1857 की क्रांति में रीवा के इस शासक ने दिया था अंग्रेजों का साथ, 2,000 सैनिकों की दी थी मदद!
रीवा के महराजा की गजब थी रणनीति स्वतंत्रता की लड़ाई में अंग्रेज से बचाई रियासत।
हेडिंग: मध्य प्रदेश के रीवा राज्य में बघेल वंश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर बहुत समृद्ध रही है. इस वंश के शासक महाराज रघुराज सिंह (1854-1881) ने अपनी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता और सांस्कृतिक योगदान से इसे और भी विशेष बनाया. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सरकार का समर्थन किया.जबकि अपने राज्य और जनता की भलाई के लिए महत्वपूर्ण कार्य भी किए. उनके शासनकाल में रीवा की राजनीति और संस्कृति दोनों का उत्थान हुआ.
1857 के विद्रोह के दौरान महाराज रघुराज सिंह ने ब्रिटिश सरकार का समर्थन करते हुए 2,000 सैनिकों को शांति बनाए रखने के लिए भेजा. इसके बदले में उन्हें अंग्रेजों से सोहागपुर और अमरकंटक के क्षेत्रीय अधिकार मिले. हालांकि, उनकी यह सहायता ब्रिटिश समर्थक लगती थी.परंतु उन्होंने इस दौरान स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों के हितों की भी रक्षा की. इस दोहरी नीति ने उन्हें एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में स्थापित किया.
सांस्कृतिक और प्रशासनिक धरोहर
रघुराज सिंह संस्कृत, फारसी और अंग्रेजी के विद्वान थे. उन्होंने अपने शासनकाल में धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया. उन्होंने दशघरा शतरंज की शुरुआत की और जगन्नाथ पुरी की यात्रा के बाद “जगदीश शतक” की रचना की. रीवा में 1862 में ब्रिटिश एजेंसी की स्थापना उनके शासनकाल की एक महत्वपूर्ण घटना थी. जिसे उन्होंने बाद में भंग करवा कर अपने राज्य की स्वायत्तता को बनाए रखने का प्रयास किया.1881 में महाराज रघुराज सिंह का निधन हुआ. लेकिन उनकी विरासत में सांस्कृतिक संरक्षण और प्रशासनिक उत्कृष्टता का मेल देखने को मिलता है
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FIRST PUBLISHED :
October 24, 2024, 20:29 IST