Camphora Use In Puja: सनातन धर्म में किसी भी पूजा या अनुष्ठान की समाप्ति पर आरती करने का विधान है. इसमें लोग कपूर जलाते हैं. आरती करने का अर्थ है कि अपने आसपास फैली नकारात्मकता और अशुद्धियों को समाप्त कर आध्यात्मिक जगत में प्रवेश कर सकें. यह हिंदू पूजा में सदियों से गहरे आध्यात्मिक अर्थ को धारण करता है. आपने अक्सर देखा होगा कि ईश्वर की पूजा करने के बाद जब आरती की जाती है तो उसमें कपूर का प्रयोग अवश्य किया जाता है. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर आरती-अनुष्ठान में कपूर क्यों जलाते हैं? क्या है इसका आध्यात्मिक महत्व? इस बारे में News18 को बता रहे हैं प्रतापविहार गाजियाबाद के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी-
आरती-अनुष्ठान में कपूर जलाने का आध्यात्मिक महत्व
निःस्वार्थता और शुद्धता: जब कपूर को जलाया जाता है तो वह बिना अपना कोई अंश छोड़े पूरी तरह जल जाता है. कपूर के पूरी तरह जलने के बाद वहां भीनी-भीनी खुशबू और ताजगी से भरा वातावरण शेष रह जाता है. इसका अर्थ आप इस संदर्भ में भी ले सकते हैं कि कपूर को जलाने वाला व्यक्ति अपने भीतर की सभी अशुद्धियों और अहंकार को समाप्त कर स्वयं को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देता है.
ईश्वर के प्रति प्रतिबद्धता: जिस तरह कपूर के जलने के पश्चात वातावरण सुगंधित हो जाता है, यह इस बात को दर्शाता है कि व्यक्ति अपने भीतर के अहंकार को जलाकर चारो-ओर अच्छाई और सकारात्मकता को फैलाएगा. साथ ही वह इस बात के लिए भी प्रतिबद्ध होता है कि उसकी ओर से ज्ञान का प्रसार करने की भी पूरी कोशिश की जाएगी.
आंतरिक प्रकाश का मार्गदर्शन: कपूर की ज्योति देवता के चेहरे को प्रकाशित करती है, जो भक्त के जीवन में दिव्य प्रकाश की उपस्थिति का प्रतीक है. हिंदू दर्शन में अग्नि को शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है. साथ ही, आरती की ज्योति अशुद्धियों को जलाने का प्रतिनिधित्व करती है. इससे उपासक अपने आंतरिक आत्मा और दिव्य से जुड़ पाता है.
सुरक्षा और सकारात्मकता: ऐसा माना जाता है कि कपूर की सुगंध में एक सुरक्षात्मक गुण होता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और शांति और शुद्धता की भावना को आमंत्रित करता है. इस प्रकार, आरती का अनुष्ठान न केवल पूजा का कार्य बन जाता है, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धिकरण भी करता है.
प्राचीन परंपराओं से जुड़ाव: पूजा में कपूर का महत्व हाल का नहीं है; यह सदियों पुराना है. अनुष्ठानों के दौरान कपूर जलाने की क्रिया वैदिक काल में उत्पन्न मानी जाती है, जहां अग्नि, जल और वायु जैसे प्राकृतिक तत्वों को देवताओं तक पहुंचने के साधन माना जाता था.
ये भी पढ़ें: Vivah Panchami 2024: विवाह पंचमी कब है? इसी दिन भगवान राम और माता सीता का हुआ था विवाह, यहां जानें डेट
ये भी पढ़ें: Bhairav Ashtami 2024: भैरव अष्टमी कब है? व्रत पूजन से सभी कार्य होंगे सिद्ध, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 13:30 IST