जैविक खेती करने वाले किसान जगन्नाथ प्रसाद मौर्य!
बहराइच: बहराइच के रहने वाले किसान जगन्नाथ मौर्या पिछले कई सालों से खेती करते आ रहे हैं.अच्छी बात यह है कि वो जितनी भी खेती करते हैं, पूरी तरह से प्राकृतिक करते हैं. उन्होंने 2 गाय पाल रखी है. इन गायों से निकलने वाले गोबर और मूत्र को जैविक खेती में उपयोग करते हैं. वो खुद भी अपनी उगाई सब्जी और फलो का सेवन करते हैं. जगन्नाथ ने बताया कि वो 66 साल के हो गए हैं और उन्हें एक भी बीमारी नहीं है.
कैसे करते हैं जैविक खेती
जैविक खेती प्रकृति के अनुरूप काम करती है. चूंकि जैविक किसान सिंथेटिक उर्वरकों, जीएमओ या कीटनाशकों का उपयोग नहीं करते हैं. इसलिए उन्हें अन्य तरीकों की मदद से कीड़े, बीमारी और खरपतवारों से लड़ना पड़ता है.लेकिन जैविक खेती में गाय के गोबर यूरिन का बहुत बड़ा महत्व होता है. जिसके निकलने वाले गोबर मूत्र को विशेष प्रकार की मिट्टी गूढ़ आदि सामग्री डाल कर तैयार किया जाता है.
जैविक खेती के फायदे
जैविक खेती के फायदे अनेकों है. जैविक खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जैविक विधि से खेती करने वाली भूमि बंजर और खराब नहीं होती है. तथा वह अधिक समय के लिए उपजाऊ रहती है. जैविक प्रक्रिया द्वारा की गई खेती की फसलों को भी अच्छा माना जाता है. जिसमे स्वाद विटामिन प्रोटीन अधिक मात्रा में और शुद्ध मात्रा में पाया जाता है. लेकिन बहुत कम ही किसान ऐसे हैं, जो जैविक विधि से खेती करते हैं. वह इसलिए जैविक खेती में उपज थोड़ी कम रहती है और तैयार होने में भी समय लगता है.
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जैविक खेती का खर्च
जैविक खेती में फसलों में आने वाला खर्च न के बराबर होता है. क्योंकि जैविक खेती में प्राकृतिक बनी हुई खाद का उपयोग किया जाता है, जिसको आसानी से किसान अपने घरों पर ही तैयार कर सकते हैं. लागत भी ना के बराबर आती है. वहीं, बात की जाए अंग्रेजी खाद की तो यह निश्चित तौर पर फसलों को तो जल्दी और अधिक मात्रा में तैयार कर देती है, लेकिन खर्च भी अधिक आता है. इसे उगी हुई फसलों का स्वाद भी नहीं मिलता. लेकिन जैविक विधि द्वारा उगी हुई फसलों सब्जियां में ऐसा नहीं होता है. उनको खाने से कोई भी नुकसान नहीं होता है और स्वादिष्ट भी होती हैं.
जगन्नाथ जी ने बताया कि बहराइच में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से भी इनको बहुत सहायता मिलती है. यहां के वैज्ञानिक और डॉक्टर से भी यह राय लेते रहते हैं. साथ ही सब्जी और फसलों की बीज भी इनको कृषि विज्ञान केंद्र से मिल जाती हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 25, 2024, 10:52 IST