किसान ने खुद लगाई 15 बीघा सोयाबीन फसल में आग
शुभम मरमट / उज्जैन: खेती में दिन-रात मेहनत कर के किसान अपनी फसल को तैयार करता है, ताकि अच्छा उत्पादन मिल सके और मुनाफा हो सके. लेकिन कभी-कभी स्थिति ऐसी बन जाती है कि किसान की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है, और उसे अपने नुकसान से उबरने के लिए कठोर फैसले लेने पड़ते हैं. ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के पास बड़नगर तहसील के गांव अजनावदा के किसान हीरालाल पाटीदार के साथ हुआ, जिन्होंने निराश होकर अपनी 15 बीघा सोयाबीन की फसल को जला दिया.
पीला मोजक फंगस से बर्बाद हुई फसल
ग्राम अजनावदा, जो कि उज्जैन शहर से करीब 65 किलोमीटर दूर स्थित है, में हीरालाल पाटीदार ने अपने 28 बीघा खेत में 1135 वैरायटी की सोयाबीन बोई थी. अच्छी फसल की उम्मीद में हीरालाल ने खाद-बीज और खेती से जुड़ी अन्य आवश्यकताओं पर हजारों रुपये खर्च किए थे. लेकिन जब फसल बढ़ी, तो उसमें पीला मोजक और फंगस लग गई, जिससे 14 बीघा की सोयाबीन फसल पूरी तरह से खराब हो गई. प्राकृतिक आपदा के कारण फसल की उपज में भारी कमी आई, और जब थ्रेशर मशीन से फसल काटने का काम शुरू किया गया, तो नतीजे चौंकाने वाले थे. फसल की पैदावार इतनी कम हुई कि उसकी लागत भी नहीं निकल सकी.
किसान की मायूसी और कठोर फैसला
हीरालाल पाटीदार ने जब फसल कटाई के बाद उपज देखी, तो वह निराश हो गए. उन्होंने बताया कि जितना उन्होंने खाद, बीज, और अन्य लागतों पर खर्च किया था, वह भी नहीं निकल पा रहा था. उनकी सोयाबीन की उपज प्रति बीघा केवल 20 किलो तक सिमट कर रह गई, जिससे न तो बीज बुवाई का पैसा निकला और न ही कटाई का खर्चा. यहां तक कि फसल को बाजार में बेचने पर भी उन्हें जेब से पैसे लगाने पड़ते. इस स्थिति से निराश होकर हीरालाल ने अपनी कटी हुई सोयाबीन की फसल में आग लगा दी और अब वह बीमा मुआवजे के इंतजार में हैं.
बीमा मुआवजे की उम्मीद
इस मामले में नायब तहसीलदार दुर्वेन्द्र दुबे ने जानकारी दी कि हीरालाल ने अपने खेत में 1135 सोयाबीन की वैरायटी लगाई थी, जिसमें पीला मोजक और फंगस लगने के कारण फसल बर्बाद हो गई. हमने किसान के लिए टोल फ्री नंबर पर बीमा क्लेम दर्ज करवा दिया है, जिससे उन्हें बीमा कंपनी से पूरा मुआवजा मिलेगा. इसके अलावा, कृषि विभाग ने भी अपने स्तर पर जांच की थी, ताकि किसान को उचित मुआवजा मिल सके.
फसल जला कर किसानों की हताशा
फसल बर्बाद होने के बाद किसान का यह कदम बेहद हताशा और दुखदायी है. हीरालाल पाटीदार जैसे किसान, जो अपनी फसल से अच्छी उपज की उम्मीद में मेहनत करते हैं, जब प्राकृतिक आपदाओं या फसल रोगों के चलते ऐसी स्थिति का सामना करते हैं, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि, इस स्थिति में बीमा योजनाएं किसानों के लिए एक सहारा बन सकती हैं, जो उन्हें उनके नुकसान की भरपाई कर सके.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 11:11 IST