खोया का पेड़ा
औरंगाबाद .बिहार में खान-पान का अपना एक अलग मिजाज है. खान-पान को लेकर हर जिले की अपनी अलग खासियत है. बिहार का औरंगाबाद जिला भी खान-पान के मामले में अपना एक अलग स्थान रखता है. जिले के बारुण प्रखंड स्थित सिरीश गांव के महाजन का पेड़ा पिछले 34 वर्षो से अपनी अलग क्वालिटी और शुद्धता को लेकर प्रसिद्ध है. एनएच से सट्टे होने के कारण बिहार के कोने-कोने से लोग महाजन का पेड़ा खरीदने के लिए आते हैं. पेड़ा खरीदने के लिए लंबी कतारें भी लगती है. इस दुकान का शुद्ध पेड़ा, रसगुल्ला, रबड़ी और शुगर फ्री पेड़े की दूर-दूर तक डिमांड है.
1990 में दुकान की हुई थी शुरूआत
1990 से महाजन के पेड़ा लोगों के मुंह में मिठास घोल रहा है. इसकी शुरूआत प्रमोद महाजन ने की थी. यह दुकान पिछले 34 वर्षों से निरंतर लोगों को शुद्ध पेड़ा खिलाते आ रहा है. हालांकि अब इस दुकान को प्रमोद महाजन के पुत्र अमर महाजन संभाल रहे हैं. अमर महाजन ने एमबीए की डिग्री हासिल किया है. अमर ने लोकल 18 को बताया कि कुछ सालों तक हरियाणा में रहकर फैक्ट्री में काम किया. लेकिन, जब पिता की तबियत ख़राब हो गई तो वापस घर लौटकर इस व्यवसाय को संभाल लिया.
150 क्विंटल दूध की है रोजाना खपत
अमर महाजन ने लोकल 18 को बताया कि इस दुकान में प्रतिदिन 150 क्विंटल दूध का शुद्ध पेड़ा तैयार किया जाता है. इसके अलावा रसगुल्ला और रबड़ी भी बनाते हैं. अमर ने बताया कि एक किलो पेड़े की कीमत 500 रूपए है. वहीं ऑर्डर मिलने पर ग्राहकों के लिए शुगर फ्री पेड़ा भी तैयार करते हैं. बता दें महाजन का पेड़ा देश ही नहीं विदेशों तक भी पहुंच गया है. यहां का पेड़ा ओमन, सऊदी अरब सहित कई अन्य देशों में लोग लेकर जाते हैं.
ऑनलाइन होगा महाजन का पेड़ा
बता दें कि दुकान की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए दुकानदार ने इसे भी डिजीटल करने की बात कही है. अमर महाजन ने बताया कि जैसे सिलाव के काली शाह का खाजा देशभर में प्रसिद्ध है और वे उसकी डिलीवरी ऑनलाइन भी कराते हैं . ठीक उसी प्रकार जल्द ही महाजन का पेड़ा भी डिजीटल होगा और देश के कोने-कोने में बैठे लोग महाजन के पेड़े का स्वाद ले सकेंगे.
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FIRST PUBLISHED :
October 18, 2024, 18:29 IST