भक्तों की उमड़ती है भीड़
कन्नौज. उत्तर प्रदेश के कन्नौज का कालिका देवी मंदिर को सिद्ध पीठ माना जाता है. कालिका देवी मंदिर छिबरामऊ के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यह मंदिर छिबरामऊ के सौरिख तिराहे से थोड़ा आगे सौरिख जाने वाले रास्ते में स्थित है. कालिका देवी मंदिर से भक्तों की अपार श्रद्धा जुड़ी हुई है और विशेषकर नवरात्रि के समय यहां काफी भीड़ होती है.
माना जाता है माता का स्नान किया हुआ चमत्कारी नीर श्रद्धालु के रोगों को हरता है. वहीं माता का चमत्कार प्रतिदिन दिखाई भी देता है. माता की प्रतिमा दिन में दो बार अपना स्वरूप बदलती है. सुबह के समय और रात्रि के समय यह चमत्कार भक्तगण देख सकते हैं.
आल्हा ऊदल के गुरु से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
इतिहास के पन्नों में भी सिद्ध पीठ मां कालिका देवी मंदिर का जिक्र मिलता है. बताया जाता है कि आल्हा ऊदल के गुरु ढेबा ने मां कालिका देवी की प्रतिमा को स्थापित किया था. उन्होंने अनेकों सिद्धियां मां को प्रसन्न कर प्राप्त की थी. कई पुस्तकों में जप-तप के बीच उनकी कड़ी साधना से प्राप्त सिद्धियों का उल्लेख है. दिल्ली, एटा, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद व मैनपुरी सहित कई जिलों के अलावा आस-पास के प्रदेशों से भी लोग देवी दर्शन को आते हैं.
ऐसे पहुंचे मां कालिका का दरबार
जीटी रोड पर बेवर की ओर से आने वाले श्रद्धालु पश्चिमी या पूर्वी बाईपास पर पहुंच जाएं. इसके बाद वहां से ई-रिक्शा की मदद से या निजी वाहन से सौरिख तिराहा आ जाएं. यहां से दक्षिण दिशा की ओर सौरिख रोड पर सिद्धपीठ मां कालिका का दरबार है. वहीं कन्नौज की ओर से आने वाले श्रद्धालु जीटी रोड से छिबरामऊ के पूर्वी बाईपास पर पहुंचकर सौरिख तिराहा होकर दरबार पहुंच सकते हैं.
बेहद चमत्कारी माना जाता है मांता का नीर
मंदिर के पुजारी देवेंद्र चतुर्वेदी ने लोकल 18 को बताया कि मंदिर का अविस्मरणीय और गौरवशाली इतिहास है. यह मंदिर क्षेत्र में लोगों के बीच आस्था का प्रतीक है. मां के चरणों में शीश झुकाने वाले कभी मायूस नहीं लौटते हैं. यह प्रतिमा अत्यंत चमत्कारी है, जो दो बार दिन में अपना रंग व स्वरूप बदलती है. वहीं माता के नीर में श्रद्धालुओं की हर समस्या का निवारण रहता है. भक्त यहां से माता का नीर ले जाते हैं. अष्टमी को मेले का आयोजन किया जाता है. वर्ष के दोनों नवरात्र में यहां विशाल मेला लगता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 5, 2024, 16:47 IST
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