30 साल से सड़क नहीं देखी, शादी-ब्याह में फजीहत हो जाती है...इस बार 'नो वोट'

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देवघर

देवघर के तिलैया गांव में आजादी से अभी तक नहीं बन पाई पक्की सड़क.

Deoghar Chunav 2024: अक्टूबर के महीने में गुलाबी ठंड दस्तक दे चुकी है. इसी बीच झारखंड में राजनीतीक सरगर्मी से सियासी पारा चढ़ गया है. जी हां, झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. दो चरणों में चुनावी मतदान होना है. जहां देवघर विधानसभा में दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान होना है. इस बीच कई मुद्दे सामने आ रहे हैं. ऐसे ही एक गांव में लोकतंत्र के इस महापर्व में कोई उत्साह नहीं देखा जा रहा, बल्कि इस चुनाव में नेताओं को सबक सिखाने की ठान ली गई है. देवघर मुख्यालय से 16 किलोमीटर की दूरी पर बसे तिलैया गांव के लोग इस बार विधानसभा चुनाव में रोड नहीं तो वोट नहीं नारा लगाने को मजबूर हैं.

जसीडीह स्थित डिग्रियां पहाड़ की तराई पर बसें तिलैया गांव में करीब 600 की आबादी है. यह गांव आजादी के 78वें साल में भी बुनयादी सुविधाओं से कोसो दूर है. पढ़ाई के लिए बेहतर स्कूल नहीं, पीने के लिए पानी नहीं और आने जाने के लिए रास्ता नहीं. ग्रामीणों का मानना है कि जब सड़क ही नहीं बन पा रही है तो वह अपने मताधिकार का प्रयोग क्यों करें. इसलिए इस विधानसभा के चुनाव में तिलैया गांव के लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लगाया है.

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण गौरव कुमार ने लोकल18 को बताया कि आजादी से लेकर आज तक इस गांव में आने-जाने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है. इस कारण हम आज भी कच्चे रास्तों पर चलने को मजबूर हैं. ग्रामीण चंदन कुमार बताते हैं कि सड़क न होने के कारण एंबुलेंस गांव में आने से इनकार कर देती है, जिसके कारण मरीजों को कंधों पर उठाकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है. एक अन्य ग्रामीण, अमर, बताते हैं कि बारिश के मौसम में समस्या और भी विकराल हो जाती है. सड़कों पर कीचड़ भर जाता है, जिससे चारपहिया या दोपहिया वाहनों का आना-जाना तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है.

शादी-ब्याह के मौके पर बारात गांव तक नहीं पहुंच पाती, और दूल्हे को बाइक पर बैठाकर मंडप तक लाया जाता है. बाराती अक्सर जूते हाथ में लेकर पैदल ही मंडप तक पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में कई बार गांववाले गिरकर चोटिल हो जाते हैं.

सड़क का मुद्दा बनाकर आते हैं नेता
ग्रामीणों का कहना है कि जब-जब चुनाव आते हैं, तब-तब नेताओं का जमावड़ा गांव में लगता है. सड़क की मांग को लेकर कई बार वर्तमान विधायक नारायण दास से गुहार लगाई गई, लेकिन हर बार केवल आश्वासन देकर वे लौट जाते हैं. नेता वोट मांगने के समय लोगों को बहलाते-फुसलाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद हमारी मांगों को आश्वासनों की पोटली में बांधकर भूल जाते हैं।

वोट बहिष्कार की तैयारी
गांववालों का मानना है कि उन्होंने कई साल से लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और वोट दिए हैं, लेकिन जिस उम्मीद के साथ उन्होंने वोट किया, वह कभी पूरी नहीं हुई. इसलिए, तिलैया गांव के ग्रामीणों ने इस साल वोट बहिष्कार करने का फैसला किया है. उनका मानना है कि जब उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, तो वोट क्यों दें?

Tags: Deoghar news, Jharkhand predetermination 2024, Jharkhand news, Latest hindi news, Local18

FIRST PUBLISHED :

October 24, 2024, 18:33 IST

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