Last Updated:February 11, 2025, 21:50 IST
Astro Tips: ये कहावत तो आप सभी ने सुनी होगी, तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा, लेकिन क्या आप इस कहावत के पीछे की वजह को जानते हैं? क्या वाकई किसी काम में तीन लोगों की साथ में उपस्थिती काम को खराब कर सकती है? चलिए इसी को...और पढ़ें
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तीन लोगों का साथ जाना
Astro Tips: भारतीय संस्कृति में कई रीति-रिवाज और मान्यताएं प्रचलित हैं जिनका पालन आज भी किया जाता है. इनमें से कुछ मान्यताएं अंकों से भी जुड़ी हैं जैसे कि शुभ कार्यों में तीन लोगों का एक साथ नहीं जाना. अक्सर आपने बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा कि तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा. आखिर इसके पीछे क्या कारण है. पंडित अनिल शर्मा का इसको लेकर क्या कहना है आइए जानते हैं.
यह मान्यता पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है कि किसी भी शुभ काम के लिए घर से तीन लोगों को एक साथ नहीं निकलना चाहिए. यह सिर्फ तीन लोगों तक ही सीमित नहीं है बल्कि हिंदू धर्म में अंक तीन को कई मामलों में अशुभ माना जाता है. उदाहरण के लिए भोजन की थाली में तीन रोटियां नहीं परोसी जातीं और पूजा-पाठ में भी तीन लोगों का एक साथ बैठना वर्जित माना जाता है.
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धार्मिक दृष्टिकोण:
वैसे तो किसी भी धर्मग्रंथ में सीधे तौर पर यह नहीं लिखा है कि तीन लोगों का एक साथ जाना अशुभ होता है लेकिन इसके पीछे कुछ प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कारण बताए जाते हैं.
एकाग्रता में बाधा: माना जाता है कि जब तीन लोग एक साथ होते हैं तो बातचीत और ध्यान बंटने की संभावना बढ़ जाती है. शुभ कार्यों में मन की एकाग्रता और सकारात्मकता आवश्यक होती है जो तीन लोगों के साथ होने पर भंग हो सकती है.
मतभेद की संभावना: तीन लोगों में विचारों और मतों में भिन्नता होने की संभावना अधिक होती है. किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले मन का एकमत होना जरूरी है जो तीन लोगों के समूह में मुश्किल हो सकता है.
त्रिमूर्ति का प्रतीक: हिंदू धर्म में त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का विशेष महत्व है. कुछ लोगों का मानना है कि तीन लोगों का एक साथ जाना इस त्रिमूर्ति का प्रतीक बन जाता है जिससे साधारण मनुष्यों के लिए अशुभ फलदायी हो सकता है.
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व्यावहारिक दृष्टिकोण:
इसके अलावा इस मान्यता के पीछे कुछ व्यावहारिक कारण भी हो सकते हैं. पुराने समय में यात्रा के साधन सीमित होते थे और तीन लोगों का एक साथ जाना संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता था. इसके अलावा तीन लोगों के समूह में किसी एक के बीमार पड़ने या अन्य किसी समस्या के आने पर पूरे कार्य में बाधा उत्पन्न हो सकती है.
हालांकि यह मान्यता पूरी तरह से अंधविश्वास नहीं है बल्कि इसके पीछे कुछ प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कारण छिपे हैं. आज के आधुनिक युग में इन बातों का उतना महत्व नहीं रह गया है, लेकिन फिर भी कुछ लोग अपनी परंपराओं और मान्यताओं का पालन करते हैं. यह व्यक्ति की अपनी श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है कि वह इन बातों को कितना महत्व देता है
First Published :
February 11, 2025, 21:50 IST