खेत मे गई उड़द दाल!
बहराइच: उड़द दाल की फसल पर अक्सर कीड़े लग जाते हैं. बहराइच कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी ने बताया कि कैसे आप इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं.कृषि विज्ञान केंद्र के डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए उड़द की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की है. उड़द दाल की खेती करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या पीला मोजेक रोग की आती है. ये रोग पौधों को पीला कर बेजान कर देते हैं और पौधे सूखकर नष्ट हो जाते हैं. साथ ही यह रोग एक पौधे से दूसरे पौधों में बहुत आसानी से फैल जाता है. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार, उड़द और की फसल में पीला मोजेक रोग, जिसे पीला चितकबरी या मोजेक रोग भी कहा जाता है.
उड़द की खेती को रोग से कैसे बचाएं?
पीला मोजेक रोग से बचने के लिए बीज की बुवाई जुलाई के पहले हफ्ते तक कतारों में करनी होती है. शुरुआती समय में ही पीला मोजेक से ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. पीला मोजेक रोग से फसल को बचाने के लिए रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर खेत से दूर फेंकना या जला देना चाहिए.
उड़द की रिकॉर्ड तोड़ बुवाई!
खरीफ ऋतु में बीज दर 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर एवं ग्रीष्म ऋतु में 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीजों को बोया जा सकता है. उड़द की बुवाई खरीफ व जायद दोनों फसलों में अलग-अलग समय पर की जाती है, खरीफ में जुलाई के प्रथम सप्ताह में बुवाई की जाती है एवं जायद में 15 फरवरी से 15 मार्च तक बुवाई की जाती.
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खरीफ सीजन में किसानों ने दालों की फसलों की बंपर बुवाई की है. दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए केंद्र की ओर से मिले प्रोत्साहन का असर रकबे में भारी वृद्धि के रूप में देखा गया है. हालांकि, मूंग और उड़द की फसल में दो कीट रोग, पीला चितकबरी या मोजेक रोग और सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का खतरा बढ़ गया है. इस बार बंपर बारिश के चलते जिन खेतों में अधिक समय तक पानी भरा रहा, वहां इन रोगों का खतरा और कीट हमले की समस्या अधिक देखी जा रही है.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 11:18 IST