कही आपके पेट्स को तो नहीं है डायबिटीज? जानिए कैसे पहचानें और करें कंट्रोल!

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दिल्ली: हम पेट पैरेंट्स अपने डॉग्स और कैट्स को हेल्दी लाइफ देने की कोशिश करते हैं, लेकिन जैसे ह्यूमन्स में डायबिटीज हो सकती है, वैसे ही पेट्स में भी क्रॉनिक कंडीशन्स डिवेलप हो सकती हैं. डायबिटीज को समझना और मैनेज करना उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ को मेंटेन करने के लिए बहुत ज़रूरी है. आज हम इस कंडीशन के बारे में अवेयरनेस रेज करेंगे, कैसे इसे पहचानें, और कौन से स्टेप्स लेने से पेट्स का डायबिटीज मैनेज हो सकता है.

Pets में Diabetes क्या है?
डायबिटीज मेलिटस तब होता है जब बॉडी इंसुलिन प्रोड्यूस नहीं करती या फिर इंसुलिन के लिए रेजिस्टेंट हो जाती है, जो ग्लूकोज मेटाबोलिज्म को अफेक्ट करता है. इसके दो टाइप्स होते हैं: टाइप 1, जिसमें पैंक्रियास बिल्कुल या कम इंसुलिन प्रोड्यूस करता है, और टाइप 2, जिसमें बॉडी की सेल्स इंसुलिन का रिस्पॉन्स ठीक से नहीं देती. ज़्यादातर पेट्स, खासकर डॉग्स, टाइप 1 डायबिटीज से सुफर करते हैं.

Pets में Diabetes के Symptoms कैसे पहचानें?
डॉ. इवांका फर्नांडीज, वेटर्नरी प्रोडक्ट एक्सिक्यूटिव एट ड्रूल्स पेट फूड, कुछ इंपॉर्टेंट साइन बताते हुए जानकारी दी जो पेट्स में डायबिटीज के हो सकते हैं:

बढ़ती प्यास और पेशाब: डिहाइड्रेशन के वजह से पेट्स ज़्यादा पानी पीते हैं और फ्रिक्वेंटली पेशाब करते हैं.
वजन घटना: ज़्यादा भूख के बावजूद पेट्स का वजन घट सकता है, क्योंकि उनका बॉडी एनर्जी प्रोसेस करने में स्ट्रगल करता है.
ज़्यादा भूख लगना: बॉडी फूड को प्रॉपरली प्रोसेस नहीं कर पाती, जिस वजह से पेट्स ज़्यादा खाना खाते हैं.
लेथार्जी (थकावट): डायबिटीज से पेट्स को थकावट हो सकती है और वो कम एक्टिव हो जाते हैं.
मटी हुई आंखें: कैटरेक्ट्स, जो एक कॉमन कंप्लिकेशन है, आपके पेट की विजन को क्लाउड कर सकते हैं.
पुअर कोट कंडीशन: मेटाबोलिक चेंजेज के वजह से पेट का कोट डल, ड्राई या पतला हो सकता है.
वोमिटिंग और अनएक्सप्लेंड वजन बढ़ना: ये कम कॉमन है, लेकिन कैट्स में हो सकता है.

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Diabetes के साथ Pets की सपोर्ट करना

डॉ. आदित्य जाधव सुधीर, वेटर्नरी प्रोडक्ट स्पेशलिस्ट एट ड्रूल्स पेट फूड, डायबिटीज मैनेज करने के कुछ स्ट्रेटेजी शेयर की हैं:

इंसुलिन थेरेपी: ज़्यादातर पेट्स को इंसुलिन इंजेक्शन्स की ज़रूरत होती है, जो डोज और फ्रीक्वेंसी आपके वेट डीसाइड करते हैं.
कंसिस्टेंट डाइट: बैलेंस्ड और हाई-कोलिटी डाइट जिसमें फाइबर और प्रोटीन हो, ब्लड शुगर को रेगुलेट करने में मदद करता है.
रेगुलर एक्सरसाइज: मॉडरेट एक्टिविटी से वेट और ब्लड शुगर कंट्रोल होता है, लेकिन ओवरएक्सर्टशन से बचना ज़रूरी है.
ब्लड शुगर मॉनिटर करना: रेगुलर चेक्स से इंसुलिन थेरेपी की एफेक्टिवनेस चेक होती है.
वेट मैनेजमेंट: आपके पेट का वेट हेल्दी होना चाहिए ताकि ब्लड शुगर कंट्रोल हो सके.
मेडिकेशन्स और सप्लीमेंट्स: वेट अतिरिक्त ट्रीटमेंट्स सजेस्ट कर सकते हैं अगर कंप्लिकेशन्स हों.
रूटीन वेटर्नरी विजिट्स: रेगुलर चेक-अप्स से कंप्लिकेशन्स जैसे किडनी डिजीज या इन्फेक्शन्स प्रिवेंट किए जा सकते हैं.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

November 22, 2024, 14:05 IST

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