Sanju Samson Interview: शतक लगाकर कैसा लगा? माता पिता कितना योगदान रहा?

6 hours ago 2

सवाल: हैदराबाद में कुछ ही दिन पहले आपने जो शतक लगाया उसे आपके करियर का टर्निंग प्वाइंट कहा जा सकता हैं. तो वहीं से शुरुआत करते हैंं. कि 100 किया उस समय किस तरह की फीलिंग थी पूरी टीम का जिस तरह सभी लोग काफी एंजॉय कर रहे थे उस चीज को बतायें. ख़ासकर कोच गौतम गंभीर की प्रतिक्रिया जो काफी खुश दिखे.

संजू सैमसन: हां जी बिल्कुल जैसे आपने बोला आई थिंक पहले तो एक प्लेयर को कोच के साथ रिलेशन बहुत ही एकदम इंपॉर्टेंट रिलेशन होता हैं., तो जब आपको कोच भरोसा करके आपको टीम के लिए उतारता हैं. तो आपको एक वापस एक वो होता हैं. कि भाई परफॉर्म करके कोच को दिखाने कै हां भाई, आपने जो भरोसा मुझ पर दिखाया कि मैंने भी आपको वापस परफॉर्म करके दिखाया तो वो भी बहुत मैं मन से चाह रहा था कि मुझे जो गौती भाई बैक कर रहे हैं जो मैं मेरे को चांसेस मिल रहे हैं. तो मुझे भी उनको वापस अच्छा परफॉर्म करके उनको भी खुश करना हैं. हैदराबाद मैच से पहले दो मैचों में स्कोर नहीं होने के बाद, मैं उनके साइड देखने में थोड़ा हिचकिचा रहा था कि, यार नहीं यार आएगा टाइम आएगा तो यू विल डू वेल तो वेरी हैं.प्पी एंड बहुत मजा आया जब सेंचुरी मारा और गौती भाई वहां से ताली बजा रहे थे मेरे लिए तो बहुत अच्छा लगा.

सवाल: आपने कहा कि मेरा टाइम आएगा, अपना टाइम आएगा फेमस डायलॉग हैं. संजू सैमसन को यह भरोसा कहां से आया क्योंकि आपने जब डेब्यू किया बहुत यंग से 19-20 साल की उम्र में आपने इंडिया के लिए पहला मैच खेला जिम्बाब्वे में. फिर लगभग 5 साल का गैप था उसके बाद भी अप एंड डाउन रहा तो यह भरोसा कहां से आया कि अपना टाइम आएगा.

संजू सैमसन: हां बिल्कुल जैसे मेरे को ऑलमोस्ट 10 साल हो गए हैं. मेरे डेब्यू को लेके तो मुझे बहुत सबका करियर बहुत अलग रहता हैं. सबका किसी किसी को बहुत बचपन में सब कुछ आराम से मिल जाता हैं. किसी किसी को बहुत टाइम मिलता हैं. किसी किसी को मिलता नहीं तो देर आर लॉट ऑफ पीपल हु ड्रीम टू प्ले फॉर इंडिया एंड वर्क सो हार्ड एंड दे स्कोर सो मेनी रंस मगर उनको मौका नहीं मिलता इंडिया के लिए खेलने के लिए तो मैं बचपन से बहुत लकी रहा हूं कि मैं 19 साल 20 साल की उम्र से मैं टीम में डेब्यू किया मैंने व्हेन आई वास 20 19 साल में मैं टीम में आया था तो उसके बाद मैं ऑन एंड ऑफ रहा हूं मगर मेरा हमेशा ऐसे रहा हैं. कि यार संजू सबका लाइफ सबका जर्नी सबका करियर डिफरेंट रहता हैं. तेरा इस साइ इस साइड होगा लाइक यू आर हैं. विंग योर ओन वे ऑफ दिस करियर तो मैंने जो भी था मैं हमेशा ग्रेटफुल ही रहता था यार पॉजिटिव देखता था नेगेटिव डेफिनेटली लाइफ में करियर में ज्यादा रहते हैं. मगर मैं अपना फोकस हमेशा जो अच्छी चीजें मेरे हाथ में हैं. अच्छी चीजें मेरे लाइफ में हो रही हैं. करियर में हो रही हैं. तो हमेशा पॉजिटिव रखता था और मेरे माइंड में भी ऐसा था कि नहीं यार संजू यू आर डेफिनेटली गोइंग टू मेक इट मगर कब कैसे वो किसी को नहीं पता था सो मेरी हैं.प्पी की फाइनली आई प्लेड अ रियली गुड इनिंग्स फॉर माय कंट्री सो या बहुत अच्छा लग रहा हैं.

