रांची:
Jharkhand Assembly Elections 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे परसियासी घमासान चल रहा है. विपक्षी बीजेपी राज्य में सत्ताधारी जेएमएम पर इसको लेकर आंखें मूंदे रहने का आरोप लगा रही है. पार्टी का दावा है कि इसकी वजह से आदिवासियों की जमीन अवैध घुसपैठिए हड़प रहे हैं, खासकर संथाल परगना इलाके की जनसांख्यिकी बदल गई है. लेकिन जेएमएम इन आरोपों को न सिर्फ खारिज कर रही है, बल्कि भाजपा पर सांप्रदायकिता को बढ़ावा देने का आरोप लगा रही है. बीजेपी ने घुसपैठ को एक मुख्य मुद्दा बनाया है. रांची से सटे कांके विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में जब एनडीटीवी ने लोगों से घुसपैठ के बारे में सवाल पूछे तो ज्यादातर लोग या तो घुसपैठ के मामले से अनभिज्ञ थे या फिर उन्होंने कहा कि घुसपैठ कोई चुनावी मुद्दा नहीं है.
एक ग्रामीण ने कहा कि इसकी ज्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन यह राजनीतिक है. राजनीतिक मुद्दे की तरह घुसपैठ की बात बता रहे हैं. घुसपैठ की कोई जानकारी नहीं है. एक अन्य व्यक्ति से सवाल पूछने पर कि क्या बाहरी लोग यहां आकर स्थानीय लोगों को निकाल रहे हैं, उन्होंने कहा कि, ऐसा तो नहीं है. हम लोगों के एरिया में कोई बाहरी लोग नहीं आए हैं. रांची तरफ हैं, यहां गांव देहात में तो नहीं आए.
एक युवक ने एनडीटीवी से कहा कि यदि घुसपैठ हो रही है तो कार्रवाई होनी चाहिए. घुसपैठ का हमें पता नहीं है. एक ग्रामीण ने कहा कि बीजेपी चुनाव के दौरान यह बात कह रही है, पहले क्यों नहीं कह रही थी. एक ग्रामीण ने कहा कि घुसपैठ का मुद्दा उठाना गलत है.
बीजेपी इस मुद्दे को लेकर लगातार आक्रामक है. दूसरी तरफ जेएमएम इन आरोपों को खारिज कर रही है. कल्पना सोरेन का कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले में जिम्मेदारी राज्य सरकार की नहीं बल्कि केंद्र सरकार की है. उन्होंने कहा कि, ''हमारी झारखंड की बाउंड्री इंटरनेशनल बॉर्डर से शेयर नहीं करती है. इंटरनेशनल बॉर्डर की सिक्योरिटी किसके हाथ में है, सेंट्रल गवर्नमेंट के हाथ में. यदि आप बॉर्डर सिक्योरिटी को क्लियर इंस्ट्रक्शन नहीं दे पा रहे हैं, आप नाकाम हैं वहां पर, तो आपकी नाकामी आप राज्य सरकार पर नहीं थोप सकते. यह इनकी नाकामी है जिसे छुपाने के लिए यह राज्य सरकार पर उंगली उठा रहे हैं.''