BRICS से इतर 5 साल बाद पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच कजान में हुई द्विपक्षीय वार्ता, हो गया ये बड़ा ऐलान

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पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग। - India TV Hindi Image Source : ANI पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग।

कजान (रूस): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर करीब 5 साल बाद द्विपक्षीय वार्ता हुई। यह वार्ता करीब 40 मिनट तक चली। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बाताया कि आज कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पीएम मोदी ने मुलाकात की। इस दौरान भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में 2020 में उभरे मुद्दों के पूर्ण विघटन और समाधान के लिए हाल के समझौते का पीएम मोदी ने स्वागत किया। 

प्रधान मंत्री मोदी ने मतभेदों और विवादों को ठीक से संभालने और शांति को बाधित नहीं करने देने के महत्व को रेखांकित किया। दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के प्रबंधन की निगरानी करने और सीमा प्रश्न का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए शीघ्र मुलाकात करेंगे। द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने और उसकी पुनर्स्थापना के लिए विदेश मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के स्तर पर प्रासंगिक संवाद किया जाएगा।

भारत-चीन में बनी बड़ी सहमति

विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों नेताओं ने पुष्टि की कि दो पड़ोसियों और पृथ्वी पर दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व में भी योगदान देगा। दोनों नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने, रणनीतिक संचार बढ़ाने और विकास संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोग तलाशने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

जिनपिंग ने कही ये बात

कज़ान में पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, "...दोनों पक्षों के लिए अधिक संचार और सहयोग करना, हमारे मतभेदों और असहमतियों को ठीक से संभालना व एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को पूरा करना महत्वपूर्ण है।"इसके साथ ही विकासशील देशों की ताकत और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक उदाहरण स्थापित करना और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बहु-ध्रुवीकरण और लोकतंत्र को बढ़ावा देने में योगदान देना भी महत्वपूर्ण है।"इसलिए दोनों पक्षों के लिए अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारी निभाना जरूरी है।  

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