सवाल: तो संजू एक चीज बताइए जैसे श्रीलंका में आप थे आपको एक नए रोल में भेजा गया मतलब उससे ज्यादा डिजास्टर स्टार्ट क्या होगा टू डक, तो उस समय तो अच्छे-अच्छे पॉजिटिव वालो का भी हिल जाता, क्योंकि इंडियन टीम में इतना कंपटीशन हैं.. आपने भी बोला कि आप पर भी वह प्रेशर था इन दैट सेंस वाज दैट वो जो लास्ट जो इनिंग्स थी आपकी हैंदराबाद में दैट वाज द बिगेस्ट इनिंग्स इन टर्म्स ऑफ जितना ज्यादा इस पे अटैचमेंट था. इट्स नॉट आउट 100 लेकिन वो अगर 100 नहीं भी होता तब भी मेक और ब्रेक काइंड ऑफ इनिंग जिस स्टेज पे थे आपको लग रहा हैं.

संजू सैमसन : हां बिल्कुल जैसे मैंने एडमिट किया कि लाइक प्रेशर रहता हैं., यार यू डेफिनेटली थिंक अबाउट योर पास्ट कि भाई श्रीलंका में क्या हुआ आगे क्या होने वाला हैं. इट्स वेरी नॉर्मल एस अ पर्सन टू सोचना कि भाई क्या होगा अगर यह ठीक नहीं जाता नहीं जाता तो मैं यह थॉट्स मेरे अंदर आते ही हैं. जैसे मैंने बोला कितने साल के एक्सपीरियंस से तुम थॉट में कभी कभार तुम उस ख्याल में खो जाते हो कभी कभार वही बह जाते हो बैटिंग करते भी वही सोचते हो प्रेशर में रहते हो तो मैं एक्सपीरियंस हैं. और इतने लोगों के साथ इंटरेक्ट करता हूं जैसे बहुत लोगों से पूछता हूं जैसे प्रेशर कैसे हैंडल करते हैं. क्या होता हैं. प्रेशर, प्रेशर आते वक्त क्या करना चाहिए तो वैसे बहुत सारी चीजें मैं सीखा हूं तो जब प्रेशर आया तो मुझे पता था कि हां यार प्रेशर आ रहा हैं. कि, मुझे ऐसा डर लग रहा हैं. कि क्या होगा कि अगर ये परफॉर्म नहीं हुआ तो क्या होगा आगे क्या होगा जैसे दो इनिंग्स श्रीलंका में बेकार गई तो दो इनिंग्स यहां पर भी ठीक-ठाक खेला मगर उतना अच्छा नहीं हुआ तो एक और भी ऐसे जाता हैं. तो फिर आगे क्या होगा तो वो सब सोच आ रही थी मगर दूसरे साइड मेरे को ऐसा भी था यार संजू यह नॉर्मल हैं., यह तो सब ह्यूमन बीइंग्स को ऐसे थॉट आते ही होंगे और तेरे को भी आ रहा हैं. मर तू यह सोच कि तेरे हाथ में क्या रखा हुआ हैं.. तेरे कंट्रोलेबल में क्या हैं. तेरे पास तेरा गेम हैं. तू जानता हैं. अगर तू सेट हो गया तो तू टीम को कितना अच्छा कंट्रीब्यूशन दे सकता हैं. उसका अप साइड क्या हैं. यह डाउन साइड तो तुम सोचते ही हो कि नेगेटिव क्या हो सकता हैं. पर पॉजिटिव क्या हो सकता हैं. ये भी तू सोच तो मैं वो भी सोच रहा था कि संजू तेरे हाथ में बैट दिया हुआ हैं. तू इतने अच्छे टैलेंट हैं. तेरे पास तू इतने अच्छे शॉट्स खेलता हैं. अगर तू सेट हो गया इफ यू मेक अ रियली गुड स्कोर फॉर द टीम एंड देयर आर लॉट ऑफ ग्रेट थिंग्स विच आल्सो कैन हैं.पन तो वैसा भी मैं अपने आप को बोल रहा था तुम आप से आप अपने आप से बात करते रहते हो ना जैसे जैसे वो गैप रहता हैं. ना एक मैच के बीच में दो दिन वाला गैप रहता हैं. तो वो वहां पे प्रैक्टिस होता हैं. ट्रेनिंग होता हैं. मगर बेसिकली प्लेयर्स सब मैच के बारे में सोचते हैं.  यार पिछला मैच में ऐसा हुआ संजु अगले मैच में कैसे होगा कैसे होगा कैसे होगा तो देन आफ्टर अ पॉइंट ऑफ टाइम इतने साल का एक्सपीरियंस आपको बताते कि वो सोच आता ही हैं.. उसको एक्सेप्ट करो और अपने हाथ में जो हैं. उस परे ध्यान दो जैसे प्रैक्टिस अच्छी तरह करो मेंटल स्पेस अच्छा रखो टीम के साथ अच्छा रहो दोस्तों के साथ बात करते रहो तो वैसे-वैसे छोटी-छोटी चीजों में मैंने अपना फोकस किया और देन मैं प्रेजेंट में था और मैं जाके एंजॉय किया लास्ट में.

