नई दिल्ली. बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी का एक हिस्सा है. बिटकॉइन एक वर्चुअल करेंसी है. यानी यह सच में कोई फिजिकल मुद्रा नहीं है. यह कंप्यूटर सिस्टम द्वारा जेनरेटे एक आभासी मुद्रा है जिसे मान्यता तो शायद ही किसी देश ने दी हो लेकिन फिर इसकी इस्तेमाल ट्रेड के लिए होता है. यूएस व यूके जैसे देशों में इसका इस्तेमाल अवैध नहीं है. वहीं, यूएई में यह एक गैर-कानूनी करेंसी है. भारत में इसे लेकर नियम-कानून थोड़े अटपटे हैं. सरकार इसे मान्यता नहीं देती लेकिन इसकी खरीद-फरोख्त से हुए लाभ पर टैक्स जरूर लेती है. आरबीआई बिटकॉइन को इकोनॉमी के लिए सही नहीं बताता है.
बिटकॉइन अभी भारतीय राजनीति के केंद्र में है. दरअसल, पूर्व आईपीएस अधिकारी रविंद्रनाथ पाटिल ने एनसीपी-एसपी की नेता सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले पर आरोप लगाया है कि इन्होंने 2018 में गैर-कानूनी रूप से बिटकॉइन से बनाई गई रकम का इस्तेमाल चुनावों में फंडिंग के लिए किया. इसके बाद कई लोगों के मन में बिटकॉइन को लेकर कई तरह से सवाल पैदा हो रहे हैं. उन्हीं में से कुछ का जवाब हम यहां देने का प्रयास कर रहे हैं.
कब हुई शुरुआत
बिटकॉइन (Bitcoin) का जन्म 2008 में हुआ. कोई नहीं जानता कि इसका जनक कौन है. बस लोगों को एक नाम पता है “सातोशी नाकामोतो”. अब यह एक व्यक्ति भी हो सकता है या व्यक्तियों का समूह भी. इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. बिटकॉइन को विकेन्द्रीकरण (decentralization) और एक डिजिटल मुद्रा के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो किसी केंद्रीय बैंक या सरकार के नियंत्रण से बाहर हो. बिटकॉइन का पहला लेन-देन 2009 में हुआ था, जब सातोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन नेटवर्क के माध्यम से 50 बिटकॉइन का खनन (mining) किया और इसे एक अन्य यूजर को भेजा. धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल बढ़ा और इसकी वैल्यू में भी तेजी से इजाफा होने लगा. लोग इस करेंसी को ट्रेड करने लगे जिसकी वजह से कई लोग करोड़ों के मालिक बन गए.
क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन एक विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है, जो ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain technology) पर आधारित है. ब्लॉकचेन एक तरह का वितरित बही-खाता (ledger) है, जिसमें सभी लेन-देन का रिकॉर्ड सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से रखा जाता है. यह क्रिप्टोग्राफिक तकनीक से सुरक्षित रहता है और इसका कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं होता.
वर्तमान स्थिति
आज बिटकॉइन दुनिया भर में एक लोकप्रिय निवेश साधन बन चुका है, और इसके मूल्य में लगातार उतार-चढ़ाव होते रहते हैं. 2017 में बिटकॉइन ने $20,000 के आसपास का ऐतिहासिक मूल्य छुआ, हालांकि बाद में इसके मूल्य में गिरावट आई. फिर भी, बिटकॉइन ने अपनी पहचान एक वैकल्पिक मुद्रा के रूप में बनाई है, जिसका इस्तेमाल अब निवेशक, व्यापारी, और यहां तक कि कुछ देशों में वैध मुद्रा के रूप में भी किया जा रहा है.
भारत में बिटकॉइन
बिटकॉइन भारत में 2010 के दशक में डिजिटल मुद्रा के रूप में लोकप्रिय होना शुरू हुआ. इसके शुरुआती यूजर तकनीकी विशेषज्ञ और निवेशक थे, जो इसे एक नवाचार और वैकल्पिक निवेश के रूप में देख रहे थे. जैसे-जैसे क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता बढ़ी, भारत में भी बिटकॉइन को लेकर रुचि बढ़ने लगी.
कानूनी स्थिति
भारत में बिटकॉइन की कानूनी स्थिति विवादास्पद रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया. इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी बाजार ने भारत में तेजी पकड़ी. हालांकि, सरकार ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी पर कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाए हैं.
वर्तमान स्थिति
भारत में कई प्रमुख प्लेटफॉर्म जैसे WazirX, CoinSwitch, और CoinDCX बिटकॉइन खरीदने और बेचने की सुविधा देते हैं. बिटकॉइन को अब न केवल एक निवेश साधन के रूप में देखा जाता है, बल्कि कुछ व्यापारी इसे भुगतान के माध्यम के रूप में स्वीकार भी करने लगे हैं.
सरकार की नीति
भारत सरकार बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने के लिए एक विधेयक तैयार कर रही है. इसका उद्देश्य अवैध गतिविधियों को रोकना और निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना है. इसके साथ ही, केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के रूप में एक वैध डिजिटल मुद्रा लाने पर भी काम कर रहा है.
चुनौतियां
अनिश्चितता: बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नीतिगत अनिश्चितता.
जोखिम: क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य अस्थिर है, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है.
सुरक्षा: धोखाधड़ी और हैकिंग के मामले.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 21:26 IST