सबसे छोटी उम्र में ये लड़की बनी अपने प्रदेश की सरपंच, कहा-मोदी से मिली प्रेरणा

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गुजरात: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व गुणों से प्रेरित होकर, वडोदरा की 24 वर्षीय छात्रा गांव की सरपंच बनी हैं. समाजकार्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही इस छात्रा ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में यह पद ग्रहण कर गुजरात की सबसे युवा सरपंच होने का गौरव हासिल किया. सरपंच बनने के बाद उन्होंने गांव को स्वच्छ बनाने और पंचायत की आय में वृद्धि करने का कार्य किया. वर्तमान में, वह गांव के विकास के लिए कई प्रकार की गतिविधियाँ कर रही हैं और भविष्य में और भी योजनाएं बनाना चाहती हैं.

वडोदरा के पास स्थित दुमाड गांव की सबसे युवा सरपंच
दुमाड गांव के सबसे युवा सरपंच कल्पनाबेन चौहान को देखकर ऐसा लगता ही नहीं कि इतनी युवा महिला पूरे गांव का नेतृत्व कर रही होगी, लेकिन यह सच है. इस दलित बेटी ने गांव के विकास और स्वच्छता के लिए कड़ी मेहनत की है. दिसंबर 2022 में हुई सरपंच की चुनाव में लगभग 1000 मतों से जीतने के बाद, उन्होंने 17 जनवरी 2022 को सरपंच का पद ग्रहण किया. उस समय उनकी उम्र मात्र 22 वर्ष थी और उन्होंने बी.कॉम. की पढ़ाई पूरी कर ली थी.

कॉलेज से सीधे पंचायत तक का सफर
इस सवाल पर कि वह कॉलेज से सीधा पंचायत में कैसे आ गईं, कल्पनाबेन कहती हैं कि उनके पिता कांति भाई चौहान खुद 25 वर्षों से पंचायत के सदस्य रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महिला सशक्तिकरण और युवा नेतृत्व को प्रोत्साहन दिए जाने से भी उन्हें प्रेरणा मिली. उन्होंने मोदी के नेतृत्व के एक मजबूत और स्वच्छ चेहरे को देखकर सरपंच बनने का निर्णय लिया. पिता का सहयोग और गांववासियों का समर्थन भी उन्हें प्राप्त हुआ.

गांव में किए गए विकास कार्यों का खाका
कल्पनाबेन बताते हैं कि सरपंच बनने के बाद उन्होंने ग्राम पंचायत की आय को बढ़ाया. व्यावसायिक कर से संबंधित समस्याओं का समाधान कर आय के स्रोतों को सशक्त किया, जिससे ग्राम पंचायत की संपत्ति 75 लाख रुपये हो गई. उनके कार्यकाल में लगभग 14 से 15 करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए, जिसमें सड़क निर्माण, तालाब का सौंदर्यीकरण, आंगनवाड़ी और प्राथमिक विद्यालय का निर्माण शामिल है.

पंचायत कार्यालय को जनसेवा केंद्र में बदलने की पहल
कल्पनाबेन चौहान बताती हैं कि उन्होंने पंचायत कार्यालय को जनसेवा का केंद्र बनाया. विधवा सहायता के लिए कैंप आयोजित कर 260 से अधिक महिलाओं को मासिक आर्थिक सहायता दिलाई और 50 से अधिक परिवारों को एन.एफ.एस.ए. योजना के तहत अनाज उपलब्ध कराने में मदद की. शिक्षा में भी उन्होंने दो सेमेस्टर में डिस्टिंक्शन हासिल किया है, और कॉलेज, स्कूल में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुई हैं.

दुमाड को स्वच्छ बनाने की कोशिशें और उपलब्धियां
दुमाड गांव को स्वच्छ बनाने के लिए कल्पनाबेन ने घर-घर जाकर लोगों को समझाया और बैठकें कीं, जिसके परिणामस्वरूप गांव स्वच्छ हुआ. गांव को जिला और राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान मिला. 2 अक्टूबर को दिल्ली में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की उपस्थिति में हुए स्वच्छ भारत दिवस कार्यक्रम में केवल कल्पनाबेन को गुजरात से आमंत्रित किया गया था.

प्लास्टिक कचरे का सदुपयोग
दुमाड गांव में घर-घर से कचरा इकट्ठा किया जाता है और उसका पृथक्करण किया जाता है. ‘कचरे से आज़ादी’ फाउंडेशन की मदद से प्लास्टिक के कचरे को विभिन्न वस्तुओं में बदलने का कार्य किया जाता है. गांव के तालाब के चारों ओर लगाए गए बेंचों में से कुछ इस प्लास्टिक से बने हैं.

दुमाड गांव का जनसंख्या विवरण और नेतृत्व
दुमाड गांव में कुल 1326 घर हैं और जनसंख्या 5244 है, जिसमें 2557 महिलाएं और 2687 पुरुष शामिल हैं. गांव की तलाई मंत्री मिताबेन चौधरी और उपसरपंच उषाबेन परमार हैं. पूरे गांव का प्रबंधन महिलाओं के हाथ में है. ग्रामवासियों और पंचायत सदस्यों के सामूहिक प्रयासों से दुमाड एक आदर्श गांव बन चुका है.

Tags: Gujarat, Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

October 25, 2024, 22:12 IST

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