मुंबई: महाराष्ट्र में प्रचंड जीत के बाद भी महायुति की परेशानी कम नहीं हुई है. सीएम का चुनाव करना महायुति के लिए कठिन टास्क हो गया है. देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री कौन होगा? इस पर महासस्पेंस है. महायुति ने जितनी आसानी से एमवीए को शिकस्त दी, उतनी ही मुश्किल उसे नया सीएम चुनने में हो रही है. यही वजह है कि महायुति में सबसे बड़ी पार्टी अब तक फैसला नहीं ले पाई है. महाराष्ट्र में महायुति ‘बीएम’ फॉर्मूला में फंस चुका है. बीएम मतलब ब्राह्मण या मराठा… दोनों में किसे सीएम बनाया जाए, भाजपा इसी उधेड़बुन में फंसी है. देवेंद्र फडणवीस ब्राह्मण हैं तो एकनाथ शिंदे मराठा.
दरअसल, भाजपा के पास 132 सीटें हैं. इसका मतलब है अपने दम पर बहुमत से महज कुछ सीट कम. वह चाहे तो शिंदे की बात न सुनकर भी देवेंद्र फडणवीस को अपना मुख्यमंत्री बना दे. मगर भाजपा ऐसा करके भविष्य में कोई नुकसान नहीं उठाना चाहती. यही वजह है कि वह इस मामले में फूंक-फूंककर कदम रख रही है. महायुति को देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगाने में एक डर सता रहा है. वह डर है मराठा समुदाय की नाराजगी. भाजपा चाहती है कि सीएम नाम का ऐलान होने से पहले हर समीकरण साध लिए जाएं. ताकि मराठा समुदाय नाराज भी न हो और उद्धव ठाकरे को सियासी संजीवनी भी न मिले.
यह बात तो तय है कि सीएम की रेस में एकनाथ शिंदे अब भी बने हुए हैं. भले ही वह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं. मगर जानकार अब भी उन्हें देवेंद्र फडणवीस के सामने सीएम का प्रबल दावेदार मान रहे हैं. एक ओर जहां भाजपा को लगता है कि देवेंद्र फडणवीस के काम की वजह से महाराष्ट्र में उसे बड़ी जीत मिली है. दूसरी ओर शिंदे गुट वाली शिवसेना को लगता है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और लोककल्याणकारी योजनाओं की वजह से महायुति ने प्रचंड जीत का परचम लहराया है. यही वजह है कि सीएम पद पर दोनों पक्षों का दावा मजबूत है. हालांकि, एकनाथ शिंदे ने गेंद पीएम मोदी और अमित शाह के पाले में डाल दिया है. यानी महाराष्ट्र के सीएम पर फैसला भाजपा को ही करना है.
महाराष्ट्र में सीएम के नाम पर अब तक ऐलान हो चुका होता. मगर असल मसला ब्राह्मण और मराठा पर फंस चुका है. भाजपा नहीं चाहती कि देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने पर उससे मराठा समुदाय नाराज हो जाए. इसका असर भाजपा लोकसभा चुनाव में देख चुकी है. आगे नगर निगम चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में अगर मराठा समुदाय नाराज होता है तो भाजपा के लिए यह कहीं से भी अच्छे संकेत नहीं हैं. महाराष्ट्र के सियासी इतिहास में ब्राह्मण समुदाय से कम ही मुख्यमंत्री हुए हैं. शिवसेना के भीतर से यह आवाज उठी है कि ब्राह्मण सीएम के नीचे दो मराठा डिप्टी सीएम किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं है. अगर ऐसा होता है तो महायुति को मराठा समुदाय की भारी नाराजगी का सामना अगले चुनावों में करना पड़ सकता है.
बस इसी बात ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है. भाजपा अब इसी उलझन में फंस गई है कि महाराष्ट्र का सीएम ब्राह्मण को बनाया जाए या मराठा समुदाय को. यही वजह है कि अब देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में देरी हो रही है. हालांकि, भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. इस वजह से महायुति में ब्राह्मण सीएम पद को लेकर भी माथापच्ची चल रही है. अगर देवेंद्र फडणवीस पर सहमति नहीं बन पाती है तो भाजपा तीसरा रास्ता भी अपना सकती है. जानकारों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के अलावा भाजपा तीसरे विक्लप पर भी विचार कर सकती है. वैसे भी भाजपा चौंकाने में माहिर रही है. चाहे हरियाणा हो या उत्तराखंड… जिसकी चर्चा ज्यादा होती है, जो ज्यादा दिखता है, भाजपा ठीक उसके उलट फैसला लेती है. अगर महाराष्ट्र में भी ऐसा ही हो तो चौंकिएगा नहीं.
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FIRST PUBLISHED :
November 30, 2024, 07:49 IST