16 साल बाद भी नहीं मिली मां को डिग्री, अब बेटा लगा रहा यूनिवर्सिटी के चक्कर!

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गजब खेल है...16 साल बाद भी नहीं मिली मां को डिग्री, अब बेटा लगा रहा यूनिवर्सिटी के चक्कर!

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विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय के बाहर छात्रों का जमावड़ा

आगरा: डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय समस्याओं का गढ़ बना हुआ है. जहां एक तरफ मंगलवार को विश्वविद्यालय अपना 90 वां दीक्षांत समारोह धूमधाम से मना कर अपनी पीठ थप- थपा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ़ हेल्प डेस्क पर सैकड़ों छात्रों की लाइन लगी हुई है. जिन्हें मार्कशीट, डिग्री, इनरोलमेंट प्रोविजनल जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. हद तो तब हो गई जब 16 साल से एक महिला टीचर की डिग्री नहीं बन पाई. अब उसका बेटा अपनी मां की डिग्री बनवाने के लिए यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहा है.

सोमवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हेल्प डेस्क के सामने सैकड़ों छात्रों की लाइन लगी हुई थी. इस लाइन में लोहा मंडी का रहने वाला दिव्यांश अपनी मां की डिग्री बनवाने के लिए खड़ा था. दिव्यांश से बात करने के दौरान पता चला कि उसकी मां गरिमा अग्रवाल टीचर हैं. 2008 में KMI इंस्टीट्यूट से पीएचडी की डिग्री की थी. लेकिन अभी तक उन्हें डिग्री नहीं मिली है. मां गरिमा अग्रवाल ने यूनिवर्सिटी के तमाम चक्कर लगाए. लेकिन डिग्री नहीं बन पाई .अब उनका बेटा दिव्यांश लाइन में लग कर अपनी मां की डिग्री बनवाने में लगा हुआ है. दिव्यांश का कहना है कि हेल्प डेस्क के 10 बार चक्कर लगा चुका है. कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है. इधर से उधर घुमाया जाता है.

एनरोलमेंट नंबर भी नहीं चढ़ा!
एमएससी एग्रीकल्चर करने वाले भरतपुर के वीरपाल सिंह बताते हैं कि 2022-23 में पास आउट हो चुके हैं. चार-पांच चक्कर काट चुके हैं. उनकी मार्कशीट में फर्स्ट ईयर में ही एनरोलमेंट नंबर दर्ज है. बाकी सालों की मार्कशीट में एनरोलमेंट नंबर दर्ज नहीं है. इतने छोटे से काम के लिए हर बार चक्कर कटवाते हैं.ऑनलाइन ट्रेस किया तो भी फायदा नहीं हुआ. हेल्प डेस्क वाले हमसे ही जवाब मांगते हैं. ऑरिजिनल मार्कशीट तो अब तक नहीं मिली है.

आज है दीक्षांत समारोह और कुछ दिन बाद होगा नैक का निरीक्षण
आगरा में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का मंगलवार को 90वां दीक्षांत समारोह है. कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल सोमवार को ही पहुंच गई है.  24 से 26 अक्टूबर तक नैक का निरीक्षण होना है. इसके लिए कुलाधिपति ने सभी विभागों में तैयारियों की समीक्षा की. लेकिन विश्वविद्यालय के बाहर हेल्प डेस्क पर खड़े छात्रों पर किसी का ध्यान नहीं गया. छात्र परेशानियों से जूझ रहे हैं. हेल्प डेस्क से कोई जवाब नहीं मिलता है. ऑनलाइन ट्रैकिंग का भी सिस्टम ध्वस्त है. विश्वविद्यालय एक तरफ नैक में ए प्लस ग्रेड लाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, तो दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के ही सैंकड़ों छात्र सालों से अपनी डिग्रियों और मार्कशीट्स के लिए चक्कर काट रहे हैं. विश्वविद्यालय का दावा है की हेल्प डेस्क पर सभी समस्याओं का समाधान तय समय में होगा. लेकिन सभी दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं.

Tags: Education, Local18

FIRST PUBLISHED :

October 22, 2024, 10:56 IST

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