क्या एनेस्थीसिया के दौरान मरीज अपनी पर्सनल बातें डॉक्टर को बता देते हैं? जानें ये मिथ है या सच्चाई

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Myths related to anesthesia: भले ही आपकी कोई सर्जरी न हुई हो लेकिन आपके परिवार या रिश्तेदारों में से किसी की सर्जरी तो हुई होगी और उन्होंने कभी अपना अनुभव भी आपके साथ शेयर किया होगा. हर सर्जरी से पहले पेशेंट को एनेस्थीसिया दिया जाता है. एनेस्थीसिया को लेकर लोगों के मन में कई गलत धारणाएं और डर हैं. जिसकी वजह से वो सर्जरी से ज्यादा एनेस्थीसिया लेने से डरते हैं. एनेस्थीसिया से जुड़े मिथ और डर को दूर करने के लिए एनडीटीवी ने बात की डॉ दिवेश अरोड़ा (Divesh Arora) से जो फरीदाबाद के एशियन हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया एंड ओटी सर्विसेज के डायरेक्टर और हेड हैं.

एनेस्थीसिया के दौरान क्या मरीज नशे में अपनी पर्सनल बातें डॉक्टर को बता सकते हैं? Can a diligent uncover idiosyncratic things to the doc during anesthesia?

डॉ दिवेश अरोड़ा ने कहा कि एनेस्थीसिया के लिए मेडिसिन इतनी तेज स्पीड में दी जाती हैं कि मरीज बेहोशी की स्टेट में चला जाता है, इसलिए ऐसा नहीं होता है कि वो अपनी पर्सनल बातें डॉक्टर से कह दे. लेकिन कई बार जब हमें क्रिमनल लोगों से कुछ बातें निकलवानी होती है. तो उसमें हम उन्हें थोड़ा सा डोज देकर उनसे बातें निकलवाने की कोशिश करते हैं. ये काम स्पेशल डॉक्टर्स का होता है, जो पुलिस के साथ काम करते हैं. आम लोगों को जो एनेस्थीसिया दिया जाता है उसमें ये नहीं होता है.

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उन्होंने कहा कि ये एक मिथ है कि मरीज एनेस्थीसिया के दौरान अपनी पर्सनल बातें बता देंगे ऐसा नहीं होता है और अगर कभी गलती से बता भी दिया तो यह एक प्रिविलेज कम्युनिकेशन होता है. जो डॉक्टर और मरीज के बीच ही हमेशा रहेगा. इसलिए इसे लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है

क्या डॉक्टर एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देकर चले जाते हैं?

डॉ अरोड़ा ने कहा की सर्जरी होने के बाद जब तक मरीज वापस पूरी तरह होश में नहीं आ जाता, एनेस्थेटिस्ट उसके पास ही रहता है. सर्जरी में एनेस्थेटिस्ट का बहुत अहम रोल होता है. जब किसी मरीज की सर्जरी होना तय हो जाता है, तो सर्जन सबसे पहले एनेस्थेटिस्ट को भेजता है पेशेंट को एग्जामिन करने के लिए ताकि मरीज एनेस्थीसिया के लिए फिट है या नहीं पता चल सके. इसे प्री एनेस्थीसिया चेकअप (Pre anesthesia checkup) कहते हैं. सर्जरी से पहले हमेशा मरीज का प्री एनेस्थीसिया चेकअप किया जाता है. जिसमें मरीज को एनेस्थीसिया देने से पहले ये पता करना होता है कि मरीज ने पहले कोई सर्जरी तो नहीं कराई, किसी दवा से उसे एलर्जी या कोई मेडिकल प्रॉब्लम (Medical Problem) तो नहीं है.

उन्होंने कहा कि एक बार मरीज की हिस्ट्री जान लेने के बाद फिर उसका एग्जामिन किया जाता है और उसके बाद इन्वेस्टिगेशन करते हैं जैसे उसका ब्लड काउंट कितना है, किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney relation test), लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver relation tests) किए जाते हैं. अगर मरीज की उम्र 40 से ज्यादा है तो उसकी ECG भी चेक किया जाता है. वहीं अगर किसी मरीज को स्टेंट डला हुआ है तो कार्डियोलॉजिस्ट भी सर्जरी में इन्वॉल्व हो जाता है. मरीज का स्ट्रेस टेस्ट भी किया जाता है. यानी मरीज की उम्र और उसे क्या बीमारियां हैं उसके हिसाब से टेस्ट तय किए जाते हैं. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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