ऑनलाइन फ्रॉड में गायब रकम बैंक को लौटानी होगी, उपभोक्ता फोरम का ये फैसला नजीर

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सागर

सागर उपभोक्ता फोरम न्यूज

सागर: मध्य प्रदेश के सागर में उपभोक्ता फोरम द्वारा सुनाया गया फैसला उन लाखों लोगों के लिए नजीर बन सकता है जो अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंक लेनदेन यानी ग्रीन चैनल या एटीएम जैसे डिवाइस से फ्रॉड का शिकार बन जाते हैं. ऐसे फ्रॉड का शिकार हुए लोग अगर तीन दिन के अंदर बैंक में इसकी शिकायत कर देते हैं, तो फिर बैंक को इसमें तत्काल कार्रवाई करनी पड़ेगी, जिससे उनके खोए हुए पैसे मिलने की संभावना मजबूत होगी.

दरअसल 6 जुलाई 2017 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गाइडलाइन जारी की गई थी जिसके मुताबिक अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंक लेनदेन किसी ग्राहक के खाते से होता है और वह अलर्ट है तीन दिन के अंदर उसने बैंक में इसकी शिकायत भी की तो बैंक को इस पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि कहीं ना कहीं बैंक की कमी की वजह से ग्राहक के खाते से कोई इस तरह की ट्रांजैक्शन कर लेता है. ग्राहक द्वारा सही समय पर बैंक को रिपोर्टिंग करने पर बैंक की ही जिम्मेदारी बढ़ जाएगी.

बुजुर्ग के खाते से निकल गए लाखों रुपये
सागर में उपभोक्ता फोरम एवं विवाद प्रतितोषण आयोग ने बैंक अकाउंट से ऑनलाइन फ्रॉड के माध्यम से रकम उड़ाए जाने के एक मामले में बैंक के खिलाफ आदेश जारी किया है. आयोग के अध्यक्ष राजेश कुमार कोष्टा ने आरबीआई द्वारा वर्ष 2017 में जारी अधिसूचना को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया. मामले में पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले उपभोक्ता मामलों के जानकार वकील पवन नन्होरिया ने बताया कि हरिराम गौर (85) का गांव कुदऊ गौर ग्राम पोस्ट पटना बुजुर्ग रहली के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में खाता है. 1 अक्टूबर 2019 तक उनके अकाउंट में 3.83 लाख रुपये जमा थे. 10 दिन बाद उन्होंने 21 अक्टूबर को पासबुक में लेन-देन की एंट्री कराई तो में मात्र 383 रुपये खाते में थे.

बैंक ने बता दी बुजुर्ग की गलती
जब उन्होंने बैंक से शिकायत की बैंक ने बुजुर्ग से कहा कि आपने ग्रीन चैनल काउंटर से ये राशि स्वयं निकाली है, जबकि पासबुक के अनुसार दिल्ली निवासी किसी मुकेश गौड़ और रेवाबाई ज्वालापुरी ने यह राशि कभी जीसीसी तो कभी एटीएम के जरिए खाते से निकाली थी. पक्षकार गौर ने इस बारे में स्थानीय पुलिस थाने में धोखाधड़ी का केस भी दर्ज कराया. इसके बावजूद बैंक द्वारा कोई सहयोग नहीं करने और राशि की प्रतिपूर्ति नहीं करने पर उन्होंने आयोग की शरण ली थी.

उपभोक्ता फोरम ने ये फैसला दिया
जब मामला उपभोक्ता फोरम में पहुंचा तो आयोग ने रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार बैंक की गलती मानी और बैंक को पक्षकार के 3.83 रुपये 6 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाने और साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में 25000 रुपये देने का आदेश दिया.

Tags: Consumer forum, Local18, Online fraud, Sagar news

FIRST PUBLISHED :

October 10, 2024, 19:29 IST

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