पेड़ के फंदे पर मृतक द्रौपदी अहिरवार और पेड़ के नीचे 1 साल की बच्ची का शव
छतरपुर: छतरपुर जिले के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एक ऐसी हृदय विदारक घटना सामने आई है जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है. जिले के नारायण बाग इलाके में एक महिला ने अपनी 1 साल की मासूम बच्ची का गला घोंटकर हत्या की और फिर खुद को पेड़ से फांसी लगाकर जान दे दी. इस घटना ने स्थानीय निवासियों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है, और पुलिस ने मामले की जांच तेज कर दी है.
घटना का पूरा विवरण
मृतक महिला की पहचान द्रोपदी अहिरवार के रूप में हुई है, जो नारायण बाग के पहाड़ी इलाके में अपने पति और परिवार के साथ रहती थी. द्रोपदी की मानसिक स्थिति पिछले कुछ समय से खराब थी और इसी वजह से वह बार-बार घर से बाहर निकल जाती थी. उसके पति रामकरण अहिरवार ने बताया कि द्रोपदी कई बार बिना किसी को बताए घर छोड़कर चली जाती थी और जब उसका मन होता था तो वापस लौट आती थी. इस बार भी गुरुवार को वह अपनी एक साल की बच्ची के साथ अचानक घर से चली गई थी, जिसके बाद परिवार ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
शव मिलने के बाद मचा हड़कंप
शुक्रवार की सुबह नारायण बाग के पहाड़ी इलाके में ग्रामीणों ने एक पेड़ पर महिला को फांसी पर लटका देखा और उसके पास ही उसकी 1 साल की बच्ची का शव पड़ा हुआ पाया. इस भयावह दृश्य ने इलाके के लोगों को स्तब्ध कर दिया और तुरंत पुलिस को सूचित किया गया. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
मानसिक बीमारी का कारण बना मौत का सबब
महिला के पति रामकरण ने बताया कि उनकी पत्नी की मानसिक स्थिति काफी समय से खराब थी और इस वजह से वह असामान्य व्यवहार करती रहती थी. पति का मानना है कि मानसिक बीमारी के कारण ही द्रोपदी ने यह भयानक कदम उठाया. वह अपनी बच्ची के साथ क्यों चली गई और इस तरह का कदम क्यों उठाया, इसका जवाब अब किसी के पास नहीं है, लेकिन इस घटना ने परिवार के साथ-साथ समाज को भी झकझोर कर रख दिया है.
पुलिस जांच में जुटी
सिविल लाइन थाना पुलिस ने इस मामले में मर्ग कायम कर लिया है और सभी संभावित पहलुओं से मामले की जांच कर रही है. हालांकि शुरुआती जांच में मानसिक बीमारी के कारण आत्महत्या का ही मामला माना जा रहा है, लेकिन पुलिस अन्य कोणों से भी जांच कर रही है. पुलिस ने मृतका के परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों से भी पूछताछ की है ताकि इस घटना के पीछे के कारणों का सही-सही पता लगाया जा सके.
मानसिक बीमारी पर बढ़ते सवाल
इस घटना ने मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा और इस पर ध्यान न दिए जाने के गंभीर परिणामों की ओर इशारा किया है. भारत में आज भी मानसिक बीमारी को एक सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है, और इससे जूझ रहे व्यक्ति को सही समय पर उपचार नहीं मिल पाता. छतरपुर की इस घटना से साफ है कि मानसिक बीमारी की वजह से ही यह भयावह त्रासदी घटित हुई है. अगर सही समय पर द्रोपदी का इलाज हुआ होता और परिवार को इस समस्या के बारे में जागरूकता होती, तो शायद इस तरह की घटना से बचा जा सकता था.
FIRST PUBLISHED :
October 25, 2024, 21:01 IST