Myths About Lung Cancer: क्या स‍िर्फ स्‍मोकर्स को ही होता है लंग कैंसर? जानिए लंग कैंसर से जुड़े 7 मिथक

6 days ago 1

Myths About Lung Cancer: असामान्य सेल्स के अनियंत्रित रूप से बढ़ने पर फेफड़ों में कैंसर की बीमारी हो जाती है. लंग कैंसर दुनिया भर में दूसरा सबसे कॉमन प्रकार का कैंसर है जो कैंसर की वजह से वैश्विक स्तर पर होने वाले सबसे ज्यादा मौतों का एक कारण है. भारत में भी कैंसर की वजह से होने वाली मौतों का पहला कारण लंग कैंसर है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि लंग कैंसर होने के बाद भी मरीज में इसके लक्षण काफी देर से दिखाई देते हैं. यही वजह है कि जब तक व्यक्ति में लंग कैंसर का पता चलता है तब तक बीमारी काफी आगे तक बढ़ चुकी होती है. लंग कैंसर को लेकर कई तरह के मिथक भी काफी प्रचलित हैं जिसमें कितनी सच्चाई है यह एम्स के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनील कुमार ने एनडीटीवी से खास बातचीत के दौरान बताया है.

1. स‍िर्फ स्‍मोकर्स को ही होता है लंग कैंसर - ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुनील कुमार के मुताबिक, यह बात सही नहीं है कि सिर्फ स्‍मोकर्स को लंग कैंसर होता है. हालांकि, लंग कैंसर के ज्यादातर मरीजों में स्मोकिंग की हिस्ट्री देखी जाती है. इसके बावजूद स्मोकिंग को लंग कैंसर के लिए जिम्मेदार एक मात्र फैक्ट नहीं माना जा सकता है. स्मोकिंग नहीं करने वाले लोग भी लंग कैंसर के शिकार होते हैं. डॉक्टर ने बताया कि भारत में यंग फीमेल जेनरेशन में लंग कैंसर के केस बढ़ रहे हैं. प्रदूषण और कुकिंग फ्यूल को भी लंग कैंसर का कारण माना जाता है हालांकि फेफड़ों में होने वाले कैंसर के पीछे के सभी कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाए हैं.

2. हमेशा जानलेवा होता है लंग कैंसर -  एडवांस स्टेज के कैंसर का इलाज मुश्किल होता है और वह जानलेवा भी साबित हो सकता है. उचित इलाज के बाद पहले और दूसरे स्टेज का लंग कैंसर आमतौर पर ठीक हो जाता है और मरीज सामान्य जीवन जी पाता है. वहीं तीसरे और चौथे स्टेज तक पहुंच जाने के बाद लंग कैंसर का इलाज थोड़ा मुश्किल होता है और गंभीर स्थिति में मरीज की जान जा सकती है. हालांकि, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि लंग कैंसर हमेशा जानलेवा है या इलाज के बाद भी मरीज को बचाया नहीं जा सकता है.

3. स्क्रीनिंग की वजह से होता है लंग कैंसर - डॉ. सुनील ने इस मिथक का सीधे तौर पर खंडन किया कि स्क्रीनिंग करवाने की वजह से किसी व्यक्ति को लंग कैंसर हो सकता है. डॉक्टर ने बताया कि कई देशों ने लंग कैंसर के स्क्रीनिंग की शुरूआत की है जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. स्क्रीनिंग की वजह से कैंसर नहीं होता है बल्कि इसके जरिए ज्यादा जल्दी बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

4. सभी लंग कैंसर एक समान होता है - लंग कैंसर कई प्रकार के होते हैं इसीलिए यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि सभी लंग कैंसर एक समान होते हैं. लंग कैंसर के प्रकार के आधार पर उनका इलाज, बीमारी का बर्ताव और प्रोगनोसिस भी अलग-अलग होता है. स्मॉल सेल लंग कैंसर काफी आक्रामक और खतरनाक होते हैं क्योंकि वह बहुत तेजी से बढ़ते हैं. नॉन स्मॉल सेल कैंसर के मुकाबले स्मॉल सेल कैंसर के खिलाफ काफी कम सफलता मिल पाती है. सभी प्रकार के लंग कैंसर का बिहेवियर, पैटर्न और रिस्पॉन्स अलग-अलग होता है जिस वजह से इलाज का उचित तरीका अपनाने के लिए टाइप जानना बेहद जरूरी होता है. लंग कैंसर का टाइप जानने के लिए बायोप्सी टेस्ट करवाना अनिवार्य होता है.

एक चम्मच शहद में चुटकीभर काली मिर्च मिलाकर खाना शरीर के लिए चमत्कारिक औषधी, इन स्वास्थ्य समस्याओं से मिलेगी राहत

5. सिर्फ पुरुषों को होता है लंग कैंसर - स्मोकिंग लंग कैंसर का एक सबसे प्रमुख कारण है और धूम्रपान की आदत महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा कॉमन है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ पुरुषों को ही लंग कैंसर होता है. डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि भारत में कैंसर की वजह से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों का कारण लंग कैंसर है जिसमें पुरुष ही नहीं महिलाएं भी शामिल हैं. डॉक्टर ने बताया कि महिलाओं में लंग कैंसर के काफी केस देखने को मिलते हैं.

6. खांसी नहीं हो रही है तो नहीं है लंग कैंसर - डॉक्टर सुनील कुमार ने बताया कि सांस की मेन नली में गांठ बनने पर खांसी जल्दी शुरू हो जाती है. वहीं फेफड़ों के अन्य हिस्से में गांठ बनने पर खांसी बहुत बाद में शुरू होती है. तब तक कैंसर तीसरे या चौथे स्टेज तक पहुंच जाता है. यही वजह है कि कई बार लंग कैंसर होने के बावजूद भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और जब यह दिखाई देना शुरू होते हैं तब तक बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती है.

7. सिर्फ बुजुर्गों में होता है लंग कैंसर - हेवी स्मोकिंग करने वाले यंग लोगों (35 से 40 साल की उम्र) में भी लंग कैंसर पाया जाता है. वहीं आमतौर पर लंग कैंसर के ज्यादातर केस 50 या 55 साल से ज्यादा उम्र के स्मोकिंग की हिस्ट्री वाले लोगों में पाया जाता है. 40 या 35 साल से कम उम्र के नॉन स्मोकर्स में बहुत कम लंग कैंसर का केस पाया जाता है. इसीलिए यह जरूरी नहीं है कि सिर्फ बुजुर्गों में ही लंग कैंसर के केस पाए जाते हैं.

हार्ट हेल्थ का पता लगाने के लिए किस उम्र में कौन से टेस्ट करवाने चाहिए? डॉक्टर से जानिए...

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article