Agency:News18 Himachal Pradesh
Last Updated:February 06, 2025, 23:13 IST
कांगड़ा जिले में 21वीं पशु गणना 25 फरवरी को खत्म होगी. यह गणना डिजिटल रूप से की जा रही है, जिससे सटीक डेटा संग्रह होगा. पशुपालकों को सरकारी योजनाओं, आर्थिक सहायता और चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिलेगा. साथ ही, आवा...और पढ़ें
पशु गणना
हाइलाइट्स
- पशु गणना डिजिटल रूप से की जा रही है ताकि सटीक डेटा दर्ज हो.
- पशुपालकों को सरकारी योजनाओं और अनुदान का लाभ मिलेगा.
- आवारा पशुओं की समस्या के समाधान में मदद मिलेगी.
धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में पशुओं की गणना हर 5 से 6 साल में की जाती है. साल 2024 में 21वीं पशु गणना की शुरू की गई थी. इस गणना में पहाड़ी गायों, आवारा पशुओं, और कुत्तों की गणना की गई थी. इसके जरिए प्रदेश में पशुओं की संख्या का सही आकलन किया जा रहा है. पशुओं को बेहतर सुविधाएं देने के लिए योजनाएं बनाई जा सकती हैं. वहीं जिला कांगड़ा की बात को जाएं तो पशु गणना का काम 25 अक्टूबर 2024 में शुरू हुआ था जो 25 फरवरी को संपन्न होगा.
इस गणना को 2 भागों में बांटा गया है, जिसमें घरेलू पशु और आवारा पशु रखे हुए हैं. इस आंकड़े को पशु चिकित्सा विभाग की ऐप पर अपडेट लिया जा रहा है. जिला एनिमल हेल्थ असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप मिश्रा ने बताया कि सारा डाटा डिजिटल तौर पर अपलोड हो रहा है. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और एक एक पशु को गणना से जोड़ा जा सकेगा.
कांगड़ा के लगभग 1100 गांव में पूरी हुई गणना
कांगड़ा जिले में चल रही 21वीं पशु गणना में अभी तक विभाग ने 4006 गांव में से लगभग 1100 गांव में सफलतापूर्व गणना की है. हालांकि, जो गांव अभी बचते हैं, वहां विभाग पूरे जोरों शोरों से काम कर रहा है.
क्या हैं इसके फायदे ?
अधिकारी संदीप मिश्रा ने बताया किइस गणना में पशुपालकों के घरों में पाले गए पशुओं की गिनती की जाती है. गाय, भैंस, भेड़, बकरी, मुर्गी, और कुत्ते जैसे सभी पशुओं को शामिल किया जाता है. पशुपालकों से अपने पालतू जानवरों का सही डेटा मांगा जाता है. इन आंकड़ों का इस्तेमाल पॉलिसी बनाने और फ़ंड आवंटन में किया जाता है. ऐसे ही कई ऐसे फायदे भी हैं, जो पशुपालकों को होंगे. उन्होंने कहा कि सभी पशुपालक अपने पशुओं को गणना के लिए विभाग का सहयोग करें.
Location :
Kangra,Himachal Pradesh
First Published :
February 06, 2025, 23:13 IST