के पास गंगा के अंदर रेलवे की पटरीनुमा लोहे के ट्रैक की सच्चाई भी सामने आई है. इस घाट से हरिद्वार रेलवे स्टेशन करीब 3 किलोमीटर दूरहै. ट्रैक को देखकर लोगों के मन में जिज्ञासा हुई. रेलवे ट्रैक के फोटो और वीडियो में तरह-तरह के दावे किए गए. जानकारों के मुताबिक, 1850 के आसपास गंग नहर के निर्माण हुआ था. लॉर्ड डलहौजी ने इस प्रोजेक्ट का सपना देखा था. इन दौरान ट्रैक पर चलने वाली हाथगाड़ी का इस्तेमाल निर्माण सामग्री ढोने के लिए किया गया था. भीमगौड़ा बैराज से डाम कोठी तक डैम और तटबंध बनाए जाने का काम पूरा होने के बाद अंग्रेज अफसर निरीक्षण करने के लिए इन गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे.
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FIRST PUBLISHED :
October 17, 2024, 21:44 IST