Last Updated:January 21, 2025, 17:25 IST
Uniform Civil Code: उत्तराखंड में जल्द लागू हो सकती है समान नागरिक संहिता, यूसीसी मैनुअल को कैबिनेट की मंजूरी के बाद CM धामी ने संकेत दिया कि इसी महीने इसकी घोषणा हो सकती है. UCC सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक, ...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- उत्तराखंड राज्य में इसी महीने UCC लागू होने वाला है
- इससे विवाह, तलाक, गोद लेने जैसे नियमों में बदलाव होगा
- धामी ने संकेत दिया कि UCC इसी महीने लागू हो सकता है
Uniform Civil Code: उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को राज्य सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मैनुअल (नियमावली) को मंजूरी दे दी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संकेत दिया है कि यूसीसी का अंतिम नोटिफिकेशन इसी महीने जारी हो सकता है.
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “हमने 2022 में उत्तराखंड के लोगों से वादा किया था कि सरकार बनने के तुरंत बाद यूसीसी बिल लाएंगे. हमने वह वादा निभाया. ड्राफ्ट कमेटी ने इसे तैयार किया, इसे पास किया गया, राष्ट्रपति ने मंजूरी दी और यह एक्ट बन गया. ट्रेनिंग की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो चुकी है. सभी पहलुओं का विश्लेषण करने के बाद जल्द तारीख की घोषणा करेंगे.” रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री धामी ने पहले कहा था कि मकर संक्रांति के शुभ अवसर से शुरू होने वाले समय में यूसीसी को लागू किया जाएगा. समान नागरिक संहिता उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में से एक थी. अब इसे लागू करने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है.
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क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता का मतलब है ऐसा एक कानून जो विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने और भरण-पोषण जैसे मुद्दों पर सभी धार्मिक समुदायों पर समान रूप से लागू होगा. भारत में अभी एक समान आपराधिक कानून है, लेकिन नागरिक कानून (Civil Law) अलग-अलग धार्मिक समुदायों के लिए अलग हैं. आदिवासी समुदायों को यूसीसी के दायरे से बाहर रखा गया है. इसमें हलाला, इद्दत, और तलाक जैसी प्रथाओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, जो मुस्लिम पर्सनल लॉ का हिस्सा हैं.
कैसे तैयार हुआ यूसीसी का ड्रॉफ्ट?
यूसीसी का ड्रॉफ्ट 750 पेजों में है, जिसमें चार वॉल्यूम और सात शेड्यूल शामिल हैं. इसे तैयार करने के लिए जून 2022 में विशेषज्ञों की पांच-सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की थी. 2 फरवरी, 2024 को विशेषज्ञ समिति ने अपना ड्राफ्ट सरकार को सौंपा. 4 फरवरी, 2024 को राज्य कैबिनेट ने ड्राफ्ट को मंजूरी दी. इसके बाद 28 फरवरी, 2024 को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने इसे मंजूरी दी. इसके बाद यह विधेयक विशेष सत्र में विधानसभा से पास हुआ.
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क्या बदलाव आएंगे यूसीसी से?
सभी धार्मिक समुदायों पर समान कानून लागू होगा. तलाक, विवाह, और संपत्ति के बंटवारे में एक समान प्रक्रिया होगी. महिला अधिकारों को मजबूत करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने संकेत दिया है कि यूसीसी इसी महीने औपचारिक रूप से लागू हो सकता है. ऐसा होने से उत्तराखंड आजादी के बाद ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने वाला प्रदेश बन जाएगा.
लिव इन रिलेशनशिप वालों के लिए क्या बदलेगा?
यूसीसी विधेयक की धारा 378 में राज्य में रह रहे पुरुष और महिला के लिए, चाहे वे उत्तराखंड के निवासी हों या नहीं, संबंधित रजिस्ट्रार को “लिव इन रिलेशनशिप स्टेटमेंट” जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है. यदि कपल बाहर रह रहे हैं, तो उत्तराखंड के निवासियों को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर रजिस्ट्रार को अपने लिव इन रिलेशनशिप की स्थिति प्रस्तुत करनी होगी.
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कानून कहता है कि पंजीकरण में एक महीने की भी देरी या झूठी जानकारी देने पर छह महीने तक की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. अधिकारी अपने आप से या शिकायत के आधार पर रिश्ते को पंजीकृत नहीं करने के लिए जोड़े को नोटिस जारी कर सकते हैं. कानून के अनुसार, लिव इन रिलेशनशिप संबंध से पैदा हुए बच्चे “वैध” होंगे. बच्चे को वैध रूप से विवाहित माता-पिता की तरह ही अधिकार और लाभ प्राप्त होंगे. विधेयक में लिव इन रिलेशनशिप संबंध में साथी द्वारा महिला को छोड़ दिए जाने की स्थिति में विवाह के समान रखरखाव का भुगतान करने का भी आदेश दिया गया है. यदि कपल अपने रिश्ते को समाप्त करना चाहते हैं, तो उन्हें दूसरे पक्ष और रजिस्ट्रार को एक नोटिस देना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समाप्ति को अधिकारियों द्वारा मान्यता दी जाए.
व्यक्तिगत कानूनों पर प्रभाव
एडॉप्शन: यूसीसी एकरूपता लाएगा, जिसका अर्थ है, जिन समुदायों को वर्तमान में कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं थी, उन्हें ऐसा विकल्प दिया जा सकता है. वर्तमान में, हिंदू एडॉप्शन और मेंटिनेंस एक्ट (1956) केवल हिंदुओं, जैनियों, सिखों और बौद्धों के लिए है.
मुस्लिम समुदाय: यूसीसी को अपनाने के बाद कांट्रैक्ट विवाह (मुता), निकाह हलाला, मिस्यार विवाह (सुन्नी मुसलमानों द्वारा किया जाने वाला एक विवाह अनुबंध) और बहुविवाह जैसी प्रथाएं संभवतः अप्रभावी हो जाएंगी. यहां तक कि शरीयत कानून के तहत न्यूनतम विवाह आयु भी बदल जाएगी. यूसीसी अधिक स्वीकृत तरीके लाएगा जिसके माध्यम से मुस्लिम पुरुष और महिला दोनों अपने विवाह को समाप्त कर सकते हैं.
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ईसाई विवाह: वर्तमान में, कैथोलिक कानून ईसाई विवाह को स्थायी, अविभाज्य के रूप में मान्यता देता है, जबकि कुछ इसे एक अनुबंध के रूप में भी मान्यता दे सकते हैं. यूसीसी विवाहों में एकरूपता लाएगा.
सिख समुदाय: 1909 का आनंद विवाह अधिनियम सिखों के विवाह कानूनों को नियंत्रित करता है. हालांकि, तलाक का कोई प्रावधान नहीं है. यूसीसी लागू होने के बाद तलाक के लिए एक सामान्य कानून सभी समुदायों, जिनमें सिख भी शामिल हैं, पर लागू होने की संभावना है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 21, 2025, 17:25 IST