हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है यह दरगाह, दोनों धर्म के लोग चढ़ाते हैं चादर

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अजमेर

अजमेर दरगाह

अजमेर. राजस्थान के अजमेर शहर में एक प्रसिद्ध सूफी दरगाह है. यह दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि है, जो एक महान सूफी संत माने जाते हैं. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम के सूफी चिश्ती सिलसिले का प्रसार किया था और उनकी शिक्षा में मानवता, प्रेम और समर्पण का संदेश निहित है.

मुगल सम्राट अकबर ने भी नियमित रूप से आकर ख्वाजा साहब से आशीर्वाद प्राप्त किया था. आज यह दरगाह हर धर्म, जाति, और संप्रदाय के लोगों के लिए एक श्रद्धा स्थल है, जहां वे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मांगते हैं. अजमेर में यहां हर ‘उर्स’ का आयोजन होता है, जो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के निधन का प्रतीक है, और जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं. दरगाह परिसर में बुलंद दरवाजा, बेगम की ढलान और संगे मरमर का हौज जैसी आकर्षक चीज़ें हैं, और यह पूरी जगह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.

अजमेर शरीफ को चादर क्यों चढ़ाई जाती है
अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसे श्रद्धा, सम्मान, और मन्नत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. चादर चढ़ाने की यह रस्म सूफी परंपरा का हिस्सा है और इसका उद्देश्य ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करना होता है.

मन्नत होती है पूरी
दरगाह पर चादर चढ़ाकर लोग ख्वाजा साहब के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं. इसे संत के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है. लोग मानते हैं कि दरगाह पर चादर चढ़ाने से उनकी मन्नत पूरी होती है. दरगाह पर आने वाले श्रद्धालु अपने मन की इच्छाओं को पूरा करने की कामना के साथ चादर चढ़ाते हैं. सूफी संतों की दरगाहों पर चादर चढ़ाने का एक उद्देश्य आशीर्वाद प्राप्त करना भी होता है. लोग यह मानते हैं कि ऐसा करने से उन्हें संत का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उनके जीवन को सुखमय बना सकता है. अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने के लिए सभी धर्मों के लोग आते हैं, जिससे सांप्रदायिक एकता का संदेश मिलता है. चादर चढ़ाना इस बात का प्रतीक है कि दरगाह पर सभी धर्मों के लोगों का स्वागत है और यहां सभी को एक समान माना जाता है.

उर्स के अवसर पर चढ़ाई जाती है विशेष चादर
आपको बता दें कि उर्स के दौरान ख्वाजा साहब की दरगाह पर विशेष चादर चढ़ाई जाती है, जो उर्स का मुख्य हिस्सा होता है. इसे प्रेम और सम्मान की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है और इसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं. अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाना लोगों की आस्था, भक्ति और विश्वास का एक महत्वपूर्ण रूप है और यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है.

Tags: Ajmer news, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

October 27, 2024, 16:51 IST

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