बागेश्वर/सुष्मिता थापा: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के ऊंचे पर्वतों और बर्फीले ग्लेशियरों के बीच, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के पवित्र और पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र सुंदरढूंगा ग्लेशियर पर एक अवैध ढांचा खड़ा हो गया था. यह ढांचा किसी आम व्यक्ति ने नहीं, बल्कि बाबा चैतन्य आकाश ने देवी कुंड के पास बना लिया था, जो स्थानीय लोगों के लिए अटूट आस्था का केंद्र है.
यह कहानी तब शुरू हुई जब जुलाई के महीने में सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो गईं. इन तस्वीरों में बाबा चैतन्य आकाश, देवी कुंड के पवित्र जल में स्नान करते हुए दिख रहे थे. जैसे ही ये तस्वीरें सामने आईं, स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. उनके लिए यह न केवल धार्मिक आस्था का अपमान था, बल्कि उस क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी एक गंभीर खतरा था.
स्थानीय लोगों ने तुरंत प्रशासन से कार्रवाई की मांग की. यह इलाका नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है, जो यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है. यहां कोई भी निर्माण या मानवीय हस्तक्षेप सख्त रूप से प्रतिबंधित है. लेकिन बाबा ने इन नियमों को ताक पर रखकर, देवी कुंड के पास एक ढांचा खड़ा कर लिया था.
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अधिकारियों ने कार्रवाई की ठानी और दो बार बाबा के इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का प्रयास किया, लेकिन पहाड़ी मौसम ने उनकी कोशिशों पर पानी फेर दिया. मानसून की तेज बारिश और दुर्गम रास्तों ने टीम को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था. फिर आया अक्टूबर का महीना और 3 अक्टूबर को प्रशासन और पुलिस की 17 सदस्यीय टीम ने एक बार फिर इस दुर्गम यात्रा की शुरुआत की. यह सिर्फ एक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं थी, बल्कि प्रकृति के खिलाफ एक चुनौती थी. टीम ने 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस अवैध ढांचे तक पहुंचने के लिए दो दिन तक कठिन हिमालयी रास्तों को पार किया.
5 अक्टूबर को, जब टीम आखिरकार उस जगह पहुंची, जहां बाबा ने ढांचा बनाया था, तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था. बाबा नदारद थे, और केवल कुछ चटाइयां वहां पड़ी हुई थीं. टीम ने बिना समय गंवाए ढांचे को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया और वहां से लौट आई. इस कार्रवाई से स्थानीय लोगों में राहत की लहर दौड़ गई. कपकोट एसडीएम अनुराग आर्य ने बताया, “यह इलाका पर्यावरणीय रूप से अत्यधिक संवेदनशील है. हम किसी भी अवैध गतिविधि की अनुमति नहीं दे सकते. अगर बाबा या कोई अन्य व्यक्ति दोबारा इस तरह की कोशिश करेगा, तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.”
लेकिन यह सिर्फ एक अध्याय का अंत नहीं था. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि बाबा को अधिकारियों के आने से कुछ ही समय पहले इलाके में घूमते हुए देखा गया था. यह आशंका बनी हुई है कि बाबा फिर से इस इलाके में लौटने की कोशिश कर सकते हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस क्षेत्र में नियमित निगरानी रखी जाए, ताकि भविष्य में फिर से कोई अवैध निर्माण न हो.
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इस घटना ने एक बड़ी बहस को जन्म दिया है. नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व जैसे दूरस्थ और संवेदनशील क्षेत्रों में बढ़ती अवैध गतिविधियां चिंता का विषय हैं. एक तरफ यहां की दुर्गमता प्रशासनिक कार्रवाई को चुनौतीपूर्ण बनाती है, तो दूसरी तरफ पर्यावरणीय सुरक्षा और सांस्कृतिक आस्था की रक्षा का मुद्दा भी अहम है. इस बार प्रशासन ने बाबा के ढांचे को गिरा दिया, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अंतिम जीत है या केवल संघर्ष की शुरुआत? पहाड़ों के बीच यह गाथा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. स्थानीय लोग और अधिकारी दोनों अब इस क्षेत्र पर पैनी नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि प्रकृति और आस्था के इस संगम स्थल की सुरक्षा उनके लिए सर्वोपरि है. फिलहाल, नंदा देवी के इस पवित्र क्षेत्र में शांति लौटी है, लेकिन पहाड़ों की खामोशी के पीछे एक नई कहानी बनने की आशंका भी छिपी है.
टीम से मिल रही जानकारी के अनुसार कुछ ग्रामीण और बाबा आने वाली नवमी को इस अवैध निर्माण पर मां भगवती की मूर्ति स्थापित करने की कोशिश में थे, इस तैयारी की भनक प्रशासन को लगी और आनन फानन में बाबा के इस अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया. कुछ ग्रामीणों की माने तो उनका कहना है कि बाबा इस निर्माण के बाद यहां सड़क बिछाने का प्लान कर रहे थे. अवैध अतिक्रमण ध्वस्त करने गई टीम के एक सदस्य ने नाम ना छापने की शर्त पर News 18 को बताया कि अतिक्रमण का निर्माण काफी मजबूती से किया गया था, पूरा स्ट्रक्चर पहले लकड़ी और फिर पत्थरों से तैयार किया गया था, शुरुआती दौर में हथौड़ा मारते मारते टीम के सदस्यों का हाथ दर्द हो गये लेकिन स्ट्रक्चर से एक पत्थर नहीं हिला, 5 से 6 घंटे की मेहनत के बाद अवैध निर्माण को ध्वस्त किया गया.
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FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 21:45 IST