जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने वाली स्व सहायता समूह की लाडली बहनों को अफसर और व्यापारी ने मिलकर लॉलीपॉप थमा दिया है. क्योंकि, समूह की 12 महिलाओं के साथ स्वरोजगार के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी का आरोप है. मामले में चाइना मेड मशीन को 2 लाख 12 हजार रुपये बता कर खरीद गया और महिलाओं को थमा दिया गया. इतना ही नहीं, ये मशीन 10 दिन में खराब भी हो गई.
दरअसल, ये मशीन आदिवासी इलाके में महिलाओं को मिलेट्स यानी कोदो-कुटकी से कुकीज बनाने के लिए दिलाई गई थी. महिलाओं के साथ हुई धोखाधड़ी को लेकर लोकल 18 की टीम जबलपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर कुंडम के तिलसानी गांव पहुंची. जहां स्व सहायता समूह की दीदियों ने लोकल 18 से अपना दर्द बयां किया. उन्होंने क्या कहां देखिए इस खास रिपोर्ट में…
दिलाया था 10 लाख का लोन
सरस्वती समूह की दीदी ममता यादव ने बताया, हम सभी 12 बहनें मजदूरी किया करती थी. एक छत के नीचे खुद की मशीनों के साथ यूनिट में काम करने के सपने आला अधिकारियों ने दिखाए. परिवार का भरण पोषण करने के लिए 14 लाख का लोन दिलाया गया, जिसमें 4 लाख रुपये सब्सिडी के तौर पर मिले थे. करीब 10 लाख रुपये अभी चुकाने हैं. लेकिन, हमारे साथ ऐसी ठगी होगी, हमें यकीन ही नहीं हो रहा. उन्होंने बताया, जब मशीनों का टेंडर हो रहा था, तब एक ही ठेकेदार तीन अलग-अलग रेट लेकर पहुंचा था. इस दौरान न बहनों के माध्यम से व्यापारी को चिन्हित किया गया, न ही हमने मशीन देखी थी. मशीनों का करीब 10 लाख रुपये का भुगतान किया गया था.
पांच मशीन 10 लाख में…
स्वरोजगार के लिए जिन मशीनों को खरीदा गया, बाजार में उनकी कीमत महज 5 लाख रुपये है. जिन पांच मशीनों को खरीदा गया, उसमें से एक मशीन शक्कर पीसने का काम, दूसरी कोदो पीसने का काम, तीसरी मशीन मिक्सर, चौथी मशीन पापड़ बनाती है, जबकि पांचवीं बड़ी मशीन इन्हीं पापड़ और बिस्किट को सेंकने का काम करती है. इन मशीन को जबलपुर के तुलाराम चौक स्थित एसएस बेनी प्रसाद धर्मचंद की दुकान से खरीदा गया. इन मशीनों की कीमत 10 लाख 668 रुपये है, जबकि बाजार में सभी मशीनों की कीमत महज 5 लाख रुपये ही है. मशीनों में मेड इन चाइना का मार्क है.
मशीन पर चिपका मिला स्टीकर
जिन मशीनों को सहायता समूह की दीदियों को दिलाया गया. उन मशीनों में अधिकांश मशीन खराब हैं. जिसमें शक्कर पीसने वाली मशीन में शक्कर कम पिसती है… जबकि उड़ती ज्यादा है. इसका जायजा लोकल 18 की टीम ने भी लिया. जब मशीन को चालू किया गया, तब शक्कर पिसकर मशीन के बाहर उड़ रही थी. इतना ही नहीं, फर्जीवाड़ा के रूप में बड़ी मशीन को 4 लाख 68 हजार 460 रुपये में खरीदा गया. उस मशीन के ऊपर स्टीकर चिपका दिया गया. जब स्टीकर को स्वसहायता समूह की बहनों ने हटाया, तब स्टीकर के पीछे मशीन का असली दाम और कंपनी का नंबर लिखा था. जिसे देखकर दीदियों के होश उड़ गए.
कलेक्टर ने बनाई जांच कमेटी
पूरा मामला जब जनसुनवाई के दौरान महिलाएं कलेक्टर के पास लेकर पहुंचीं, तब कलेक्टर ने जिला पंचायत के सीईओ मनोज सिंह को मामले की जांच करने के निर्देश दिए. लोकल 18 से जिला पंचायत सीईओ ने बताया, तीन सदस्य जांच टीम बनाई गई थी. जनपद पंचायत सीईओ कुंडम, एई और वाटरशेड परियोजना के अधिकारी को शामिल किया गया. जिन्होंने मौके पर जाकर वस्तुस्थिति को देखा और रिपोर्ट जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना को सौंपी.
कई अधिकारी घेरे में…
स्व सहायता समूह की दीदियों का आरोप है कि फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद जिला पंचायत में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन परियोजना के प्रभारी अखिल शुक्ला ने दबाव बनाया. इतना ही नहीं, कार्यालय में पदस्थ रवि तिवारी और व्यापारी ऋतिक जैन की भी मिलीभगत भ्रष्टाचार में सामने आई है. अधिकारियों ने मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन किया तब पाया गया कि बेकिंग के लिए मात्र 6 ट्रे का उपयोग किया जा सकता है, जबकि मशीन में ISI मार्क भी नहीं है. इसी तरह किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण बहनों को नहीं दिया गया. कुछ मशीन मेड इन चाइना हैं, जबकि कुछ में स्टिकर लगाकर गुमराह किया गया है.
महिलाएं बोली लोन माफ करें
मशीन लगाने के बाद इस यूनिट का उद्घाटन सिहोरा विधायक संतोष बरकड़े ने किया था. चंद दिनों बाद ही मशीन बंद हो गईं. शिकायत करने के बाद परियोजना अधिकारी ने महिलाओं से समझौते का दबाव भी बनाया. बहरहाल महिलाओं का कहना है कि आला अधिकारियों ने मूर्ख बनाया है. लोन की राशि माफ की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए.
FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 19:43 IST