सब्जी की खेती के लिए अपनाई गई झालर विधि
सुल्तानपुर: वर्तमान वैज्ञानिक युग में खेती पहले से अधिक आसान हो गई है, और सुल्तानपुर के उमाकांत मौर्य इसका जीवंत उदाहरण हैं. उमाकांत ने मात्र 8 बिस्वा जमीन पर सब्जियों की खेती शुरू की और आज वह हर महीने लाखों रुपये कमा रहे हैं. उन्होंने झालर विधि (मचान विधि) का उपयोग कर खेती को और अधिक लाभदायक बना दिया है. यानी अगर कमाई की बाद की जाए तो आईएस,आईपीएस अधिकारी की सैलरी से भी ज्यादा होती है.
60 दिन में अच्छी उपज
उमाकांत मौर्य लौकी, नेनुआ, भिंडी, और करेला की खेती करते हैं. उनकी लौकी की फसल 60 दिनों में तैयार होती है, जिससे वह प्रतिदिन 80-90 किलो लौकी की पैदावार करते हैं. इसके साथ ही नेनुआ की प्रतिदिन एक कुंतल उपज होती है, जिससे उनकी रोज की कमाई 4-5 हजार रुपये तक पहुंच जाती है.
पढ़ाई में असफल, खेती में सफल
उमाकांत ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वह हाईस्कूल में फेल हो गए थे, लेकिन अपने पुश्तैनी जमीन पर आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया. पिछले 35 वर्षों से खेती कर रहे उमाकांत आज सुल्तानपुर के सफल किसानों में गिने जाते हैं.
क्या है झालर विधि?
झालर विधि का प्रयोग लताओं वाले पौधों में किया जाता है, ताकि फलों के विकास के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. इस विधि में खेत के चारों ओर 90 डिग्री कोण पर डंडे गाड़े जाते हैं और उनके ऊपर तार बांधकर लताओं को फैलाया जाता है. इससे फल नीचे खुले में विकसित होते हैं और पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है, जिससे उपज में वृद्धि होती है.
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FIRST PUBLISHED :
September 28, 2024, 08:45 IST