आयुर्वेद में सीने में दर्द होने के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं। हृदय में तीनों ही दोष यानि वात, पित्त और कफ समान रूप में रहते हैं। चेस्ट पैन हृदय संबंधी समस्याओं के अलावा कुछ और अन्य कारणों से भी हो सकता है। यह समस्या फेफड़ों में संक्रमण आहार नली, मांसपेशियों, पसलियों तंत्रिकाओं की किसी समस्या के कारण भी हो सकता है। गर्दन के निचले हिस्से से लेकर पेट के ऊपरी हिस्से तक कहीं भी छाती या सीने में भारीपन व दर्द महसूस हो सकता है। चलिए जानते हैं छाती में दर्द किन कारणों से हो सकता है?
इन वजहों से होता है छाती में दर्द:
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फेफड़े की बीमारी: फेफड़े की बिमारी होने की वजह से भी छाती में दर्द हो सकता है इस अवस्था में छाती के बगल में दर्द है सांस लेने या खाँसने से ये दर्द बढ़ जाता है। सीने में दर्द के सामान्य कारणों में फेफड़ों के परत में सूजन छाती में दर्द के कारण बनता है। फेफड़ो की बिमारी जैसे निमोनिया और दमा भी सीने में दर्द का कारण बन सकता है।
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टीबी: सीने में दर्द का मुख्य कारण टीबी भी हो सकता है। इस बीमारी में भी फेफड़ों की झिल्ली में सूजन आ सकती है जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने पर सूजी हुई सतह में हवा रगड़ खाने से दर्द होने लगती है।
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पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज: हृदय की धमनियों के दर्द को पेरिफेरल वैस्कुलर कहा जाता है। हृदय से जुडने वाले शरीर के आंतरिक अंग और दिमाग को रक्त पहुँचाने वाली धमनियों में रक्त का संचरण बाधित होने पर छाती में दर्द होता है।
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कोरोनरी आर्टरी डिसेक्शन: कोरोनरी धमनी में किसी छेद या खरोंच होने को कोरोनरी आर्टरी डिसेक्शन कहा जाता है। यह स्थिति कई प्रकार के कारको की वजह से पैदा हो सकती है। इसके कारण अचानक गम्भीर दर्द हो सकता है।
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पेट की समस्या: पेट के कई तरह के बीमारियों के कारण भी छाती में दर्द हो सकता है। एसिडिटी और एसिड रिफ्लक्स की वजह से कई बार सीने में दर्द और बेचैनी हो सकती है। कई बार भोजन नली में ऐंठन या पेप्टिक अल्सर की वजह से भी सीने में दर्द हो सकता है। जब पित्त की थैली में गैस बनती है और ये गैस छाती के तरफ जाती है तो छाती में गैस के लक्षण महसूस होने लगते हैं और चेस्ट पैन होने लगता है।