सवाल: मैच से पहले हैदराबाद से पहले दिल्ली में देखा आप और सूर्या कैप्टन जो हैं. दिल्ली नेट्स में उस दिन आपने बैटिंग नहीं की थी, बहुत देर तक आप लोग टाइम बिता रहे थे हंसी मजाक भी चल रहा था डिस्कशन तो सूर्या के साथ किस तरह की आपकी रेपो हैं. क्या मतलब कई बार आप लोग को लगता हैं. कि आप लोग की जर्नी इन मेनी वेज सिमिलर रही हैं. अप एंड डाउन बहुत ज्यादा एक्सपेक्टेशन आईपीएल ने आप दोनों को एक अलग तरह का प्लेटफॉर्म दिया यू आइडेंटिफ़ाई विद सूर्या करियर?

संजू सैमसन: मैं और सूर्या बहुत बचपन में साथ में खेले हैं. जैसे जूनियर कैटेगरी खेले हैंं और हम दोनों बीपीसीएल के लिए काम करते हैंं तो बीपीसीएल के लिए बहुत मैचेस हम बचपन में खेले हैंं तो इंडिया खेलने से पहले हम बहुत टाइम बिता चुके हैं तो ऑलरेडी देयर इज अ कनेक्शन देयर इज आल्सो अ फ्रेंडशिप देयर देर इज आल्सो लॉट ऑफ टाइम वी हैं. व स्पेंड टुगेदर इनसाइड द ग्राउंड कि वो जानता हैं. मेरे गेम को मैं उसके गेम को जानता हूं एंड सूर्यास कैरियर इ आल्सो आई नो कि हाउ सूर्य कुमार यादव बिकम सूर्य कुमार यादव उसके पीछे वाला स्ट्रगल देयर आर लॉट ऑफ फ्रेंड्स हु हैं. सीन दैट मैं भी उसके साथ हूं मैंने भी देखा हैं. सूर्या ने कितना काम करके कितना मेहनत करके वह यहां पर पहुंचा हैं. तो देयर इज अ ग्रेट कनेक्ट अ ग्रेट रिस्पेक्ट अ म्यूचुअल रिस्पेक्ट अमंग ईच अदर एंड देन ऑफकोर्स आई थिंक वन ही बिकम अ लीडर ऑफ इंडियन क्रिकेट टीम यू आई थिंक वो रिस्पेक्ट थोड़ा और बढ़ जाता हैं. कि यार तुम्हारे कंट्री को लीड कर रहा हैं. सूर्य कुमार यादव एंड देन डेफिनेटली देयर इज अ फ्रेंडशिप बट देयर इज आल्सो रिस्पेक्ट आल्सो विच इज वेरी म्यूचुअल एंड दिल्ली के नेट्स में जैसे मैं बात कर रहा था जस्ट बात मैं रहता हूं इंडियन टीम में मगर एक हफ्ता रहता हूं 10 दिन रहता हूं फिर चले जाता हूं तो देयर इज नेवर अ चांस वेयर यू इंटरेक्ट विद योर कलीग्स इन अ नॉर्मल वे हम जैसे यार देर देयर हैं.ज टू बी अ टाइम वेयर यू एक्सचेंज योर आइडियाज जैसे तू जाके बात कर रहा हैं. दोस्तों से कि यार मैं ऐसे खेलता हूं तू कैसे खेलता हैं. तू कैसे सोचता हैं. हाउ हैं.