आखिरी मौका दे रहे हैं वरना... प्रवासी मजदूरों के मामले में बिफरा सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई. शीर्ष अदालत के गुस्से का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने सरकार अवमानना नोटिस जारी करने से खुद को रोका और उन्हें एक आखिर मौका दिया कि वे कोर्ट के आदेश का पालन करें. कोर्ट ने 4 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए सख्त लहजे में कहा कि सरकार उन प्रवासी मजदूरों और अकुशल श्रमिकों को राशन कार्ड दें, जो ई-श्रम पोर्टल के तहत योग्य पाए गए हैं और पहले से वेरिफाइड हैं. यह आदेश राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के तहत राज्यों की खाद्य वितरण की ऊपरी सीमा के बावजूद लागू होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा राशन कार्ड मुहैया करने में देरी को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि “हमने अपना धैर्य खो दिया है.” जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानउल्लाह की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 19 नवंबर तक इस सिलसिले में जरूरी कदम उठाने का अंतिम मौका दिया है.

पीठ ने कहा, “हमने अपना धैर्य खो दिया है, हम यह पूरी तरह से स्पष्ट कर रहे हैं कि और उदारता नहीं बरती जाएगी.” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम आपको हमारे आदेश का पालन करने के लिए एक आखिरी मौका दे रहे हैं, अन्यथा आपके सचिव को उपस्थित होना होगा.”

केंद्र की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत प्राथमिकता वाले प्रत्येक परिवार को केवल एक राशन कार्ड जारी किया जाता है. शीर्ष अदालत कोविड महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों को पेश आईं समस्याओं और दशा का संज्ञान लेने के बाद, 2020 में दर्ज स्वत: संज्ञान वाले एक मामले की सुनवाई कर रही है.

पिछली सुनवाई में, अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को निर्देश दिया था कि वे केंद्र की ओर से अब तक की अनुपालन स्थिति पर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करें. लाइव लॉ के मुताबिक, मध्यस्थ… वकील प्रशांत भूषण ने 4 अक्टूबर को अदालत में कहा कि केंद्र अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहा है और एनएसएफए की धारा-9 का सहारा ले रहा है, जो एक ऊपरी सीमा निर्धारित करती है. उन्होंने कहा कि यह अदालत के उन आदेशों के खिलाफ है, जिसमें कहा गया था कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लोगों को किसी भी विचार के बिना राशन दिया जाना चाहिए.

धारा-9 के अनुसार, 50 प्रतिशत शहरी आबादी और 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को उचित रूप से राशन कार्ड दिए जाने चाहिए. भूषण ने अदालत को बताया कि संघ उन राज्यों को अतिरिक्त राशन देने से इनकार कर रहा है जिन्होंने अतिरिक्त लोगों को राशन कार्ड देने के लिए सत्यापित किया है, यह कहते हुए कि उनका खाद्य कोटा ऊपरी सीमा तक पहुंच गया है. भूषण ने केंद्र द्वारा दाखिल हालिया हलफनामा पढ़कर सुनाया. हलफनामे के अनुसार, केंद्र ने कहा है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है जहां अतिरिक्त राशन देने से खाद्यान्न की स्वीकृत सीमा पार हो सकती है.

अदालत के आदेशों के अनुसार, कई राज्यों ने खाद्यान्न का अतिरिक्त आवंटन मांगा है जो धारा-9 के तहत निर्धारित सीमा से परे जा सकता है. इसके विपरीत, भाटी ने कहा कि राशन कार्ड प्रदान करना एक गतिशील प्रक्रिया है क्योंकि यह एक निरंतर प्रक्रिया होनी चाहिए जिसमें उन लोगों को हटाना भी शामिल है जो अयोग्य हो गए हैं. उन्होंने कहा कि सत्यापन प्रक्रिया के दौरान कई विसंगतियां पाई गईं जिन्हें सुलझाना आवश्यक है. भूषण ने अदालत में सभी राज्यों का डेटा प्रस्तुत किया. कर्नाटक के डेटा के अनुसार, 1.45 लाख लोग राशन कार्ड के लिए पात्र पाए गए. हालांकि, केवल 13,945 लोगों को ही राशन कार्ड जारी किए गए हैं.

अदालत ने कर्नाटक राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से जवाब मांगा और उन्हें बताया गया कि राज्य अन्य लोगों को जारी करने की प्रक्रिया में है. हालांकि, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह इस उत्तर से असंतुष्ट होकर मौखिक रूप से बोले: “ओह, तो आपकी प्रक्रिया में एक और साल लगेगा? आपकी प्रक्रिया के लिए, वे भूखे रहेंगे? एक साल के लिए, उन्हें आपके भोजन का इंतजार करना होगा? हम सख्त कार्रवाई करेंगे. हम अवमानना का नोटिस जारी कर रहे हैं.” जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा: “भूख इंतजार नहीं कर सकती.”

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले, केंद्र से एक हलफनामा दाखिल कर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड प्रदान करने और उनके लिए अन्य कल्याणकारी कदम उठाने के संबंध में 2021 के फैसले और उसके बाद के निर्देशों के अनुपालन के बारे में विवरण देने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने 29 जून 2021 के फैसले और उसके बाद के आदेशों में प्राधिकारों को कई निर्देश जारी कर उनसे कल्याणकारी उपाय करने को कहा था, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान समस्याओं का सामना करने वाले सभी प्रवासी श्रमिकों को ‘ई-श्रम’ पोर्टल पर पंजीकृत राशन कार्ड देना भी शामिल है.

‘ई-श्रम’ केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया असंगठित श्रमिकों (एनडीयूडब्ल्यू) का एक व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य देश भर में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के वास्ते सामाजिक सुरक्षा उपायों को सुविधाजनक बनाना है.

Tags: Migrant labour, Migrant Workers, Supreme Court

FIRST PUBLISHED :

October 5, 2024, 16:42 IST

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