Explainer: चिप हो गई फिल्मों की बात, शरीर के बैक्टीरिया करवाएंगे आपकी ट्रैकिंग

6 days ago 2

आपने कई फिल्मों में देखा होगा कि किसी शक्स की गतिविधि को ट्रैक करने के लिए उसके शरीर में कोई चिप डाल दी जाती है. कई फिल्मों में विलेन हीरो की जानकारी के बिना ही उसके शरीर में एक चिप डाल देता है और फिर हीरो हैरान परेशान घूमता रहा है कि आखिर विलेन को पता कैसे चलता है कि वह कहां जा कर छुप रहा है. फिर अचानक उसे चिप का पता चला है और फिर वह चिप निकाल क,र गायब होकर विलेन से हिसाब किताब बराबर करता है. अगर आपको लगता है कि यह भविष्य होने लगेगा तो  आप समय के बहुत पीछे हैं, एआई तकनीक ने इससे भी आगे कदम बढ़ा लिए हैं और अब ट्रैकिंग चिप एक पुरानी बात होने जा रही है. क्योंकि साइंटिस्ट अब आपके शरीर के बैक्टीरिया के जरिए ही आपको ट्रैक कर सकते हैं.

सूक्ष्मजीवों से ट्रैकिंग संभव
जी हां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब ऐसे ऐसे कमाल करती जा रही है जिन पर यकीन करना मुश्किल होगा. उसके जरिए वैज्ञानिकों ने ऐसा एआई टूल विकसित किया है, जो उनके शरीर से जमा किए नमूनों में मौजूद सूक्ष्मजीवों को समझ कर उन्हें हालिया लोकेशन को ट्रैक कर सकता है.

क्या क्या कर सकता है ये टूल?
जीनोम बायोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में स्टडी में इस खोज का जिक्र है. इसके जरिए वैज्ञानिक अब यह तक पता लगा सकता है कि किसी शख्स ने हाल ही में किसी बीच पर सफर किया है या नहीं. या उसने पास के ट्रेन स्टेशन से कोई ट्रेन पकड़ी हो या नहीं या फिर वह हाल ही में पार्क में टहला है या नहीं. शोधकर्ताओं ने पाया कि शरीर के अंदर के सूक्ष्मजीव एक तरह से माइक्रोस्कोप स्तर के फिंगरप्रिंट की तरह काम करते हैं.

AI tool, Artificial Intelligent, tracking tool, tracking chip, tracking by microbiomes, assemblage  microorganisms, assemblage  bacteria, Amazing science, science, research, subject   news, shocking news, विज्ञान,

अभी तक माइक्रोचिप का उपयोग कर इंसान को ट्रैक किया जाता था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

कैसे करता है ये काम?
अध्ययन में बताया गया है कि इंसानी आबादी की तरह सूक्ष्मजीवों के समुदाय भी बताते हैं कि वे किसी भूभाग से गुजरे थे. इसी से वैज्ञानिक ऐसा एआई उपकरण बनाने के लिए प्रेरित हुए. जीपीएस का उपयोग करने वाले परंपरागत नेवीगेशन सिस्टम के विपरीत , स्वीडन में लुंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक माइक्रोबायोम जियोग्राफिक पॉपूलेशन स्ट्रक्चर (mGPS) विकसित की है जो उस क्षेत्र से जुड़े माइक्रोबायोम की पहचान करके उस वातावरण को स्थानीयकृत करने के लिए ग्राउंड-ब्रेकिंग एआई तकनीक का उपयोग करती है, जहां कोई व्यक्ति गया हो. माइक्रोबायोम शब्द का उपयोग किसी विशेष वातावरण में सभी सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, फंगस, शैवाल) का वर्णन करने के लिए किया जाता है.

माइक्रोबायोम का फायदा
अध्ययन के सह लेखक और शोधकर्ता एरान एल्हाइक ने द एटलस को बताया, “ इंसानी डीएनए के  विपरीत इंसानी माइक्रोबायोम तमाम तरह के वातावरण के संपर्क में आने पर लगातार बदलता रहता है. आपके सूक्ष्म जीव हाल ही में कहां थे, यह पता लगा कर, बीमरी फैलने के खतरे, संक्रमण से संभावित स्रोत, और सूक्ष्मजीवी प्रतिरोध के उभरने के की स्थानीयता को समझा जा सकता है.

AI tool, Artificial Intelligent, tracking tool, tracking chip, tracking by microbiomes, assemblage  microorganisms, assemblage  bacteria, Amazing science, science, research, subject   news, shocking news, विज्ञान,

एआई तकनीक ने इस मामले में उम्मीद से ज्यादा बढ़िया नतीजे दिए हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

कहां से लिए नमूने
शोधकर्ताओं ने भारी मात्रा में अलग अलग वातारण के माइक्रोबायोम के आंकड़ों को एआई मॉडल में जोड़ा. उन्होंने 53 शहरों के सबवे और शहरी वातवारण से, 18 देशों के 237 मिट्टी के नूमनों और नौ पानी की जगहों से 131 नमूनों में से माइक्रोब जीनोम जमा किए और उनका ट्रेनिंग के लिए उपयोग किया. एल्हाइक ने बताया, “इसके जरिए उन्होंने इन फिंगरप्रिंट्स की खास अनुपातों की पहचान के लिए एआई माडल के प्रशिक्षित किया और फिर उन्हें उनकी स्थानीयता से जोड़ा. इसके बाद तो उन्हें नतीजे मिले वेह बहुत ही शक्तिशाली उपकरण साबित हुए जिसे वे स्रोत का सटीक तरह से पता बता पाते थे. इतना ही नहीं उनकी सटीकता भी बहुत प्रभावित करने वाली थी.”

यह भी पढ़ें: Explainer: कहां से आया था हमारा चांद? साइंटिस्ट्स की नई थ्योरी ने सभी को हैरत में डाला!

अध्ययन के मुताबिक mGPS शहरों के स्रोत 92 फीसदी सटीकता से बता पाया. वहीं शहरों में वह सबवे स्टेशन तक की पहचान कर सका और एक शहर में तो वह कुछ ही मीटर की दूरी का अंतर तक बता सका. लेकिन एक शहर में सटीकता केवल 50 फीसदी थी और उसकी वजह भी वहां के गंदे हालात को जिम्मेदार बताया गया. बहराल यह नई संभावना चिकित्सा, महामारी, और फॉरेंसिक जैसे क्षेत्रों में नए आयाम खोलने का काम करती है. ज्यादा आंकड़े इस उपकरण को और अधिक सटीक बना सकेंगे.

Tags: Bizarre news, Science, Science facts, Science news, Shocking news, Weird news

FIRST PUBLISHED :

November 15, 2024, 08:01 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article