आलू की क्यारी बनाता किसान
फर्रुखाबाद: कृषि प्रधान देश में आलू एक ऐसी प्रमुख नगदी फसल है, जिसका उत्पादन हर जगह होता है. किसी भी घर में यह किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है. आलू में मुख्य रूप से स्टार्च, विटामिन-C और खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. अधिक उपज देने वाली किस्मों में समय से बुआई और समय पर संतुलित मात्रा में जैविक उर्वरकों का प्रयोग के अनुपात में समुचित रूप से कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए. बता दें कि इसके साथ ही उचित जल प्रबंधन के जरिए आलू का अधिक उत्पादन कर आय बढ़ाई जा सकती है.
आलू का उत्पादन करने वाले किसानों ने बताया
ऐसे में किसानों के लिए आलू की फसल तैयार करने में हजारों रूपए की बड़ी लागत आती है. ऐसे में यह जानना आवश्यक हो जाता है कि किस प्रकार इसकी बुआई करने के बाद इसका सही प्रबंधन किया जा सकता है. आलू का उत्पादन करने वाले किसानों ने बताया कि मशीन से आलू की बुआई करने के बाद आलू के सभी बाजू पर अच्छे से खोदने के बाद आलू के बीजों को रखकर मिट्टी चढ़ा दी जाती है.
इससे आलू के बीज में नमी बनी रहती है और मिट्टी में जमाव भी सही से होता है. इसके अलावा एक बात और ध्यान रखनी होती है कि आलू के खेत में पानी अधिक न लगने पाए वरना फसल में रोग लगने की संभावना बनी रहती है. इससे आलू उत्पादन में बड़ा नुकसान हो सकता है.
यह है सिंचाई का तरीका
किसान के मुताबिक आलू के खेत में प्रत्येक घुआ की संख्या 5 और 7 खेत के ढलान के अनुसार रखी जाती है. इन्हें खेत की मुख्य नाली से जोड़ दिया जाता हैं, जिसके कारण खेत में एक समय पर पांच घुआ में सिंचाई हो जाती है और अधिक पानी भी नहीं पहुंचता है.
आलू की बुआई का सही समय
आलू की बुआई करने के लिए आप अक्टूबर से लेकर नवंबर अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं. वहीं, इस फसल के लिए बीजों का भी बहुत ही महत्व है, जिससे की तगड़ा उत्पादन हो सके. ऐसे समय पर कुफरी कंचन, पुखराज, नीलकंठ, हॉलैंड, चिप्सोना, बादशाह, कुफरी सिंदूरी, कुफरी देवा जैसी विभिन्न बीजों की बुआई की जाती है.
वहीं, ऐसी तगड़ी उपज देने वाली आलू की किस्मों की समय से बोआई में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए. इसके साथ ही समुचित कीटनाशक का प्रयोग होना आवश्यक है, जिसके मृदा भी सही रहेगी. इसके साथ ही उचित जल प्रबंधन के जरिए, आलू का अधिक उत्पादन कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते है.
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FIRST PUBLISHED :
October 20, 2024, 13:21 IST