डॉ. भीमराव अंबेडकर और दिलीप कुमार. एक वंचितों के मसीहा और दूसरे हिंदी सिनेमा के दिग्गज. डॉ. अंबेडकर जिन दिनों संविधान को अंतिम रूप देने में जुटे थे उन्हीं दिनों उनकी मुलाकात दिलीप कुमार से हुई. दरअसल, दिलीप कुमार एक कार्यक्रम के सिलसिले में औरंगाबाद गए थे और उसी होटल में ठहरे थे, जहां अंबेडकर रुके थे. उन दिनों अपनी शोहरत की बुलंदियों पर चल रहे दिलीप कुमार न सिर्फ सिनेमा जगत के बड़े नाम थे बल्कि जवाहरलाल नेहरू के क़रीबी मित्र भी थे. पंडित नेहरू अक्सर उनसे सिनेमा से लेकर संस्कृत कला जगत से जुड़े मसलों पर राय लिया करते थे.
वाणी प्रकाशन से हाल ही में आई अंबेडकर की जीवनी ‘अंबेडकर: एक जीवन’ में शशि थरूर लिखते हैं कि दिलीप कुमार की विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छी दोस्ती थी. वह विचारधारा से इतर सबसे मिलते-जुलते थे. उस दौर के अहम मुद्दों पर उनकी अच्छी पकड़ थी. जब दिलीप कुमार को पता चला कि डॉ. अंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar) उसी होटल में हैं, तो उन्होंने संविधान निर्माता से मुलाकात की इच्छा जाहिर की. दोनों की मुलाकात तय हुई.
किस बात पर उखड़ गए डॉ. अंबेडकर
दिलीप कुमार जब डॉ. बीआर अंबेडकर से मिले तो उनसे उनके कॉलेज के लिए डोनेशन (दान) की भी पेशकश की. हालांकि दोनों की मुलाकात बहुत अच्छी नहीं रही. थरूर लिखते हैं कि दोनों की मुलाकात के बारे में अलग-अलग मत हैं, पर ज़्यादातर इस बात पर सहमत हैं कि अंबेडकर ने फ़िल्म अभिनेता को ख़ास तवज्जो नहीं दी और उनके साथ बेहद रूखा व्यवहार किया. अंबेडकर ने फ़िल्म इंडस्ट्री पर हमला करते हुए बातचीत की शुरुआत की. वह मानते थे कि फ़िल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले स्त्री और पुरुष ‘अच्छे लोग नहीं होते और उनमें नैतिकता और मूल्यों का भी अभाव होता है’. अम्बेडकर कुछ और कहते इससे पहले ही दिलीप कुमार ने उन्हें रोका और कहा कि उन्हें ग़लत जानकारी दी गई है.
दिलीप कुमार ने समझाने की कोशिश की…
दिलीप कुमार ने कहा, ‘फिल्म इंडस्ट्री के बारे में आपने अपने जेहन में ‘ग़लत तस्वीर’ बना रखी है…’ हालांकि वो अंबेडकर को आसानी से समझा नहीं सके. अंबेडकर अपनी बात दोहराते रहे. उन्होंने फिल्म उद्योग से जुड़ी कई ‘अप्रिय घटनाओं’ का हवाला देकर कहा कि फ़िल्म इंडस्ट्री कोई तारीफ के लायक जगह नहीं है. आखिरकार दिलीप कुमार कुछ ज्यादा नहीं कह पाए और वहां से निकल गये. थरूर लिखते हैं कि अंबेडकर और दिलीप कुमार की इस मुलाक़ात के बारे में एक और कहानी प्रचलित है.
अंबेडकर ने दोस्तों को भी सुना दिया
अंबेडकर ने अपने उन मित्रों को खूब सुनाया, जिन्होंने इस मुलाक़ात की व्यवस्था की थी. उन्होंने कहा, ‘मुझे फ़िल्मी कलाकारों, उद्योगपतियों और कारोबारियों से दान लेने की ज़रूरत नहीं…’ जब दिलीप कुमार को अंबेडकर के जवाब के बारे में बताया गया तो उन्होंने कहा, ‘डॉ. अंबेडकर मेरे लिए पिता तुल्य हैं. मैं उनके विचारों का पूरी तरह सम्मान करता हूं.
शशि थरूर लिखते हैं कि डॉक्टर अंबेडकर के जिन मित्रों ने इस मुलाक़ात की व्यवस्था करवायी थी, उन्होंने उनसे कहा कि उन्हें दिलीप कुमार के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था. क्योंकि वह केवल अंबेडकर के प्रति सम्मान प्रकट करने ही नहीं आये थे, बल्कि उनके उद्देश्यों के लिए अच्छी-ख़ासी रक़म भी दान में देना चाहते थे. इस पर अंबेडकर ने खीझकर कहा- ‘वह पैसे के लिए कभी अपने विचार, फैसले और मूल्यों को नहीं बदलेंगे…’ इसके बाद फिर कभी दोनों की मुलाकात नहीं हुई.
Tags: B. R. ambedkar, Dilip Kumar, Dr. Bhim Rao Ambedkar, Dr. Bhimrao Ambedkar, SHASHI THAROOR
FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 18:49 IST