लाखों लोगों के बिच एक भी एनेस्थीसिया का डॉक्टर नहीं रहेगा अब खंडवा में
खंडवा: डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है लेकिन इन दिनों खांडवा के मरीजों को डॉक्टरों के इस्तीफे की वजह से कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खंडवा जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया विभाग की स्थिति संकटपूर्ण हो गई है, क्योंकि वहां कार्यरत एकमात्र एनेस्थीसिया डॉक्टर शिखा अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे से अस्पताल में हड्डी और ईएनटी के ऑपरेशन विशेष रूप से प्रभावित होंगे. पहले से ही इस विभाग में डॉक्टरों की कमी के कारण 50 से 60 ऑपरेशन प्रतिमाह लंबित हैं, और अब यह संख्या और बढ़ सकती है.
खंडवा अस्पताल की स्थिति खराब
शिखा अग्रवाल के अगले महीने कॉलेज छोड़ने के बाद स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी. अस्पताल में फिलहाल ईएनटी के 40, सर्जरी के 45, और हड्डी के 20 ऑपरेशन लंबित हैं, जिनके जल्द समाधान की आवश्यकता है.
निजी एनेस्थेटिक डॉक्टरों पर हर महीने 5 लाख खर्च
प्रसूताओं के ऑपरेशन के लिए अस्पताल प्रशासन ने निजी एनेस्थेटिक डॉक्टरों के साथ अनुबंध किया है, जिससे हर महीने लगभग 5 लाख रुपए का खर्च हो रहा है. हालांकि, जनरल सर्जरी के लिए अभी तक कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे मरीजों की समस्याएं बढ़ सकती हैं. मरीजों को सरकार से मदद की उम्मीद है.
मेडिकल कॉलेज में एनेस्थिसिया विभाग के 7 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 5 सीनियर रेजिडेंट कार्यरत हैं, लेकिन वे डॉ. शिखा अग्रवाल के अधीनस्थ कार्य करते थे. वर्तमान में डॉ. संजीव दीक्षित सिविल सर्जन के पद पर हैं.
खंडवा मेडिकल कॉलेज
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दादू ने कलेक्टर अनूप कुमार सिंह को इस स्थिति की जानकारी दी है. उन्होंने सुझाव दिया कि रोकस फंड (Revenue Operation & Maintenance System) का उपयोग आउटसोर्सिंग के जरिए एनेस्थेटिक व्यवस्था को सुधारने में किया जा सकता है. डॉ. दादू ने रोकस की बैठकों में कॉलेज को भी शामिल करने की मांग की है, ताकि अस्पताल की समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा हो सके.
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FIRST PUBLISHED :
September 28, 2024, 14:48 IST