पश्चिम चम्पारण: बिहार का पश्चिम चम्पारण ज़िला गन्ने की खेती के प्रमुख क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. सर्दी हो या गर्मी, यहां के किसान हर मौसम में गन्ने की खेती बड़े स्तर पर करते हैं.आज हम आपको सर्दियों में गन्ने की खेती पर कुछ विशेष जानकारी देने वाले हैं. जिले के मझौलिया प्रखंड के माधोपुर स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में कार्यरत, कृषि वैज्ञानिक सतीश चंद्र नारायण ने गन्ने की कुछ खास प्रजातियों के बारे में बताया है.इनमें राजेंद्र गन्ना 01, राजेंद्र गन्ना 02, राजेंद्र गन्ना 03, राजेंद्र गन्ना 04, राजेंद्र गन्ना 05, राजेंद्र गन्ना 06 तथा राजेंद्र गन्ना 07 शामिल है.
इन प्रभेदों में होती है चीनी की अधिक मात्रा
बकौल सतीश, राजेंद्र गन्ना 02 में चीनी की मात्रा बेहद अधिक होती है जबकि राजेंद्र गन्ना 07 बेहद मोटा तथा लंबा होता है.बिहार के महापर्व छठ में ज्यादातर लोग राजेंद्र गन्ना 07 का ही उपयोग करते हैं. दरअसल, यह गन्ना बेहद लंबा, मोटा तथा सीधा होता है.इसके अलावे इसमें रस की मात्रा भी भरपूर होती है.ऐसे में महापर्व में इसका उपयोग बेहद लाभप्रद माना जाता है.
प्रति हेक्टेयर सौ टन से भी अधिक होगी पैदावार
लोकल 18 से बात करते हुए सतीश बताते हैं कि किसान यदि अधिक उत्पादन क्षमता वाले गन्ने की खेती करना चाहते हैं, तो उन्हे राजेंद्र गन्ना 01, राजेंद्र गन्ना 03 तथा राजेंद्र गन्ना 05 का चुनाव करना चाहिए. राजेंद्र गन्ना 01, 03 तथा 05 की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 100 टन से भी ज्यादा है.ऐसे में इसका चुनाव किसानों के लिए फायदेमंद हो सकता है.
खास बात यह है कि वर्ष 2022 में माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से क़रीब 350 किसानों में राजेंद्र गन्ना 01 का बीज वितरित किया गया था.आश्चर्य की बात यह है कि सेम पैमाने पर ही जब अलग अलग गन्ने की बुआई की गई, तो उसमें राजेंद्र गन्ना 01 की पैदावार सबसे अधिक हुई.अतः अधिक उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को इन्हीं खास प्रभेदों के गन्ने की खेती की सलाह दी जाती है.
मिलेगा मिश्रित खेती का लाभ, बढ़ेगी मिठास
सतीश बताते हैं कि गन्ने की बुवाई अक्टूबर से भी की जा सकती है. इस समय बुवाई के दो लाभ हैं. गन्ने व शक़्कर की उपज बढ़ती है और साथ ही गेहूं सरसों या अन्य फसलों की मिश्रित खेती भी की जा सकती है.शरदकालीन गन्ने की बुवाई से पहले सही बीज और क्षेत्र के अनुसार गन्ने की किस्मों का चयन जरूरी है. गन्ने के बीज को गन्ना संस्थान या गन्ना मिलों के फार्म से लेना चाहिए और कभी भी पेड़ी गन्ने की फसल को बीज के रूप में प्रयोग नहीं करना चाहिए.
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7 से 9 महीने पुरानी होनी चाहिए गन्ने की पौध
बीज के लिए गन्ने की पौध कम से कम 7 से 9 महीने पुरानी होनी चाहिए. गन्ने का ऊपरी एक-तिहाई भाग बीज के लिए सबसे बेहतर होता है और जड़ वाले हिस्से को बीज के लिए नहीं लेना चाहिए. बीज के लिए चयन किए गए गन्ने की पौध में कम से कम 10-12 कलियां होनी चाहिए. बीज रोगमुक्त होना चाहिए, खासकर \”लाल सड़न रोग\” से, जिसे \”गन्ने का कैंसर\” भी कहा जाता है. यह रोग गन्ने के बीज या मिट्टी से फैलता है और एक बार संक्रमित होने पर इसका कोई उपचार नहीं होता.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 24:02 IST