यूपी उपचुनाव: सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट वाले कुंदरकी में 'रामपुर मॉडल' जैसा खेला, 31 साल में पहली बार जीत रही BJP!

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नई दिल्‍ली :

उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (UP by Election) के लिए मतदान हो चुका है. हालांकि चुनाव मतदान के बाद सबसे ज्‍यादा मुस्लिम वोट वाली कुंदरकी सीट (Kundarki Seat) की चर्चा जोरों पर है. यहां पर 65 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. इस लिहाज से देखें तो यहां समाजवादी पार्टी की जीत तय मानी जा रही थी. हालांकि कहा जा रहा है कि कुंदरकी में गेम हो गया है और अब यहां पर बीजेपी के जीत के दावे किए जा रहे हैं. इन अटकलों को समाजवादी पार्टी के वरिष्‍ठ नेता और सांसद रामगोपाल यादव के उस बयान से बल मिला है, जिसमें उन्‍होंने कुंदरकी, मीरापुर और कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीटों पर चुनाव रद्द कर पुनर्मतदान कराए जाने की मांग की है. 

मतदान के वक्‍त 20 नवंबर को समाजवादी पार्टी के उम्‍मीदवार हाजी रिजवान ने एक चिट्ठी लिखकर चुनाव आयोग से चुनाव को रद्द करने और फिर से सभी बूथों पर पुनर्मतदान कराने की मांग की थी. उन्‍हें लग रहा है कि चुनाव मतदान के दौरान गड़बड़ी हुई है. जब इस तरह के आरोप लगते हैं तो यह नेरेटिव बनता है कि जो हार रहा होता है वो इस तरह के आरोप लगाता है. 

1993 में आखिरी बार जीती थी बीजेपी 

इस सीट पर 1993 में आखिरी बार बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. उस वक्‍त भाजपा नेता चंद्रविजय सिंह जीते थे. उसके बाद से बीजेपी इस सीट पर कभी जीत हासिल नहीं कर सकी है. हालांकि कुंदरकी में इस बार बीजेपी की जीत के दावे किए जा रहे हैं.

बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि यहां पर बीजेपी की जीत तय है. वहीं सपा नेता भी यह मानते हैं कि 20 से 25 हजार वोटों के अंतर से कुंदरकी में उनकी पार्टी की हार हो सकती है. 

कुंदरकी में चला रामपुर मॉडल!

कुंदरकी विधानसभा सीट पर 12 में से 11 मुस्लिम उम्‍मीदवार थे. इसके बावजूद कहा जा रहा था कि यह समाजवादी पार्टी की ऐसी सीट है, जहां बीजेपी के लिए जीतना बहुत मुश्किल है. ऐसे में सवाल है कि यहां ऐसा क्‍या हो गया और क्‍यों सपा के जीत के दावे शिकायत के सुर में बदल चुके हैं. 

कुंदरकी को लेकर बीजेपी का कहना है कि यहां पर रामपुर मॉडल चल गया है, जिस तरह से साल 2022 में विधानसभा उपचुनाव में रामपुर में भाजपा की जीत हुई थी. रामपुर में 55 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं के बावजूद वहां भाजपा उम्‍मीदवार आकाश सक्‍सेना ने जीत दर्ज की थी. इस सीट को सपा के वरिष्‍ठ नेता आजम खान का गढ़ माना जाता था. इसके बावजूद वहां बीजेपी का जीतना रामपुर मॉडल कहा जाता है. उसी मॉडल के आधार पर कुंदरकी में बीजेपी के जीत के दावे किए जा रहे हैं. 

आईएएस आंजनेय सिंह का आया जिक्र 

कुंदरकी सीट मुरादाबाद जिले में पड़ती है और यह संभल लोकसभा की एक विधानसभा सीट है. अखिलेश यादव ने बुधवार को अपनी एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में एक आईएएस अधिकारी का जिक्र किया और वो हैं मुरादाबाद के कमिश्‍नर आंजनेय सिंह. यह कहा गया कि रामपुर में कम मतदान हुआ और आरोप लगे कि प्रशासन ने समाजवादी पार्टी के समर्थकों को बूथ तक नहीं जाने दिया. इस वजह से बीजेपी को जीत मिली. यह वही आंजनेय सिंह हैं, जिनके बारे में आजम खान ने विवादित बयान दिया था. इस मामले में आजम खान के खिलाफ मुकदमा हुआ और उन्‍हें सजा भी हुई. सपा का आरोप है कि रामपुर मॉडल आंजनेय सिंह का था और उनका वह मॉडल कुंदरकी में अपनाया गया है. 

यूपी में सबसे ज्‍यादा कुंदरकी में वोटिंग 

यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के दौरान सबसे ज्‍यादा वोटिंग कुंदरकी में हुई है. यहां पर 57.7 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. भाजपा का दावा है कि उनके उम्‍मीदवार ठाकुर रामवीर को इस बार मुसलमानों ने भी वोट दिया है. 

सपा नेताओं का भी नहीं मिला सहयोग

2022 के विधानसभा चुनाव में जियाउर्रहमान बर्क सपा के उम्‍मीदवार थे और उन्‍हें 1,25,465 वोट मिले थे.  वहीं भाजपा उम्‍मीदवार कमल कुमार को 82,467 वोट मिले थे. उस वक्‍त बीएसपी से उम्‍मीदवार हाजी रिजवान को 42,645 वोट मिले थे तो एआईएमआईएम के मोहम्‍मद वारिस को 14,248 वोट मिले थे. इस बार हाजी रिजवान सपा उम्‍मीदवार हैं. हालांकि कहा जा रहा है कि बीएसपी से सपा में आए हाजी रिजवान को सपा नेताओं का सहयोग नहीं मिला है. वहीं कुंदरकी में इस बार 12 में से 11 उम्‍मीदवार मुस्लिम हैं और अधिकतर तुर्क बिरादरी से आते हैं. इकलौते हिंदू उम्‍मीवार भाजपा के ठाकुर रामवीर हैं. 

मुस्लिम वोटों के बंटने से सपा को नुकसान!

साथ ही कहा जा रहा है हिंदू मतदाताओं वाले इलाकों में वोटिंग हुई है,  वहीं मुस्लिम उम्‍मीवारों वाले इलाकों में वोटिंग नहीं हुई है.  यहां भाजपा और सपा में सीधी टक्‍कर मानी जा रही थी, लेकिन मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो गया और इसके कारण बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है. 

इसके पीछे एक कारण हाजी रिजवान की मुसलमानों में बड़ी ख्‍याति नहीं होना भी कारण बताया जा रहा है. वहीं कहा जा रहा है कि उनके तुर्क होने की वजह से दूसरी मुस्लिम बिरादरियां उनके साथ नहीं आई. 

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