नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघण्टा देवी के पूजन का विधान
वाराणसी: शक्ति और उपासना के पर्व नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विधान है. शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. धार्मिक कथाओं के अनुसार देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा अपने घंटियों की आवाज से ही असुरों का नाश कर देती है. यही वजह है कि जो भक्त माता के दर्शन करता है, उसके सभी कष्ट माता दूर करती हैं.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि जिन व्यक्ति को शत्रुओं का भय रहता है, देवी के दर्शन मात्र से उनके शत्रुओं का नाश होता है. इसके अलावा हर तरह के भय और बाधा से भी माता चद्रंघंटा मुक्ति दिलाती है. नवरात्रि के अलावा मंगलवार के दिन भी भक्तों को देवी का दर्शन करना चाहिए.
सफेद फूल से प्रसन्न होगी देवी
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि तीसरे दिन पूजा के दौरान माता चंद्रघंटा को पूजा में सफेद या लाल फूल चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा इस दिन यदि सफेद वस्त्र पहना जाए तो, इससे भी भक्तों पर माता की कृपा बरसती है. इस दिन देवी को भोग में सफेद बर्फी चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा नारियल और लाल चुनरी चढ़ाने से भी देवी प्रसन्न होती है.
देवी पार्वती का रौद्र रूप है मां चंद्रघंटा
ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि पुराणों के अनुसार मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है. माता शेर पर सवार है और इनकी 10 भुजाएं हैं. इन 10 भुजाओं में अस्त्र शस्त्र विद्यमान है. इनकी पूजा से धन, ऐश्वर्य और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है
इस मंत्र का करें जाप
काशी के ज्योतिषाचार्य संजय उपाध्याय के मुताबिक, मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:.’ माता चंद्रघण्टा के पूजा के समय इस मंत्र का 108 बार जाप जरूर करना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED :
October 5, 2024, 08:46 IST