Agency:News18 Jharkhand
Last Updated:February 04, 2025, 19:00 IST
38वें नेशनल गेम्स में शमीम आलम अपनी शानदार कमेंट्री से खेलों का रोमांच बढ़ा रहे हैं. उनकी आवाज सुनकर बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं. शमीम आलम का कमेंट्री करियर कई सालों का अनुभव है. वह इस टूर्नामेंट में अपनी आव...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- 38वें नेशनल गेम्स में शमीम आलम की कमेंट्री की चर्चा हो रही है.
- उनकी बुलंद आवाज और दिलचस्प अंदाज ने लोगों का दिल जीत लिया.
- शमीम आलम महान कॉमेंटेटर जसदेव सिंह को अपना आदर्श मानते हैं.
गिरिडीह: 38वें नेशनल गेम्स का आयोजन उत्तराखंड में हो रहा है, जिसमें देशभर से 3,500 से अधिक खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. इस साल के टूर्नामेंट में 35 से अधिक खेलों को शामिल किया गया है. यह आयोजन 14 फरवरी तक जारी रहेगा. इन खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों के बीच जो सबसे दिलचस्प बात है, वह है गिरिडीह के मोहम्मद शमीम आलम का कमेंट्री करना. शमीम का यह अनुभव उनके परिवार, गांव और क्षेत्र के लिए गर्व का विषय बन चुका है.
गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड के अंतर्गत खरगडीहा गांव के रहने वाले शमीम आलम ने अपनी आवाज से नेशनल गेम्स में एक अलग पहचान बनाई है. उनका जन्म 23 सितंबर 1958 को हुआ था और उनकी शुरुआती पढ़ाई भी यहीं हुई. बचपन से ही रेडियो के प्रति उनका विशेष लगाव था, जिसने उन्हें कमेंट्री के क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित किया.
शमीम ने अपनी आवाज से लोगों का जीता दिल
शमीम ने शुरुआत में अपने आसपास के गांवों में होने वाले खेलों पर कमेंट्री करना शुरू किया. उनकी बुलंद आवाज और दिलचस्प अंदाज ने लोगों का दिल जीत लिया. धीरे-धीरे वह पंचायत से निकलकर प्रखंड और फिर जिला स्तर पर क्रिकेट और फुटबॉल मैचों पर कमेंट्री करने लगे. इस दौरान उनके काम को सराहना मिलती रही, जिसके बाद उनका चयन सीसीएल में हुआ और वह धनबाद चले गए. यहां उनका कमेंट्री का सफर लगातार जारी रहा.
कमेंट्री में करियर की शुरुआत
शमीम आलम को पहली बार 1990 में रेडियो पर कमेंट्री करने का मौका मिला, जिसे उन्होंने शानदार तरीके से निभाया. इस अवसर के बाद उनकी आवाज रेडियो पर गूंजने लगी. 2011 में डीडी स्पोर्ट्स ने उनकी आवाज को पहचानते हुए उन्हें नेशनल गेम्स के लिए चयनित किया. इसके बाद, 2015 में उन्होंने 35वें नेशनल गेम्स केरल में 20 दिनों तक कमेंट्री की और वह देश के 52 कॉमेंटेटर में शामिल हुए.
उनकी सफलता का सिलसिला यहीं नहीं थमा. शमीम ने गोवा में हुए नेशनल गेम्स में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा. अब 38वें नेशनल गेम्स में उत्तराखंड में वह फिर से अपनी आवाज से खेलों के रोमांच को दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं.
कॉमेंटेटर जसदेव को अपना आदर्श मानते हैं शमीम
शमीम आलम महान कॉमेंटेटर जसदेव सिंह को अपना आदर्श मानते हैं. उनका कहना है कि बचपन में जसदेव सिंह की आवाज सुनते हुए ही उनके मन में कमेंट्री करने का ख्वाब पका था. अब वह उस ख्वाब को साकार करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं.
Location :
Giridih,Jharkhand
First Published :
February 04, 2025, 19:00 IST