विकास झा/फरीदाबाद: करवाचौथ का पर्व हिंदू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है. जिसमें वे अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस दिन उपवास रखने की परंपरा सदियों पुरानी है. शाम को चंद्रमा की पूजा के बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं. करवाचौथ की पूजा और व्रत में विशेष प्रकार के भोजन की भूमिका भी अहम होती है. जिसमें उड़द की दाल का खास महत्व है. यह दाल न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी फायदेमंद मानी जाती है.
उड़द की दाल भारतीय रसोई में प्राचीन काल से ही लोकप्रिय रही है. इसमें प्रोटीन, फाइबर और आयरन भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को मजबूती और ऊर्जा प्रदान करते हैं. करवाचौथ जैसे त्योहार पर, जब महिलाएं पूरे दिन उपवास करती हैं, तो उड़द की दाल उन्हें पोषण देती है. उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करती है. साथ ही, यह दाल पाचन के लिए भी फायदेमंद होती है, जो लंबे समय तक भूखे रहने के बाद शरीर को सही संतुलन में लाने में सहायक होती है.
करवाचौथ पर उड़द की दाल बनाने की परंपरा
करवाचौथ की रात चंद्र दर्शन के बाद परिवार के साथ भोजन करने की परंपरा होती है. इस मौके पर उड़द की दाल से बनी विशेष डिश बनाई जाती है, जैसे दाल के बड़े या दाल कचौरी. यह व्यंजन न केवल स्वाद में लाजवाब होते हैं, बल्कि करवाचौथ के त्योहार की मिठास को भी बढ़ाते हैं. मान्यता है कि उड़द की दाल से बने पकवान खाने से दांपत्य जीवन में प्रेम और समृद्धि बनी रहती है.
स्वाद और सेहत का अद्भुत संगम
उड़द की दाल करवाचौथ के भोजन में स्वाद और सेहत दोनों का अनूठा मेल होती है. यह दाल, न केवल पेट भरने का काम करती है, बल्कि व्रत के बाद शरीर को पोषक तत्वों की कमी से भी बचाती है. इसे खाने से महिलाओं को ऊर्जा मिलती है. वे अपने त्योहारी दिन को बिना किसी कमजोरी के खुशहाल तरीके से बिता सकती हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 17:51 IST