MP News : मिथिला और अयोध्या की तर्ज पर रामानंदी परंपरा से यहां होगा भव्य राम-जानकी विवाह, ये रहेगा ख़ास

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दीपक पांडेय/खरगोन.मध्य प्रदेश की अयोध्या, खरगोन की पवित्र नगरी मंडलेश्वर निमाड़ का इकलौता ऐसा शहर है जहां मिथिला, ओरछा और अयोध्या की तरह रामानंदी परंपरा से श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव मनाया जाता है. यहां 5 दिवसीय विवाह महोत्सव मनाया जाता है,  जिसकी शुरुआत मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा से होगी. पंचमी के दिन भगवान के लग्न लगेंगे. खास बात यें है कि, इस विवाह महोत्सव में सामाजिक समरसता को ध्यान में रखते हुए वह सभी रस्में निभाई जाती है जो राम-सीता के विवाह में मनाई गई थी.

नगर के 300 साल पुराने पेशवा कालीन जूना श्रीराम मंदिर में यह महोत्सव संपन्न होगा. मंदिर के पुजारी पंडित पंकज मेहता ने लोकल 18 को बताया कि, भारत के कई शहरों में श्रीराम जानकी महोत्सव मनाया जाता है. लेकिन, जनकपुरी (नेपाल) बिहार, अयोध्या, मध्य प्रदेश के ओरछा ओर मंडलेश्वर में सबसे बड़े आयोजन होते है. श्री श्री सीताराम शिव संकल्प संथानम के श्री वैदेही सेवा प्रकल्प के तत्वाधान में यह आयोजन सम्पन्न होता है.

मां नर्मदा में होगा भगवान का तीर्थ स्नान
इस साल आयोजन का चौथा वर्ष है. 2 दिसंबर से 6 दिसंबर तक नगर में भव्यता के साथ महोत्सव मनाया जाएगा. हालांकि, इसकी शुरुआत एक माह पहले पत्रिकाओं के पूजन से हो जाती है. मिथिला में निभाई गई सभी विधियों और रस्मो को यहां निभाया जाता है. विवाह महोत्सव के पहले टीका उत्सव भी यहां मनाया जाएगा. इसके बाद भगवान के तीर्थ स्नान के साथ मुख्य आयोजन प्रारंभ होगा.

महिलाएं गाएंगी मिथिला और निमाड़ी गीत
2 दिसम्बर को मां नर्मदा के पावन जल में भगवान श्रीराम-जानकी को तीर्थ स्नान कराया जाएगा. यहां सोलह कलशों से भगवान अभिषेक होगा. केवट समाज भगवान की आरती उतारी जाएगी. गांव में मनोहार होगी. रात्रि विश्राम के दौरान महिलाओं द्वारा मिथिला और निमाड़ के पारंपरिक विवाहित गीत गाए जाएंगे. 3 तारीख को मंदिर के सामने भगवान आकर रुकेंगे.

महोत्सव में दिखेगी सामाजिक समरता
4 तारीख को गणेश पूजन होगा. इसके पहले प्रातः काल में बसौड़ समाज द्वारा मंडप निर्माण के लिए हरे बांस लाए जाएंगे, कुम्हार (प्रजापति) समाज के लोग चार कलश लेकर आएंगे, जिनका मंदिर में पूजन होगा. सामग्री आने के बाद गणेश पूजन के साथ भगवान का विवाह प्रारंभ होगा.

मंडल के लिए आदिवासी महिलाएं जंगल से लाएंगी पत्ते
हल्दी के बाद 5 तारीख को मंडप की रस्म निभाई जाएगी. इस दिन सेन समाज की महिलाएं माता जानकी को माहवार और मेंहदी लगाएगी. मंडप सजाने के लिए वनवासी अंचल की आदिवासी महिलाएं जंगल से पत्ते लेकर आएंगी, जिससे श्री मंडपाच्छादनम की रस्म पूरी होगी. इसी दिन क्षत्रिय समाज भगवान श्रीराम के विग्रह को साथ लेकर जाएंगे.

अभिजीत मुहूर्त में होगा राम जानकी-विवाह
6 तारीख को प्रातः 8 बजे बैंड-बाजे के साथ भगवान की बारात निकलेगी. बारात में समाजजन पारंपरिक वेशभुषा में शामिल होंगे. नगर भ्रमण करते हुए बारात मंदिर पहुंचेगी, जहां विधि विधान से अभिजीत मुहूर्त 12:20 बजे भगवान विवाह गठबंधन में बंधेंगे. इसके पहले रात्रि में महिला संगीत में छोटे बच्चे भी शामिल होंगे और रामजी के गीत और लीलाओं पर आधारित प्रस्तुतियां देंगे. विवाह में 10 हजार से ज्यादा भक्त शामिल होते है.

FIRST PUBLISHED :

November 22, 2024, 22:22 IST

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