व यू बिकम सो सक्सेसफुल इन दिस फॉर्मेट तेरा क्या थिंकिंग पैटर्न था तो मैं इतने साल से सूर्या को जानता हूं पर मेरे को ऐसा मौका नहीं मि था कि मैं उससे जाके पूछूं यार तू क्या इतना अच्छा कर रहा हैं. कि यू आर द बेस्ट इन द वर्ल्ड इन दिस फॉर्मेट, कैसे हाउ डिड यू रीच देयर सो दैट टाइम दिल्ली में जैसे आपने देखा था मैं वहां पे जाके यह पूछ रहा था उससे कि सूर्य लाइक व्हाट आर द थिंग्स व्हिच आर वर्किंग फॉर यू, हाउ डिड दैट फ्लिप हैं.पन जैसे वी नो ही वाज गोइंग थ्रू लॉट ऑफ स्ट्रगल्स एंड सडनली फ्रॉम लास्ट थ्री फोर इयर्स ही इज द बेस्ट इन द बिजनेस सो देयर माइट बी समथिंग ग्रेट ही इज डूइंग तो आई जस्ट वांटेड टू नो फ्रॉम हिम क्या हैं. वो एक फैक्टर क्या हैं. सूर्य क्या बता मेरे को क्या चल रहा हैं. तो ही वाज आल्सो वेरी ट्रांसपेरेंट लाइक नॉर्मली उसने भी बहुत आईडिया शेयर करे उसने बहुत अपना अप्स एंड डाउंस बताया कि मैं डाउन गया तो तो मुझे क्या-क्या हेल्प किया मैं आजकल क्या देखता हूं मेरा माइंडसेट कैसा हैं. क्रिकेट के लिए मेरा माइंडसेट लाइफ में कैसा हैं. तो वो इंटरेक्शन मेरे को पहली बार इंडियन क्रिकेट ड्रेसिंग रूम में ऐसा मौका मिला कि मैं किसीसे इतना आइडिया शेयर कर रहा था तो आई थिंक दैट वाज अ रियली ग्रेट मोमेंट बिटवीन बोथ ऑफ अस वहां पे भी थोड़ा अच्छा एक शेयर हुआ मैं भी अपना बिलीफ बताए कि यार मैं कैसे आया हूं मैं क्या सोच रहा हूं मुझे क्या-क्या करने की जरूरत हैं. इस टीम में तो देन वो फिर फिर ग्राउंड के अंदर फिर अगला दिल्ली के बाद वाला मैच फिर हम एंड

सवाल: ही वाज हैंप्पी एस्ट जब आपने 100 कि जैसे लग रहा था वो 100 आपका कम उनका लग रहा था उनका जो और जिस तरह से उन्होंने आपको हग किया.

संजू सैमसन: बिल्कुल वो बहुत स्पेशल पार्टनरशिप था वो बहुत स्पेशल एक घंटा एक डेढ़ घंटा हमने खेला, बहुत ही मजा आया. सूर्या के साथ बैटिंग करके और वो जिस तरीके से मेरे 100 को उसने सेलिब्रेट किया मुझे लगा यार क्या बात हैं. ही जेनुइनली फील्स वेरी हैप्पी फॉर मी. एक्चुअली सो आई थिंक या दैट्ची सी अ क्वालिटी ऑफ अ लीडर देयर कि भाई हां बंदा इज वांटिंग पीपल टू डू वेल ही इज वांटिंग मी टू कम अप ही इज वांटिंग माय सक्सेस एज बैडल एज ही वांट्स हिम टू.

