भोजपत्र पर लिखा गया अग्रभागवत ग्रंथ
रतन गोठवाल /अजमेर: हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों, श्रीमद् भागवत और रामचरित मानस की तर्ज पर, अग्रवाल समाज ने भी श्री अग्र भागवत ग्रंथ का प्रकाशन किया है. इस पहल का उद्देश्य इस ग्रंथ को देशभर में निवास कर रहे 3 करोड़ अग्रवाल परिवारों तक पहुंचाना है, ताकि वे अग्रसेन जी के सद्भाव और शांति के सिद्धांतों को जान सकें.
ग्रंथ का विवरण
अग्र भागवत ग्रंथ में 27 अध्याय शामिल हैं, जो अग्रसेन जी की जीवनी और उनके सिद्धांतों का वर्णन करते हैं. यह ग्रंथ मात्र 49 ग्राम वजन का है और इसे 216 भोजपत्रों पर लिखा गया है. इसे पोथी के रूप में प्रकाशित किया गया है.
अभियान का उद्देश्य
अग्रसेन भगवत प्रचार समिति के अध्यक्ष, अशोक पंसारी ने बताया कि हर परिवार तक यह ग्रंथ पहुंचाने के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है. उनका लक्ष्य है कि नई पीढ़ी अग्रसेन जी महाराज के सद्भाव और समाजवाद के सिद्धांतों से अवगत हो. उन्होंने कहा कि कोई भी समाज बंधु इस ग्रंथ को निशुल्क ले सकता है.
प्रकाशन की कहानी
समिति के अध्यक्ष ने बताया कि भगवान अग्रसेन के बारे में जानकारी एकत्रित करने के लिए ग्रंथ के रचयिता, महर्षि रामगोपाल, हिमाचल के खेवसा गांव में नदी के किनारे भ्रमण कर रहे थे. वहीं, एक साधु संत ने उन्हें भोजपत्र दिए. रामगोपाल ने जब इन भोजपत्रों को घर लाया, तो उन पर लिखावट नजर नहीं आ रही थी. एक दिन उनकी आँखों से छलके आंसू भोजपत्रों पर गिरे, जिससे कुछ शब्द उभर आए. इसके बाद, कई वर्षों की मेहनत के बाद पता चला कि यह ग्रंथ महर्षि जैमिनी द्वारा लिखा गया था. अंततः, इसका प्रकाशन हिंदी में कराया गया. इस प्रकार, अग्रवाल समाज ने अपनी संस्कृति और मूल्यों को संजोए रखने के लिए इस महत्वपूर्ण ग्रंथ का प्रकाशन किया है.
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FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 18:53 IST