बच्चा बॉर्ड मेडिकल कॉलेज के ग्राउंड फ्लोर पर है. बच्चा वॉर्ड से निकल रहा धुआं बता रहा था कि बहुत बड़ी अनहोनी हो चुकी है. मां-बाप बच्चा बॉर्ड की खिड़कियों पर चढ़े हुए थे. वह शीशे को तोड़कर वॉर्ड के अंदर से मर चुके बच्चों को निकाल रहे थे. उस वक्त इस रेस्क्यू मिशन में न डॉक्टर-नर्स लगे थे और न कोई बचावकर्मी. मां-बाप ही जलते बच्चा वॉर्ड में अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने में जुटे थे.
बच्चे भी इस हालत में की आप आंखें बंद कर लें. जलकर गठरी बन चुकीं मासूम लाशें. कलेजे पर पत्थर रख बच्चों के बुरी तरह जले शवों को एक हाथ से दूसरे हाथ में बढ़ाया जा रहा था. उन कांपते हाथों के दिल में क्या गुजर रही थी, यह कोई मां-बाप ही समझ सकता है.
अपने बच्चे की तलाश में जुटा एक पिता बच्चा वॉर्ड की खिड़की के नीचे खड़ा था. उसके हाथों में तक किसी बच्चे की जली लाश पहुंचती, तो वह आंखें बंद कर लेता. पीछे से चीखें और बिलखते परिजनों की आवाजें. पूरा मंजर ऐसा था, जो कलेजा चीर दे.
जो बच्चे जिंदा थे, उनके मां-बाप का भी बुरा हाल था. बच्चे की चढ़ती सांसों को लेकर कहां दौड़ें, बदहवास मां-बाप कुछ समझ नहीं पा रहे थे. कोई प्राइवेट अस्पताल की ओर दौड़ पड़ा, तो किसी ने बच्चे को लेकर पूरी रात मेडिकल कॉल के परिसर में काटी.
NDTV के विनोद गौतम ने इस अग्निकांड को करीब से देखा और ये पूरी खबर उनकी आंखोंदेखी पर आधारित है.