सवाल: तो अब जैसे पेरेंट्स हैं. पापा खास तौर पे जिन्होंने इतना सैक्रिफाइस किया दिल्ली में थे सरकारी जॉब इंडिया में बोलते हैं. भाई दिल्ली पुलिस में थे उसको छोड़कर बोले बेटा का चलो बोरिया बिस्तर बांधो दिल्ली से छोड़ के केरल में आ गया क्रिकेट पे वो भरोसा था. भाई ने, इतना फैमिली ने किया अब सबको लगता हैं कि सारी चीजें देखकर इस स्टेज पर चलो यार इट वास वर्थ. अब क्या बोलते हैं वो लोग?

संजू सैमसन: बिल्कुल पापा और मम्मी के बिना तो बिल्कुल यह करियर और ये लाइफ नामुमकिन ही था. अभी मैं कोटला में प्रैक्टिस करने वाला था उससे पहले पापा का फोन आया था मैं पहले इनिंग्स में आउट हो गया था दूसरा इनिंग खेलने वाला था बेटा मैं तेरे को एक कहानी बताता हूं. मैंने बोला हां जी बताओ, तो हम पहले काटर्स में रहते थे दिल्ली में किंग्सवे कैंप में रहते थे जीटीबी नगर में तो वहां पे मैं स्ट्रीट क्रिकेट सब जैसे खेलते हैं. मैं भी वैसे शुरू किया तो पापा फुटबॉलर थे तो पापा फुटबॉलर होते हुए मुझे क्रिकेट सिखा रहे थे तो वो क्रिकेट सिखा रहे थे ऐसा ही रोड था यहां पर हमारा घर था उसके बीच में एक रोड उसपर हम क्रिकेट खेलते थे तो मैं रोड पर क्रिकेट खेलते हुए एक बार आउट हो गया बोल्ड हो गया, पापा कहते आप बोल्ड कैसे हो गए बेटा मैंने बोला पापा वो रोड पे ना वो खड्डा एक तो खड्डे में लग के बॉल नीचे हो गया और मैं बोल्ड हो गया तो मैंने ऐसे देखा चल ठीक हैं. छोड़ दिया मेरे को तो मैं अगले दिन में स्कूल से आ रहा था रोजरी स्कूल में पढ़ रहा था वो स्कूल से वापस आया था और रोड से ऐसे घर चढ़ना हैं. तो पापा रोड पर कुछ काम कर रहे हैं. ये क्या हो रहा हैं. भाई तो पापा ने देखा तो जो जहां पे खड्डा था वहां पर पापा बैठ के अपने हाथ से सीमेंट लगा रहे थे सीमेंट लगाया और वहां पर कुछ ऐसे पत्थर वगैरह लगा हुआ हैं. और जो गाड़ी आ रही हैं. उनको बोला तुम साइड से जाओ साइड से जाओ साइड साइड से जाओ तो बापा ने बोला बेटा अब तो खड्डा नहीं हैं. तो ऐसा तो बोल रहे थे कि ऐसा काम करते हुए उनके दोस्त आए थे तो उनके दोस्त ने इतना दे इतना मेहनत कर रहे अपने बच्चों के लिए तो उसने बोला सैमसन यार यह नहीं हो पाएगा यार तू जो सपना सोच रहा हैं. मेरे को नहीं लगता यह मुमकिन हैं. तू कहां इंडियन क्रिकेट में तू अपने बेटे को कहां कैसे हो पाएगा तू बता तेरे से नहीं हो पाएगा ये तो ऐसा वो काम करते वक्त उनसे अपने दोस्त बोल रहे थे, ये सब फालतू हैं. यह सब मत कर उनको कुछ और काम पर लगा इंडियन क्रिकेट मतलब नामुमकिन हैं. तेरे लिए तो पापा ने उनको एक आदा डायलॉग दिया तू देखयो थोड़े साल बाद तेरे हाथ में तो नहीं हैं. ना देखियो थोड़े साल बाद देखियो तो मैं इंडियन क्रिकेट टीम के लिए फिरोजशाह कोटला जो अपना अरुण जेटली स्टेडियम में अभी मैं पहुंचा तो पापा ने यह मेरे को कहानी बताया, बेटा ऐसा तू अभी यहां पहुंचा हैं. उस दिन जो मैंने सोचा था अभी यह हो रहा हैं. और तू यह ध्यान रखियो आज वाले मैच में तेरे को रन मारना ही हैं.

Tags: Sanju Samson

FIRST PUBLISHED :

October 21, 2024, 17:58 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article